रविवार सुबह का समय था, जब उत्तर प्रदेश के Muzaffarnagar जिले में अचानक एक जोरदार धमाका हुआ। धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के घरों की दीवारें हिल उठीं और लोग डर के मारे घरों से बाहर निकल आए। यह हादसा नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के गांव तिगरी स्थित वीर बालाजी पेपर मिल में हुआ, जहां एक कर्मी की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से झुलस गए।
धमाके में शिफ्ट इंचार्ज की दर्दनाक मौत, चार की हालत गंभीर
मरने वाले कर्मचारी की पहचान अंकित शर्मा के रूप में हुई है, जो उस समय फैक्ट्री में शिफ्ट इंचार्ज के रूप में कार्यरत थे। जानकारी के अनुसार, सुबह-सुबह जैसे ही मशीनों का संचालन शुरू हुआ, एक जोरदार विस्फोट हुआ। इस धमाके में मशीन का भारी हिस्सा उड़कर दीवार से टकराया, जिससे दीवार का एक बड़ा हिस्सा भी धराशायी हो गया। अंकित शर्मा, जो उस समय मशीन के पास मौजूद थे, उनकी मौके पर ही मौत हो गई। अन्य चार कर्मियों की हालत नाजुक बनी हुई है और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश, फैक्ट्री को लेकर पहले से थे गंभीर आरोप
गांव तिगरी के लोगों में फैक्ट्री को लेकर पहले से ही नाराजगी थी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वीर बालाजी पेपर मिल से लगातार प्रदूषण फैल रहा है, जिससे न सिर्फ हवा, बल्कि पानी भी गंभीर रूप से दूषित हो चुका है। कई लोगों ने आरोप लगाया है कि फैक्ट्री के कारण गांव में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियाँ फैल रही हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
“रात को रोका गया था अंकित को, सुबह 5:30 बजे मिली मौत की सूचना”
अंकित शर्मा के परिजनों ने सवाल उठाए हैं, जिनका जवाब अब तक किसी ने नहीं दिया। उनका कहना है कि फैक्ट्री में रात को दूसरा स्टाफ न आने की वजह से अंकित को रोका गया था। लेकिन, रात 11 बजे के बाद उसका फोन बंद हो गया। सुबह 5:30 बजे अचानक हादसे की सूचना दी गई। इस बीच में क्या हुआ, किस हाल में अंकित था – इसका कोई जवाब किसी के पास नहीं है।
गांव में फैली दहशत: “धमाका ऐसा था जैसे भूकंप आया हो”
धमाके की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पास में रह रहे लोगों ने धमाके को भूकंप जैसा अनुभव किया। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हम सब सो रहे थे कि अचानक ऐसा लगा जैसे जमीन कांप गई। बाहर निकले तो देखा फैक्ट्री की दीवार टूटी हुई थी, और वहां अफरा-तफरी का माहौल था।”
क्या फैक्ट्री में पहले भी हुए हैं हादसे?
स्थानीयों के अनुसार, यह पहला मौका नहीं है जब वीर बालाजी पेपर मिल में कोई हादसा हुआ हो। इससे पहले भी छोटे-बड़े हादसे हो चुके हैं, जिनमें कभी किसी की मौत नहीं हुई थी, लेकिन कई बार कर्मचारी घायल हुए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही थी।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल
गांव वालों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन को कई बार फैक्ट्री के खिलाफ शिकायत दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी और धुएं ने इलाके की हवा और पानी को जहर बना दिया है।
परिजनों को उचित मुआवजा और दोषियों पर कार्रवाई की मांग
अंकित शर्मा के परिवार ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है और यह भी कहा है कि फैक्ट्री प्रबंधन और मालिक पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। स्थानीय लोगों ने भी मांग की है कि फैक्ट्री को तत्काल बंद कर जांच शुरू की जाए। यदि जांच में लापरवाही सिद्ध होती है, तो दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
राजनीतिक हलचल भी तेज, स्थानीय नेताओं की चुप्पी पर सवाल
घटना के बाद से ही स्थानीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। लेकिन कई बड़े नेताओं की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब तक न तो कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा मौके पर पहुंचा और न ही कोई ठोस बयान आया है। यह चुप्पी स्थानीय लोगों के आक्रोश को और भड़का रही है।
क्या कहता है कानून: औद्योगिक हादसों में जिम्मेदारी तय करना जरूरी
भारत में औद्योगिक सुरक्षा को लेकर कानून तो मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन करना एक बड़ी चुनौती बन चुका है। हर साल सैकड़ों लोग ऐसी ही लापरवाहियों की भेंट चढ़ जाते हैं। वीर बालाजी पेपर मिल में हुए इस हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक सुरक्षा की पोल खोल दी है। सवाल यह है कि क्या अब भी प्रशासन जागेगा?
वीर बालाजी पेपर मिल धमाके ने न सिर्फ एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे गांव को दहशत में डाल दिया है। अब वक्त आ गया है जब शासन-प्रशासन को ऐसे उद्योगों की जांच कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मानव जीवन के लिए खतरा न बनें। यदि अब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे और निर्दोष लोग यूं ही अपनी जान गंवाते रहेंगे।