Muzaffarnagar जिले के जन-जीवन में एक नई तरह की शुरुआत हुई है, जिससे न सिर्फ जनता को राहत मिली है, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली को भी नया आयाम मिला है। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने अपनी कार्यशैली से साबित कर दिया है कि वे जनसेवा के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार हैं। विशेष रूप से, उन्होंने फरियादियों की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए, उन्हें सीधे उनके स्थान पर जाकर सुना और उनका तत्काल निस्तारण किया।

उमेश मिश्रा के इस प्रयास ने सरकारी कार्यालयों में आमतौर पर देखे जाने वाले कठोर और अनम्य दृष्टिकोण को बदल दिया है। उनके कार्यकाल में प्रशासन का चेहरा ज्यादा जन-केंद्रित और संवेदनशील हुआ है। जिलाधिकारी ने अपने कार्यालय में एक ऐसा वातावरण स्थापित किया है जिसमें आम जनता को उनके मुद्दों को सीधे शीर्ष स्तर पर उठाने का मौका मिला है।

जिलाधिकारी का सच्चा नेतृत्व: फरियादियों की सेवा में पहले व्यक्ति

रोज़मर्रा के कार्यों से हटकर, उमेश मिश्रा ने अपनी पहचान एक ऐसे जिलाधिकारी के रूप में बनाई है जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन मात्र कागजों और निर्देशों से नहीं, बल्कि लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता देकर करते हैं। उन्होंने हाल ही में एक जन सुनवाई में भाग लिया जिसमें उन्होंने खुद जाकर जनता दरबार में सैकड़ों लोगों से मुलाकात की। इस दौरान फरियादियों ने अपनी समस्याएं पेश कीं, जिनमें भूमि विवाद, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी, राशन वितरण, सरकारी सेवाओं में देरी जैसे मुद्दे शामिल थे। उमेश मिश्रा ने हर एक समस्या को गंभीरता से लिया और संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने के लिए फोन पर संपर्क किया।

जनता का विश्वास और प्रशंसा

अक्सर देखा जाता है कि सरकारी कार्यालयों में आम नागरिकों को अपनी बात रखने में कठिनाई होती है, लेकिन जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल दिया है। जनता का कहना है कि वे पहले जिलाधिकारी हैं जो न केवल कार्यालय में बैठकर लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं, बल्कि जनता दरबार में जाकर उनकी बात सुनते हैं। इस तरह की पहल ने नागरिकों के मन में विश्वास और प्रशासन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।

जनता दरबार की अनूठी कार्यप्रणाली

जनता दरबार की इस अनूठी पहल ने उमेश मिश्रा को खास बना दिया है। आमतौर पर जनता के मुद्दे अधिकारियों के पास कई माध्यमों से पहुँचते हैं, लेकिन जब जिला अधिकारी स्वयं जाकर लोगों से मिलते हैं तो यह नागरिकों को अपनी समस्याओं को साझा करने के लिए अधिक प्रेरित करता है। इस विशेष दिन, जिलाधिकारी ने फरियादियों से कहा, “मैं आपके पास स्वयं आया हूं ताकि आपकी समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। आप आराम से अपनी जगह पर बैठें और अपनी बात मेरे सामने रखें।” यह सुनकर लोगों में एक नई उम्मीद और राहत की लहर दौड़ गई।

24×7 सेवा भावना: जनता की हर समस्या का हल

उमेश मिश्रा ने यह साबित किया है कि सेवा भावना ही सबसे बड़ा कर्तव्य है। उन्होंने नियमित रूप से अपने कार्यालय में फरियादियों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना और उन्हें हल करने के लिए तत्पर रहे। यह कोई नई बात नहीं है कि सरकारी अधिकारियों के लिए जनता की समस्याओं का समाधान कठिन हो सकता है, लेकिन जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के मामले में यह कुछ अलग था। उन्होंने अपने कार्यों से यह दर्शाया कि एक समर्पित अधिकारी न केवल अपनी जिम्मेदारियों को निभाता है, बल्कि लोगों के दिलों में अपनी अलग छवि भी बनाता है।

शासन और प्रशासन के बीच का संकल्प

उनकी यह कार्यशैली शासन और प्रशासन के बीच के संकल्प को भी दर्शाती है। जहां एक ओर प्रशासन का कर्तव्य जनता को सेवा देना है, वहीं दूसरी ओर जनता का भी यह कर्तव्य बनता है कि वे अपने अधिकारों और समस्याओं को उचित तरीके से उठाएं। उमेश मिश्रा ने इस रिश्ते को मजबूती दी है। उनकी सोच है कि सिर्फ आदेश और निर्देश से ही काम नहीं चलता; जरूरत है संवेदनशीलता और तत्परता की।

जनता के दिलों में जगह बनाने का मंत्र

जिलाधिकारी उमेश मिश्रा का यह प्रयास उदाहरण पेश करता है कि जब अधिकारी जनता के बीच होते हैं, तो न केवल समस्याओं का समाधान जल्दी होता है, बल्कि जनता का प्रशासन के प्रति विश्वास भी बढ़ता है। उनके कार्यों ने यह साबित किया कि प्रशासनिक सुधार और संवेदनशील नेतृत्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है जनता की समस्याओं को समझना और तत्काल समाधान निकालना।

एक नई उम्मीद: परिवर्तन की ओर कदम

आज की तारीख में जब सरकारों और अधिकारियों पर आलोचना की जाती है, तो उमेश मिश्रा जैसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि बदलाव संभव है और अगर अधिकारियों में सच्ची सेवा भावना हो तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। मुजफ्फरनगर में उमेश मिश्रा के कार्यों ने जनता में यह विश्वास जागृत किया है कि प्रशासन वास्तव में जनता की सेवा के लिए है, और इसके लिए जरूरी है कि वे जनता की समस्याओं को समझें और उनके समाधान में सक्रिय रूप से भाग लें।

जनता से जुड़ाव का अनोखा तरीका

उनकी यह पहल केवल एक प्रशासनिक गतिविधि नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन का रूप लेती है। जिस दिन उन्होंने जनता दरबार में फरियादियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं, वह दिन मुजफ्फरनगर की जनता के लिए ऐतिहासिक था। जनता का कहना है कि यह पहली बार हुआ है कि एक जिलाधिकारी उनके बीच जाकर उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। इस प्रक्रिया से प्रशासन और जनता के बीच का अविश्वास कम हुआ है, और यह संकेत है कि भविष्य में प्रशासन और अधिक जन-केंद्रित रहेगा।

अंत में, उमेश मिश्रा का यह प्रयास सरकारी अधिकारियों के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है। उनका यह तरीका यह बताता है कि अगर अधिकारी जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझें और उनका समाधान करें, तो यह समाज की उन्नति और प्रशासन के विश्वास को बढ़ावा देने में सहायक होता है।



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