Muzaffarnagar जिले के भोपा थाना क्षेत्र में रविवार देर रात एक बड़ा हादसा टल गया, जब सहारनपुर से रिश्तेदारी से लौट रहे युवक की कार अचानक अनियंत्रित होकर गंगनहर की गहरी खाई में गिर गई। गनीमत रही कि वहां खड़ा एक पेड़ कार को सहारा देने में कामयाब हुआ और कार लटक गई। हादसे में कार चालक सुमित कुमार की जान बच गई। घटना ने न केवल लोगों का ध्यान खींचा बल्कि सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए।


कैसे हुआ हादसा?

रविवार देर रात सुमित कुमार, जो कि मोरना का निवासी है, अपनी कार में सहारनपुर से घर लौट रहे थे। जैसे ही उनकी गाड़ी बेलड़ा गांव के पास गंगनहर पटरी पर पहुंची, अचानक सड़क पर नीलगाय आ गई। नीलगाय को बचाने के प्रयास में सुमित की कार का संतुलन बिगड़ गया और गाड़ी सीधे गहरी खाई की ओर चली गई। पेड़ ने सहारा नहीं दिया होता, तो हादसा और भी बड़ा हो सकता था।


राहगीरों और पुलिस ने बचाई जान

हादसे के तुरंत बाद, कांवड़ मार्ग से गुजर रहे अन्य वाहन चालकों ने मदद के लिए कदम बढ़ाया। राहगीरों की सूझबूझ और त्वरित प्रयासों से सुमित को सुरक्षित कार से बाहर निकाला गया। घटना की सूचना मिलते ही सीकरी चौकी प्रभारी शीशपाल सिंह मौके पर पहुंचे और चालक से पूछताछ की। स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि गंगनहर किनारे पेड़ नहीं होता तो स्थिति गंभीर हो सकती थी।


गंगनहर पटरी का खतरनाक मोड़

भोपा थाना क्षेत्र के बेलड़ा गांव के पास गंगनहर पटरी एक खतरनाक मोड़ के लिए जानी जाती है। इस स्थान पर पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। सड़क किनारे की सुरक्षा व्यवस्था पर ग्रामीणों ने कई बार सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर नहर के किनारे मजबूत रेलिंग होती, तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।


नीलगाय और सड़क सुरक्षा पर सवाल

यह पहली बार नहीं है जब सड़क पर नीलगाय के आने से दुर्घटना हुई हो। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नीलगायों का सड़क पर आ जाना एक आम समस्या बन चुकी है। इनकी वजह से हर साल कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वन विभाग को इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। नीलगायों के लिए सुरक्षित वन क्षेत्र सुनिश्चित करना और सड़क किनारे साइन बोर्ड लगाना बेहद जरूरी है।


स्थानीय लोगों की मांग

घटना के बाद, स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कुछ अहम मांगें की हैं:

  1. गंगनहर पटरी के किनारे मजबूत रेलिंग लगाई जाए।
  2. नीलगाय और अन्य जंगली जानवरों को सड़क से दूर रखने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं।
  3. इस तरह के खतरनाक मोड़ों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
  4. सड़क की गुणवत्ता में सुधार लाया जाए।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

इस हादसे के बाद बेलड़ा गांव के निवासियों ने इसे एक “चमत्कार” करार दिया। एक ग्रामीण ने कहा, “अगर वहां पेड़ नहीं होता, तो यह हादसा बहुत बड़ा हो सकता था। यह भगवान की कृपा थी कि सुमित बच गए।”


पहले भी हो चुके हैं हादसे

बेलड़ा गांव और गंगनहर पटरी के आस-पास पहले भी कई सड़क हादसे हो चुके हैं। पिछले साल, एक ट्रक भी इसी तरह खाई में गिर गया था, जिसमें चालक की मौत हो गई थी। स्थानीय प्रशासन ने इन घटनाओं के बाद भी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।


सड़क सुरक्षा पर क्या कहता है प्रशासन?

भोपा थाना प्रभारी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गंगनहर पटरी पर सुरक्षा बढ़ाने के सुझाव जिला प्रशासन को भेजे गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नीलगायों की बढ़ती संख्या के कारण सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। प्रशासन इस दिशा में वन विभाग के साथ मिलकर काम करेगा।


विशेषज्ञों की राय

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के हादसों को रोकने के लिए बेहतर सड़क डिजाइन, जंगली जानवरों के लिए विशेष गलियारे और स्थानीय प्रशासन की तत्परता बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि ऐसे संवेदनशील इलाकों में वाहन चालकों को सावधानीपूर्वक गाड़ी चलानी चाहिए और रात के समय स्पीड लिमिट का पालन करना चाहिए।


निष्कर्ष नहीं, सावधानी जरूरी

यह घटना केवल एक चेतावनी है कि सड़क सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। बेलड़ा गांव के पास हुए इस हादसे में पेड़ ने भले ही एक जान बचा ली हो, लेकिन अगर सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे हादसे और जानलेवा हो सकते हैं।


ध्यान दें: यह घटना न केवल सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत को दर्शाती है, बल्कि प्रशासन और स्थानीय लोगों के सामूहिक प्रयासों की भी मांग करती है।



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