शुक्रवार सुबह का समय, मुजफ्फरनगर जिला कारागार Muzaffarnagar  के भीतर अचानक हलचल मच गई। ऐसा लग रहा था जैसे किसी बड़े अधिकारी का दौरा हो। और सच में, यह दौरा मामूली नहीं था। जिला न्यायाधीश संतोष राय स्वयं जिलाधिकारी उमेश मिश्रा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा के साथ जेल का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए। इस अभूतपूर्व निरीक्षण ने जेल प्रशासन की नींदें उड़ा दीं।

सुरक्षा से लेकर स्वच्छता तक, हर पहलू पर की गई गहन जांच

निरीक्षण के दौरान जेल की व्यवस्थाएं, बंदियों को दी जा रही सुविधाएं और सुरक्षा इंतजामों का पूरी टीम ने बारीकी से विश्लेषण किया। टीम में मौजूद न्यायिक, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी चप्पे-चप्पे पर नजर दौड़ा रहे थे। पुरुष और महिला बैरकों से लेकर जेल की रसोई तक, हर कोना छाना गया। यहां तक कि खाना बनते हुए भी देखा गया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंदियों को निर्धारित मेन्यू के अनुसार गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल रहा है या नहीं।

बंदियों से सीधी बातचीत, सामने आईं कई चौंकाने वाली बातें

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अधिकारियों ने बंदियों से सीधी बातचीत की। बातचीत में बंदियों ने स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, समय पर भोजन न मिलना, और स्वच्छता की खस्ताहाल जैसी कई समस्याएं सामने रखीं। इनमें से कुछ शिकायतें इतनी गंभीर थीं कि प्रशासनिक अधिकारियों के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी।

जैमर और सीसीटीवी की पड़ताल, सुरक्षा मानकों की जांच में मिले कई खामियां

कारागार के सुरक्षा पहलुओं की बात करें तो जैमर प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों की कार्यप्रणाली को भी जांचा गया। कई स्थानों पर कैमरों की रिकॉर्डिंग में अंतर पाया गया, जिससे जेल के भीतर की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए।

जेल अस्पताल में मिलीं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी

निरीक्षण के दौरान टीम ने जेल परिसर में स्थित अस्पताल का भी जायजा लिया। यहां ओपीडी सेवाओं, दवाओं की उपलब्धता, और मरीजों की देखरेख की स्थिति की समीक्षा की गई। कुछ बंदियों ने बताया कि उन्हें कई बार डॉक्टर देखने तक नहीं आते, जिससे उपचार में देरी होती है। न्यायाधीश ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और निर्देश दिया कि इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

स्वच्छता पर सख्त निर्देश, मेन्यू के अनुसार भोजन सुनिश्चित करने की चेतावनी

निरीक्षण के दौरान बार-बार एक ही बात पर ज़ोर दिया गया – स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता। न्यायाधीश संतोष राय ने स्पष्ट किया कि शासन की मंशा के अनुसार, बंदियों को सभी जरूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने जेल अधिकारियों को निर्देशित किया कि मेन्यू से कोई भी समझौता बर्दाश्त नहीं होगा, और स्वच्छता मानकों का पालन हर हाल में होना चाहिए।

शातिर बंदियों पर विशेष निगरानी, प्रतिबंधित वस्तुओं पर रोक की रणनीति

जिला न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिए कि शातिर अपराधियों पर विशेष निगरानी रखी जाए। जेल के भीतर मोबाइल, नशा सामग्री या अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं कैसे पहुंचती हैं, इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी स्थिति में जेल की सुरक्षा से समझौता न हो।

पुलिस बल को सख्त निर्देश, ड्यूटी में कोताही पर कार्रवाई तय

निरीक्षण के अंत में, जेल में तैनात पुलिस कर्मियों को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए। उन्हें बताया गया कि ड्यूटी में कोई कोताही या ढील पाए जाने पर सीधी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जेल प्रशासन से कहा कि हर कर्मी की कार्यशैली का नियमित मूल्यांकन किया जाए।

पिछले औचक निरीक्षणों में भी सामने आ चुकी हैं गंभीर लापरवाहियां

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर जिला कारागार में पहले भी कई बार अचानक निरीक्षण किए जा चुके हैं। हर बार कुछ न कुछ खामियां उजागर होती रही हैं – कभी रसोई की गंदगी, कभी बंदियों की संख्या से अधिक की भीड़, तो कभी स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था। यह स्पष्ट करता है कि जेल प्रशासन को पूरी तरह अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

न्यायपालिका और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई से उठी उम्मीद की किरण

इस निरीक्षण के बाद आम जनमानस में यह संदेश गया कि प्रशासन और न्यायपालिका कानून व्यवस्था को लेकर सजग और सतर्क हैं। बंदियों की मूलभूत अधिकारों की रक्षा, और जेल व्यवस्था में सुधार की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।


**इस औचक निरीक्षण ने न सिर्फ जेल प्रशासन को चेताया है बल्कि जेल के भीतर की वास्तविक स्थिति को भी उजागर किया है। बंदियों के मानवाधिकारों की रक्षा और जेल सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए ऐसी सख्ती समय-समय पर बेहद जरूरी है। न्यायाधीश संतोष राय, जिलाधिकारी उमेश मिश्रा और एसएसपी संजय कुमार वर्मा की इस कार्रवाई से आम लोगों में एक सकारात्मक संदेश गया है कि कानून के पहरेदार अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं।**



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