शुकतीर्थ। मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) 21 जून को देशभर में मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की भव्यता उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की पौराणिक तीर्थनगरी शुक्रतीर्थ में भी देखने को मिली, जहां सूर्योदय से पूर्व ही गंगा किनारे हजारों लोगों ने सामूहिक योगाभ्यास करके एक ऐतिहासिक क्षण को जीवंत कर दिया।
प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी और आमजन एक साथ योग की राह पर
इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि इसमें प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, महिला समूह, बच्चों और बुजुर्गों सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उपजिलाधिकारी जानसठ जयेंद्र सिंह के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में योग की महत्ता को जीवन का हिस्सा बनाने का संदेश दिया गया।
योग का संदेश: स्वस्थ जीवन की कुंजी
कार्यक्रम में योग प्रशिक्षिका सीमा सिंह, नीरज तोमर और सीमा एडवोकेट ने विभिन्न योगासनों का प्रशिक्षण देकर उपस्थित जनसमूह को योग के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभों से अवगत कराया। सीमा सिंह ने जोर देकर कहा कि, “महिलाओं को भी नियमित योग को अपनाना चाहिए, यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।” वहीं नीरज तोमर ने कहा कि हर योग क्रिया का अलग प्रभाव होता है और इसे सीखना बेहद सरल है। योग आत्मा और शरीर दोनों को शुद्ध करता है।
भारतीय संस्कृति में योग का स्थान
इस आयोजन के दौरान वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि योग भारत की संस्कृति और सभ्यता का आधार है। योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। योग को वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया, जिनके प्रयासों से आज दुनिया भर में योग को अपनाया जा रहा है।
बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी
इस भव्य आयोजन में तहसीलदार श्रद्धा गुप्ता, ब्लॉक पंचायत प्रमुख अनिल राठी, नायब तहसीलदार बृजेश सिंह, राजस्व निरीक्षक सुनील कुमार शर्मा, विनोद कुमार, मुकेश कुमार, अजय कृष्ण शास्त्री, कैप्टन सुधीश, योगेश्वर दत्त त्यागी एडिओ, विनोद शर्मा, प्रधान राजपाल सैनी, नीरज रॉयल शास्त्री, प्रदीप निर्वाल, राजकुमार प्रधान, देवेंद्र आर्य, मदन पाल, प्रवीण कुमार, सुरेंद्र सिंह, डॉ. सुरेंद्र कुमार वर्मा, डॉ. निधि सैनी, और नगर पंचायत भोकरहेड़ी के कर्मचारियों, गुरुकुल छात्रों और अन्य समाजसेवियों ने भाग लिया।
गंगा घाट पर बने योग साधना का केंद्र
शुक्रतीर्थ के पवित्र गंगा घाट पर आयोजित इस योग सत्र ने वहां की पौराणिकता में एक आधुनिक अध्यात्मिकता का संचार कर दिया। लोग योग करने के बाद काफी प्रसन्न और ऊर्जावान महसूस कर रहे थे। बच्चों ने सूर्य नमस्कार और ताड़ासन जैसे सरल योगासन कर मन को शांत करने का अनुभव साझा किया।
युवाओं को योग की ओर मोड़ने का सफल प्रयास
यह आयोजन सिर्फ स्वास्थ्य लाभ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि युवाओं को एक सकारात्मक जीवन शैली अपनाने की प्रेरणा भी मिली। विद्यालयों और गुरुकुलों से आए बच्चों ने अनुशासन के साथ योग किया, जिससे यह संदेश गया कि भारत का भविष्य योग के प्रकाश में सुरक्षित है।
स्थानीय प्रशासन का अहम योगदान
इस सफल आयोजन के पीछे स्थानीय प्रशासन की सक्रियता और सजगता की अहम भूमिका रही। कार्यक्रम को व्यवस्थित और सुचारु रूप से संपन्न करने में अधिकारियों और कर्मचारियों ने दिन-रात मेहनत की। पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और स्वच्छता विभाग की टीमों ने भी पूरे कार्यक्रम को सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में पूरा कराने में योगदान दिया।
जनमानस में जागरूकता का संचार
इस योग महोत्सव ने लोगों में एक नई सोच और जागरूकता की लहर पैदा की है। अब योग केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि जीवन की आवश्यकता बनता जा रहा है।
अगले साल के लिए नई प्रेरणा
इस वर्ष की सफलता ने अगले वर्ष के योग दिवस के आयोजन के लिए नई प्रेरणा दी है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने वादा किया कि अगले साल इसे और भी भव्य और व्यापक बनाया जाएगा, और अधिक गांवों और नगरों को इससे जोड़ा जाएगा।
समापन में हुए भजन व संकल्प
कार्यक्रम का समापन गंगा आरती और भजन गायन के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित लोगों ने शांति और स्वास्थ्य के लिए सामूहिक प्रार्थना की। साथ ही यह संकल्प लिया गया कि योग को अब हर दिन के जीवन का हिस्सा बनाएंगे और अपने परिवार व समाज को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।
शुक्रतीर्थ के गंगा तट पर आयोजित योग महोत्सव ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब प्रशासन, समाज और जनसामान्य एक साथ आ जाएं, तो कोई भी उद्देश्य असंभव नहीं होता। यह कार्यक्रम न केवल योग का उत्सव था, बल्कि भारतीय संस्कृति की पुनर्पुष्टि भी।