Muzaffarnagar। हाल ही में नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन किया। लेकिन क्या यह कदम वास्तव में नगर के नागरिकों की समस्याओं का समाधान करेगा? यह सवाल सभी के मन में है, क्योंकि शहर के कई क्षेत्र, जैसे प्रेमपुरी, खलापर और खादरवाला, गंदगी और अव्यवस्था के अंधेरे में डूबे हुए हैं। जहां एक ओर पालिका अध्यक्ष मीडिया में अपनी तस्वीरें खिंचवा रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे वास्तविकता से दूर हैं।

सफाई व्यवस्था का पतन

नगर की सफाई व्यवस्था में पूरी तरह से बुरा हाल है। पिछले बारिश में मुजफ्फरनगर पूरी तरह से जलमग्न हो गया था, और अब भी बारिश के बाद वही स्थिति फिर से देखने को मिल सकती है। नालियों की सफाई न होने के कारण गंदगी और कचरे का ढेर लग गया है। यह केवल नगर की सुंदरता को ही नहीं, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उनके द्वारा की गई शिकायतों का निवारण कभी नहीं हुआ।

सड़कें हैं बदहाल

इंद्राप्रस्थ गैस पाइपलाइन की स्थापना के दौरान शहर की सड़कें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। सभी प्रमुख सड़कों पर गड्ढे और धूल भरे स्थान हैं, जो स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुके हैं। पाइपलाइन के काम के बाद नगर पालिका ने आश्वासन दिया था कि सड़कें दुरुस्त की जाएंगी, लेकिन यह वादा केवल हवा में उड़ गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कें और भी खराब हो गई हैं और उन्हें अपने दैनिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रेमपुरी गांधी पार्क की दयनीय स्थिति

प्रेमपुरी गांधी पार्क, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है, की स्थिति अत्यंत खराब है। इस पार्क में न तो कोई बाउंड्री वॉल है और न ही इसकी रखरखाव का कोई ध्यान दिया गया है। वर्षों पहले, ठेकेदार ने पार्क की दीवारें तोड़ दी थीं, और अब यह पूरी तरह से गंदगी और घास से भरा हुआ है। यहां न तो कोई गेट है और न ही कोई पेड़-पौधे, जिससे पार्क की सुंदरता नष्ट हो गई है।

पार्क में नगर पालिका का एक नलकोप (पंप) और जनरेटर सिस्टम स्थापित है, जो कभी काम नहीं करता। स्थानीय लोगों ने पहले भी इस बारे में शोर मचाया था कि ऑपरेटर डीजल बेच रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह स्थिति पार्क की अनुपयोगिता को दर्शाती है, क्योंकि नलकोप और जनरेटर का कोई सही उपयोग नहीं हो पा रहा है।

पार्क का माहौल इतना खराब हो गया है कि महिलाएं और बच्चे यहां चलने से डरते हैं। शाम के समय, यहां गंदे लोग शराब पीते हैं और जुआ खेलते हैं, जो घास के पीछे छिपकर करते हैं। इस प्रकार के व्यवहार ने पार्क को असुरक्षित बना दिया है, जिससे स्थानीय परिवारों में असंतोष बढ़ रहा है। बच्चे खेलने के लिए बाहर नहीं निकलते, और महिलाएं पार्क में जाने से कतराती हैं।

इसके अलावा, पार्क में हर रोज कुत्ते पड़े रहते हैं, जिससे यहां बैठना भी असंभव हो गया है। यह स्थिति न केवल स्वच्छता के दृष्टिकोण से चिंताजनक है, बल्कि यह नागरिकों के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या भी बन गई है। कुत्तों की उपस्थिति के कारण लोग पार्क में जाने से डरते हैं, जिससे इसका उपयोग लगभग समाप्त हो गया है।

Pump House का निर्माण इतना खराब है कि बारिश के दौरान हमेशा लीक होने की समस्या बनी रहती है। बारिश में पार्क जलमग्न हो जाता है, और इसके कारण यहां की मिट्टी भी कीचड़ में बदल जाती है। इस कारण पार्क का संपूर्ण वातावरण और भी विकृत हो जाता है। यह पार्क अब केवल एक गंदगी का ढेर बनकर रह गया है, जो गांधी जी की आत्मा को भी दुखी कर रहा होगा।

इस प्रकार, प्रेमपुरी गांधी पार्क की दयनीय स्थिति ने इसे केवल एक भुतहा स्थान में बदल दिया है, जहां न तो परिवारों के लिए कोई स्थान है और न ही सामुदायिक गतिविधियों के लिए। इस पार्क को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। नगर पालिका को चाहिए कि वह पार्क के विकास और रखरखाव के लिए उचित योजना बनाये, ताकि यह स्थान फिर से नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और सुखद स्थल बन सके।

इस पार्क को साफ-सुथरा रखने और पुनर्निर्माण के लिए नागरिकों की आवाज़ को सुनना होगा। केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि स्थानीय निवासियों को भी इस मामले में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। गांधी पार्क की स्थिति सुधारने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं, ताकि यह स्थान पुनः समुदाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सके।

मीडिया की तस्वीरें

पालिका परिषद की अध्यक्ष का ध्यान केवल मीडिया की खबरों में दिखने और कार्यक्रमों में भाग लेने तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने नागरिकों के साथ कोई संवाद नहीं किया है। उनकी प्राथमिकता केवल तस्वीरें खिंचवाना और सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होना रह गई है। इससे स्पष्ट है कि वे नगर की वास्तविक समस्याओं को हल करने में रुचि नहीं रखती हैं।

प्रशासन की जिम्मेदारियां

नगर पालिका परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। लेकिन वर्तमान में यह जिम्मेदारी पूरी तरह से नजरअंदाज की जा रही है। कूड़े का ढेर, गंदगी से भरे गली-मोहल्ले, और बिगड़ती सड़कें शहर की पहचान बन चुकी हैं। नागरिकों का कहना है कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि प्रशासन उनकी समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं है।

नागरिकों की प्रतिक्रिया

नगरवासियों का गुस्सा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। उन्हें अब अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कहीं और जाने की जरूरत है। नगर पालिका परिषद के नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन केवल एक औपचारिकता साबित हुआ है, और इसके प्रभावी कार्यान्वयन की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। लोग अब सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठाने लगे हैं, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है।

गंदगी और अव्यवस्था का दौर

महानगरों में जब स्वच्छता अभियान की बातें हो रही हैं, तब मुजफ्फरनगर की स्थिति पर विचार करना आवश्यक है। यहां के नागरिकों को साफ-सफाई की उम्मीद नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ दिया है। कूड़े का ढेर, गंदगी से भरे गली-मोहल्ले, और बिगड़ती सड़कें शहर की पहचान बन चुकी हैं।

मुजफ्फरनगर के नागरिक अब जागरूक हो चुके हैं और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं। नगर पालिका परिषद को चाहिए कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें और वास्तविकता का सामना करें। केवल दिखावे से कोई समस्या हल नहीं होने वाली है। अब समय है कि पालिका परिषद अपनी प्राथमिकताओं को बदले और नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से ले।



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