Muzaffarnagar नंगला मंदौड क्षेत्र में 27 अगस्त 2013 को घटित घटना ने न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि इसके प्रभावों ने पूरे उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक तनाव को भी बढ़ावा दिया। पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक का हालिया अदालत में पेश होना इस विवादित घटना के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। आइए इस घटनाक्रम के व्यापक संदर्भ को समझें और इस केस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों की गहराई से जांच करें।

घटना का पृष्ठभूमि

27 अगस्त 2013 को, कवाल मलिकपुरा के दो युवकों, गौरव और सचिन, की हत्या के विरोध में हिंदू समाज के लोगों ने भारतीय इंटर कॉलेज, नंगला मंदौड स्कूल परिसर में एक सभा आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव प्रशासन से अनुमति प्राप्त करने के लिए था, लेकिन जनपद में धारा 144 आईपीसी लागू होने के कारण प्रशासन ने अनुमति देने से इंकार कर दिया। धारा 144 के तहत, किसी भी सार्वजनिक सभा या विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाती है जब तक कि यह सार्वजनिक शांति को खतरे में डालने के लिए न हो।

पुलिस ने इस प्रस्तावित सभा को देखते हुए भोपा और खतौली नहर पर सुरक्षा बल तैनात कर दिए थे ताकि बैठक में शामिल होने वाले लोगों को रोका जा सके। इसके बावजूद, सभा का आयोजन होने की सूचना मिली और इसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया।

मुकदमा और आरोप

इस मामले में 16 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें श्यामपाल चेयरमैन दौलतपुर, भाजपा नेता उमेश मलिक, कुंवर भारतेन्दु सिंह, पूर्व सांसद सोहनवीर सिंह, पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक, विरेन्द्र सिंह पूर्व प्रमुख, भाजपा नेता कपिलदेव अग्रवाल, पूर्व विधायक सुरेश राणा, और पूर्व विधायक अशोक कंसल शामिल थे। सभी पर विधिविरुद्ध सभा करने, साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और उकसाने के आरोप थे।

उमेश मलिक का मामला

पूर्व विधायक उमेश मलिक के खिलाफ लगे आरोपों में विशेष रूप से विधिविरुद्ध सभा आयोजित करने और साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप शामिल है। अदालत में पेशी के दौरान, उमेश मलिक के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रिजेन्द्र मलिक, अधिवक्ता आदेश सैनी, एड. पुष्पेन्द्र कुमार, और एड. श्यामबीर सिंह जैसे अन्य अधिवक्तागण भी उपस्थित थे। इस पेशी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि न्यायिक प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ चल सके।

मुजफ्फरनगर दंगे और उनका प्रभाव

मुजफ्फरनगर दंगे, जो कि इस घटना से जुड़े थे, एक गंभीर साम्प्रदायिक घटना थी जिसने पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का माहौल पैदा किया। दंगे ने कई लोगों की जान ली, हजारों को विस्थापित किया, और स्थानीय समाज को गहरे ध्रुवीकृत कर दिया। इस घटना ने भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को भी निशाने पर लिया, जिन पर आरोप था कि वे दंगे को भड़काने में शामिल थे।

राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

उमेश मलिक और अन्य नेताओं के खिलाफ आरोपों के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को समझना महत्वपूर्ण है। दंगे के बाद, राजनीति में कई बदलाव हुए, और भाजपा ने अपनी स्थिति को लेकर कई बार सफाई दी। समाज में भी विभाजन की रेखाएँ स्पष्ट हो गईं, और इसने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करने की आवश्यकता को उजागर किया।

न्यायिक प्रक्रिया और भविष्य की राह

मुकदमे की अदालत में पेशी एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया की दिशा और गति इस बात पर निर्भर करेगी कि कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से गवाहियाँ पेश की जाती हैं और सबूतों का मूल्यांकन किया जाता है। यह भी देखना होगा कि अदालत किस प्रकार से इस मामले में निर्णय लेती है और क्या इससे भविष्य में सामाजिक सौहार्द को लेकर कोई महत्वपूर्ण संदेश जाता है।

पूर्व विधायक उमेश मलिक की अदालत में पेशी न केवल इस विशिष्ट मामले के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मुजफ्फरनगर दंगों की व्यापक जांच और न्यायिक प्रक्रिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस तरह की घटनाएँ और उनके परिणाम स्थानीय और राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं, और इनका गहन विश्लेषण समाज को समझने में मदद करता है कि कैसे राजनीति, कानून, और समाज के अन्य पहलू एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार के मामलों से यह सीखने को मिलता है कि कैसे समाज और राजनीति को संतुलित रखना और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है 27 अगस्त 2013 को कवाल मलिकपुरा निवासी गौरव व सचिन हत्या के विरोध में हिन्दू समाज के लोगों द्वारा भारतीय इण्टर काॅलेज नंगला मंदौड स्कूल परिसर में एक सभा आयोजित करने की प्रशासन से अनुमति मंागी थी। प्रशासन द्वारा जनपद मे धारा 144 आईपीसी लागू होने के कारण जनपद मे शांति व्यवस्था को देखते हुए अनुमति प्रदान नही की थी। इस प्रस्तावित सभा को देखते हुए भोपा नहर, खतौली नहर पर बैठक मे आने वालो को रोकने के लिए पुलिस बल लगाया गया था। पुलिस ने उक्त मामले मे 16 आरोपियों श्यामपाल चेयरमैन दौलतपुर,भाजपा नेता उमेश मलिक, कंुवर भारतेन्दु सिंह,पूर्व संासद सोहनवीर सिंह, पूर्व संासद हरेन्द्र मलिक, विरेन्द्र सिंह पूर्व प्रमुख,भाजपा नेता कपिलदेव अग्रवाल, पूर्व विधायक सुरेश राणा, पूर्व विधायक अशोक कंसल आदि के खिलाफ विधि विरूद्ध सभा करने तथा साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाडने के लिए भाषण देना आदि विभिन्न आरोपो के चलते मुकदमा दर्ज किया गया था। न्यायालय मे चल रहे उक्त मामले तारीख लगने के कारण े आज पूर्व विधायक उमेश मलिक सिविल जज सिविल डिविजन फस्र्ट देवेन्द्र सिंह फौजदार की कोर्ट मे पेश हुए। इस दौरान पूर्व विधायक उमेश मलिक के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता ब्रिजेन्द्र मलिक, अधिवक्ता आदेश सैनी, एड.पुष्पेन्द्र कुमार, एड.श्यामबीर सिंह आदि अधिवक्तागण मौजूद रहे।



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