Muzaffarnagar जनपद का गढ़ी नौआबाद गांव रविवार को गहरे शोक में डूबा रहा, जब गांव के वीर सपूत और गाजियाबाद पुलिस लाइन में तैनात सिपाही हिमांशु सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। शनिवार को मेरठ के जानी गंगनहर चौधरी चरण सिंह कांवड़ मार्ग पर हुए एक भीषण सड़क हादसे में हिमांशु की दर्दनाक मौत हो गई थी।

हिमांशु ड्यूटी समाप्त कर अपनी अपाचे बाइक (UP17-10247) से घर लौट रहे थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि हिमांशु सड़क पर गिर पड़े और मौके पर ही उनका निधन हो गया।


गांव में उमड़ा जनसैलाब, अंतिम दर्शन को उमड़े लोग

रविवार सुबह जब मेरठ पुलिस लाइन से हिमांशु का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पूरा गढ़ी नौआबाद गांव शोक में डूब गया। मातम के बीच गारद सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी की गई। हर कोई अपने वीर बेटे के अंतिम दर्शन को उमड़ा।

राजकीय सम्मान के साथ सिपाही का अंतिम संस्कार कर पूरा गांव नम आंखों से उसे विदाई देता नजर आया। फूलों से सजी अर्थी, जय हिंद के नारों के बीच पुलिस गारद द्वारा दी गई सलामी ने माहौल को और भी भावुक बना दिया।


बुढ़ाना विधायक राजपाल बालियान और प्रशासनिक अधिकारी रहे मौजूद

शोक की इस घड़ी में राजनीतिक और प्रशासनिक चेहरों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। बुढ़ाना सीट से रालोद विधायक राजपाल बालियान, जिला पंचायत सदस्य अंकित बालियान, सीओ फुगाना षिका सिंह, थानाध्यक्ष भौराकलां पवन कुमार सहित कई गणमान्य लोग अंतिम संस्कार में पहुंचे।

विधायक राजपाल बालियान ने शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाते हुए कहा, “हिमांशु जैसे जवानों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। सरकार परिवार के साथ है और हर संभव मदद की जाएगी।”


परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, मां की चीख से कांप उठा गांव

हिमांशु सिंह के परिवार में मातम का ऐसा मंज़र था कि हर कोई रो पड़ा। उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल था। भाई-बहन बेसुध से हो गए। हिमांशु की शादी की चर्चा चल रही थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, हर कोई यह कहता सुना गया कि “हिमांशु एक जिम्मेदार बेटा और देशभक्त सिपाही था। उसे खोकर हम सबने एक होनहार युवा को खो दिया।”


यूपी पुलिस की ड्यूटी पर लगती बलि, कई मामलों में लापरवाही उजागर

हिमांशु की मौत केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक बड़ा सवाल है — आखिर सड़कों पर तैनात जवानों की सुरक्षा के लिए क्या किया जा रहा है? उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जहां पुलिसकर्मी ड्यूटी से लौटते हुए हादसों का शिकार हो जाते हैं।

गौरतलब है कि बीते 6 महीनों में यूपी पुलिस के करीब 22 जवान सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

इनमें से अधिकांश मामले ऐसे हैं, जहां वाहन चालक दुर्घटना के बाद मौके से फरार हो गए और कोई सुराग नहीं मिला। यह बात पुलिस विभाग की अंदरूनी लापरवाही और सड़क सुरक्षा के प्रति उदासीन रवैये को भी उजागर करती है।


गंगनहर कांवड़ मार्ग पर पहले भी हो चुके हैं कई हादसे

जहां हिमांशु की जान गई, वही कांवड़ मार्ग पहले भी कई गंभीर हादसों का गवाह रह चुका है। इस मार्ग पर कांवड़ यात्रा के दौरान तो ट्रैफिक कंट्रोल रहता है, लेकिन बाकी समय वाहन चालकों की तेज रफ्तार और लापरवाही यहां जानलेवा बन जाती है।

स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन को इस मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, स्पीड ब्रेकर और पेट्रोलिंग सिस्टम लगाने चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।


अब सवाल यह भी – दोषी कब आएगा पकड़ में?

हादसे के बाद जिस अज्ञात वाहन ने हिमांशु को टक्कर मारी, वह मौके से फरार हो गया। अब तक उसकी पहचान नहीं हो सकी है।

भौराकलां थाना पुलिस मामले की जांच में जुटी है, लेकिन परिजन और ग्रामीणों को यह डर सता रहा है कि कहीं यह मामला भी अन्य केसों की तरह ठंडे बस्ते में न चला जाए।


युवा शक्ति में गुस्सा, सोशल मीडिया पर उठी आवाज

हिमांशु की मौत के बाद क्षेत्र के युवाओं ने सोशल मीडिया पर आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है। #JusticeForHimanshu ट्रेंड कर रहा है। युवाओं ने प्रशासन से मांग की है कि हादसे के दोषी वाहन चालक को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए और हिमांशु के परिवार को उचित मुआवजा व सरकारी नौकरी दी जाए।


पुलिस विभाग को झकझोरने वाली घटना, आत्मावलोकन की जरूरत

यह दुर्घटना न सिर्फ हिमांशु के परिवार की तकदीर बदल गई, बल्कि यूपी पुलिस विभाग के सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर गई है। आखिर क्यों बार-बार ड्यूटी पर जाने और लौटने वाले पुलिसकर्मी असुरक्षित हैं? क्या विभाग अपने जवानों के लिए सुरक्षा गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित कर रहा है?

अब वक़्त आ गया है कि विभाग को अपने संसाधनों का आकलन कर यथासंभव सुधार करने होंगे ताकि हिमांशु जैसे और सपूत असमय अपनी जान न गंवाएं।


**हिमांशु सिंह की असामयिक मृत्यु ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। गांव से लेकर शासन तक, हर किसी को अब यह सोचना होगा कि हम अपने सुरक्षाकर्मियों को किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था प्रदान कर रहे हैं। उनकी शहादत को सलाम और परिवार के साथ पूर्ण संवेदना।**



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