जलालाबाद, Muzaffarnagar: श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र जलालाबाद में आज एक विशेष और ऐतिहासिक घटना घटी। आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री 108 निश्चित सागर जी महाराज ने नानौता से जलालाबाद जैन मंदिर के लिए भव्य मंगल प्रवेश किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया।

मुनि श्री 108 निश्चित सागर जी महाराज का आशीर्वाद

मुनि श्री 108 निश्चित सागर जी महाराज की उपस्थिति ने जलालाबाद क्षेत्र में धर्म और आस्था का नया प्रकाश फैला दिया। उनके स्वागत समारोह में बड़ी संख्या में श्रावकों ने भाग लिया। मुनि श्री के साथ मंदिर परिसर में भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक और शांतिधारा की विशेष पूजा विधि संपन्न कराई गई। इस अवसर पर मुनि श्री ने भगवान पार्श्वनाथ जी की वीतराग मुद्रा को देखा और उन्होंने कहा, “प्रभु की वीतराग मुद्रा को देखकर मेरा मन आनंद से भर गया।”

शांतिधारा और अभिषेक का महत्व

इस अवसर पर मुनि श्री के सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ का अभिषेक विधिपूर्वक संपन्न हुआ। मंदिर में आचार्य महाराज के द्वारा शांतिधारा भी कराई गई, जिससे न केवल मंदिर का वातावरण शुद्ध हुआ, बल्कि श्रद्धालुओं का मानसिक और आध्यात्मिक स्तर भी ऊंचा हुआ। मुनि श्री ने इस अवसर पर कहा कि, “इस प्राचीन और दिव्य स्थल पर आकर मन के सभी संताप दूर हो जाते हैं।”

धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार

मुनि श्री ने जलालाबाद क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि, “यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है। यहां की शांति और समृद्धि दर्शाते हैं कि इस क्षेत्र में बहुत सारे विकास कार्य हुए हैं। यहाँ पर आने से मन को शांति मिलती है और जीवन की कठिनाइयाँ कुछ पल के लिए भूल जाती हैं।”

जैन समाज की एकता और समृद्धि

मुनि श्री ने इस अवसर पर जैन समाज की एकता और सामूहिक प्रयासों की भी सराहना की। जलालाबाद के जैन समुदाय के सदस्य पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए और सभी ने मिलकर मंदिर की खुशहाली के लिए प्रार्थनाएं कीं।

मंगल विहार में महत्वपूर्ण शख्सियतों की उपस्थिति

इस धार्मिक आयोजन में जलालाबाद और आसपास के क्षेत्रों के कई प्रमुख जैन व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें मंत्री सुशील कुमार जैन, सुभाष जैन, जे.के. जैन, मोहित जैन, प्रदीप जैन, अंकित जैन, एडवोकेट कैराना और कई अन्य जैन परिवार शामिल थे। इन प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस धार्मिक अनुष्ठान को और भी महत्वपूर्ण बना दिया।

धार्मिक प्रवचन का प्रभाव

मुनि श्री ने अपने प्रवचन में भगवान पार्श्वनाथ के जीवन और उनके सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, “शांति और अहिंसा का मार्ग ही जीवन का सबसे श्रेष्ठ मार्ग है। जब तक हम अपने दिल और मस्तिष्क को शुद्ध नहीं करेंगे, तब तक हम संसार की कठिनाइयों से मुक्त नहीं हो सकते।”

भविष्य के लिए आशा और प्रार्थनाएं

मुनि श्री ने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया कि वे इस महान स्थल पर आकर अपनी श्रद्धा और विश्वास को और मजबूत करें। उन्होंने कहा, “हमारे समाज की शक्ति और एकता में ही भगवान की कृपा छुपी हुई है। आप सभी अपने आचार और कर्मों से समाज में शांति और समृद्धि का वातावरण बनाएं।”

समाज के लिए एक प्रेरणा

इस धार्मिक अनुष्ठान के आयोजन ने जैन समाज को एकजुट करने का काम किया है और साथ ही यह समाज को यह संदेश दिया है कि आत्मा की शांति और धार्मिक आस्थाएं ही जीवन की सच्ची सुख-संपत्ति हैं। जलालाबाद में हुए इस अनुष्ठान ने समाज के प्रत्येक वर्ग को अपने धार्मिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया है।

जलालाबाद अतिशय क्षेत्र के बारे में कुछ और जानकारी

जलालाबाद का श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह स्थान जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ पर कई प्राचीन मूर्तियाँ और जैन धार्मिक आस्थाओं के प्रतीक स्थित हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान न केवल भगवान के दर्शन करते हैं, बल्कि उनके जीवन और शिक्षाओं को भी समझने का प्रयास करते हैं।

समापन में प्रभु से आशीर्वाद की कामना

इस आशीर्वादपूर्ण अवसर पर सभी श्रद्धालु ने मिलकर प्रभु से यह प्रार्थना की कि उनकी जिंदगी में शांति, समृद्धि, और खुशियाँ हमेशा बनी रहें। उन्होंने भगवान से यह भी आशीर्वाद लिया कि समाज में शांति और अहिंसा का संदेश फैले और सभी लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और सहयोग के साथ जीवन जी सकें।



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