Muzaffarnagar : भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के संस्थापक और किसानों के मसीहा स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत की 90वीं जयंती पर उनकी राजधानी सिसौली में एक भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर किसानों, विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों और क्षेत्रीय गणमान्य व्यक्तियों ने बाबा टिकैत को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। यह आयोजन ना केवल किसानों के संघर्ष और उनकी अविरत मेहनत को सम्मानित करने के लिए था, बल्कि यह उन मुद्दों पर भी प्रकाश डालने का एक जरिया बना, जिनका सामना आज किसान समुदाय कर रहा है।
स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत की 90वीं जयंती पर किसान जागृति दिवस का आयोजन
भारतीय किसान यूनियन द्वारा आयोजित इस आयोजन में क्षेत्रीय किसान संगठनों, ग्राम प्रधानों, जिला पंचायत सदस्यों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत की समाधि पर पुष्प अर्पित किए। यह आयोजन सिसौली स्थित किसान भवन में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। पूर्व मंत्री योगराज सिंह, लोक दल किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव कृष्ण पाल राठी, रालोद के प्रदेश महासचिव पंडित उमादत शर्मा, शामली विधायक प्रसन्न चैधरी, वरिष्ठ भाजपा नेता हरीश त्यागी, जयदेव बालियान, बीर सिंह मलिक, किसान चिंतक कमल मित्तल, सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
किसानों की आवाज को मुखर करने वाले स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत के योगदान पर गहरी चर्चा
स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत ने भारतीय किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्ष किया। वह न केवल एक संगठनकर्ता थे, बल्कि उन्होंने किसान समुदाय में जागरूकता फैलाने का कार्य भी किया। उनका संघर्ष, विशेष रूप से 1980 के दशक में, भारतीय राजनीति और कृषि नीति में बदलाव की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। किसान आंदोलन में उनकी भूमिका ने कई किसानों को हौसला दिया और उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भाकियू के अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दिया धन्यवाद
इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन महेन्द्र सिंह टिकैत की उपलब्धियों को न केवल याद करने का अवसर देते हैं, बल्कि यह किसानों के अधिकारों और उनकी समस्याओं को उठाने का भी एक मंच है। उनका कहना था कि किसानों के साथ खड़ा रहना और उनकी आवाज को देश और दुनिया तक पहुंचाना भाकियू की प्रमुख जिम्मेदारी है।
किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत को भारत रत्न देने की अपील
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक द्वारा महेन्द्र सिंह टिकैत की जयंती पर आयोजित गोष्ठी में भी उनकी योगदान को प्रमुखता से याद किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता गठवाला खाप के चैधरी बाबा राजेंद्र सिंह मलिक ने की। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने भारत सरकार से मांग की कि महेन्द्र सिंह टिकैत को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। उनका कहना था कि टिकैत साहब ने किसानों को एकजुट किया और उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए संघर्ष किया।
किसान आंदोलन में टिकैत साहब की अहम भूमिका
भाकियू के सदस्यों ने याद किया कि महेन्द्र सिंह टिकैत ने किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए केवल आंदोलनों का आयोजन नहीं किया, बल्कि उन्होंने किसानों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया। उनका मानना था कि जब तक किसान एकजुट नहीं होंगे, तब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।
सांस्कृतिक और सामाजिक उत्थान में भी महेन्द्र सिंह टिकैत का योगदान
महेन्द्र सिंह टिकैत का योगदान केवल किसान आंदोलन तक सीमित नहीं था। उन्होंने हमेशा समाज के वंचित वर्ग के लिए भी आवाज उठाई। उनके द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों में सामाजिक बदलाव की दिशा में भी कार्य किया गया। उन्होंने अपनी नीतियों के माध्यम से न केवल किसानों के आर्थिक हालात सुधारने की कोशिश की, बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति को भी मजबूत किया।
किसानों के हित में आगे बढ़ने की आवश्यकता
आज के समय में भी किसान अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं। महेन्द्र सिंह टिकैत द्वारा उठाए गए मुद्दे अब भी प्रासंगिक हैं। कृषि कानूनों, MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य), और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर किसानों की आवाज को मजबूत करने की जरूरत है।
किसान समुदाय के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपनी समस्याओं को केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाने में सक्षम हों। महेन्द्र सिंह टिकैत ने जो राह दिखाई थी, उसी राह पर चलने की आवश्यकता है।
आत्मनिर्भर किसान के निर्माण की आवश्यकता
महेंद्र सिंह टिकैत का मानना था कि किसान को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केवल सरकार की नीतियों का नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की मदद की आवश्यकता है। किसानों को अपनी स्थिति सुधारने के लिए खुद भी कदम उठाने होंगे। अगर किसान अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे, तो वह अपने जीवन में सुधार ला सकते हैं।
अंतिम विचार
स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत की 90वीं जयंती पर आयोजित यह समारोह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं थी, बल्कि यह एक संदेश था कि किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हम सभी को एकजुट होकर काम करना होगा। आज हमें उनकी नीतियों और विचारों को अपनाते हुए किसानों के लिए एक मजबूत आवाज बननी होगी। महेन्द्र सिंह टिकैत की तरह हमें भी किसानों की समस्याओं को उठाने और समाधान खोजने का कार्य करना होगा।
किसान मसीहा महेन्द्र सिंह टिकैत की 90वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि किसानों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। हम सभी को उनके संघर्ष को याद रखते हुए किसानों के लिए उनके समान कार्य करना चाहिए। उनका योगदान कभी भी भूला नहीं जा सकता।
