Muzaffarnagar के ऐतिहासिक सोरम गांव में तीन दिवसीय सर्वखाप पंचायत (16–18 नवंबर) की शुरुआत रविवार सुबह भारी उत्साह और बड़ी भीड़ के साथ हुई। उम्मीद से कहीं अधिक लोगों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।Khap Panchayat के इस बड़े जमावड़े में किसानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, गांवों की चौधरियों, युवाओं, महिलाओं और विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
आयोजकों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि यह मंच केवल सामाजिक और किसान-मुद्दों पर केंद्रित रहेगा।
राजनीतिक भाषण, राजनीतिक प्रचार या किसी दल से जुड़ी टिप्पणी यहां पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
पंचायत का उद्देश्य है—
✔ समाजिक एकता,
✔ किसान मुद्दों का समाधान,
✔ परंपरागत खाप व्यवस्था को मजबूत करना,
✔ और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक साझा मंच देना।
सोरम पहुंची भीड़—मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बागपत, हरियाणा और राजस्थान से लोगों का तांता
सुबह होते ही सोरम की गलियों, चौपालों, स्कूल मैदानों और मुख्य चौक पर लोगों का रेला शुरू हो चुका था।
Khap Panchayat में शामिल होने के लिए—
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मुजफ्फरनगर
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सहारनपुर
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शामली
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बागपत
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हरियाणा के कई जिलों
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राजस्थान और उत्तराखंड
से भी समुदायों के बड़े समूह पहुंचे।
युवा मोटरसाइकिलों पर झुंड बनाकर आए, वरिष्ठ समाजसेवी अपने प्रतिनिधि मंडलों के साथ पहुंचे, और महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर उपस्थिति दर्ज कराई।
सोरम एक बार फिर वही दृश्य पेश कर रहा था, जिसे अक्सर इतिहास में चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की विशाल सभाओं के दौरान देखा गया करता था।
छत्तीसगढ़ से पहुंचे पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर—कहा: “समस्याएँ रखेंगे, राजनीति नहीं करेंगे”
सोरम की इस Khap Panchayat में सबसे खास उपस्थिति रही छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर की।
वे अपने इलाके के आदिवासी किसानों की गंभीर समस्याओं को लेकर सोरम पहुंचे।
उन्होंने कहा—
“हम यहां खाप पंचायत का तौर-तरीका समझने आए हैं।
अपने क्षेत्र के किसानों की आवाज इस सर्वखाप मंच पर रखेंगे।
अच्छी बात यह है कि यहां राजनीति की कोई जगह नहीं है।
केवल समाज और किसान की बात होगी।”
जनक लाल ठाकुर की मौजूदगी ने इस आयोजन को एक राष्ट्रीय स्तर का रंग दे दिया।
पहली बार छत्तीसगढ़ से इतनी बड़ी प्रतिनिधि टीम आई, जिससे सर्वखाप पंचायत की प्रभावशीलता और व्यापकता साफ दिखाई दे रही है।
गठवाला खाप की उपस्थिति पर संशय था—लेकिन नाराजगी के बावजूद पहुंचे थांबेदार
सोरम में एक बड़ा सवाल यह था कि गठवाला खाप इस आयोजन में हिस्सा लेगी या नहीं। कई दिनों से चर्चा थी कि कुछ विवादों और नाराजगियों के कारण उनका आना मुश्किल है।
लेकिन रविवार सुबह तस्वीर बदल गई—
गठवाला खाप के थांबेदार रविंद्र सिंह और अन्य प्रतिनिधि समूह बनाकर सोरम पहुंच गए।
उन्होंने कहा—
“यह सामाजिक पंचायत है। यहां सबका स्वागत है।
भले ही नाराज़गी हो, पर समाजिक मुद्दों पर एकजुट होना जरूरी है।
इसलिए हम यहां आए हैं।”
उनकी उपस्थिति ने माहौल को सकारात्मक बनाया और क्षेत्र में एकता का संदेश भेजा।
खापों की सामाजिक एकता पर बड़ा संदेश—“समाज पहले, राजनीति बाद में”
पंचायत के विभिन्न सत्रों में हर खाप प्रतिनिधि की यही मांग रही कि—
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ग्रामीण सामाजिक संरचना को और मजबूत किया जाए
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युवाओं को खाप व्यवस्था का सही उद्देश्य समझाया जाए
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पंचायतों में निर्णय पारदर्शी हों
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परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाया जाए
आयोजकों ने यह भी साफ कर दिया कि यह मंच किसी दल, नेता या चुनाव से नहीं जुड़ा है।
भविष्य में भी Khap Panchayat सामाजिक मुद्दों पर ही केंद्रित रहेगी।
सोरम में किसान मसीहा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की प्रतिमा का भव्य अनावरण
इस सर्वखाप पंचायत का सबसे भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण तब आया जब किसानों ने चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की नई प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रतिमा का अनावरण शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर ओमानंद ब्रह्मचारी ने अपने कर-कमलों से किया।
इस दौरान पूरा मैदान “किसान एकता ज़िंदाबाद” के नारों से गूंज उठा।
किसान नेताओं और प्रतिनिधियों ने कहा—
“टिकैत साहब सिर्फ एक नेता नहीं थे, किसान चेतना के स्तंभ थे।
उनकी याद में यहां प्रतिमा लगना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।”
ओमानंद ब्रह्मचारी का किसानों ने फूल—मालाओं से जोरदार स्वागत किया और आशीर्वाद लिया।
समाज के लिए बड़े प्रस्ताव—खापों की ओर से कई मुद्दों पर चर्चा तेज
पंचायत में शामिल खापों ने कई सामाजिक मुद्दों को चर्चा के लिए रखा—
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इंटर-जातीय विवादों के समाधान
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ग्रामीण महिलाओं की सुरक्षा
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गांवों में नशे के बढ़ते प्रभाव पर नियंत्रण
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युवाओं की रोजगार और शिक्षा से जुड़ी समस्याएं
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किसान आंदोलन और कृषि नीतियों के प्रभाव
सभी खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के लिए सभी को एक मंच पर आना होगा।
उन्होंने यह भी माना कि गाँव-चौपाल की परंपरा ने सदियों से सामाजिक तानाबाना संभाला है।
तीन दिनों की पंचायत—कई प्रस्ताव, कई फैसले और समाज सुधार का बड़ा एजेंडा
पूरे तीन दिनों तक अलग-अलग चौपालों, खुले मंचों, मंडपों और सलाहकार बैठकों में विमर्श चलता रहेगा।
लोगों का कहना है कि इस बार का आयोजन कई मायनों में ऐतिहासिक साबित होगा—
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बड़ी संख्या में बाहरी प्रदेशों की भागीदारी
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राजनीतिक प्रतिबंध का कड़ा पालन
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किसान-समस्याओं पर राष्ट्रीय स्वर
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आधुनिक पीढ़ी को खाप संस्कृति से जोड़ने का प्रयास
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सोशल मीडिया पर लाइव कवरेज से बढ़ती जागरूकता
सोरम गांव इन दिनों किसी महाकुंभ जैसा प्रतीत हो रहा है, जहां किसान अपने मुद्दों को जोर-शोर से उठा रहे हैं।
