Muzaffarnagar के भोपा थाना क्षेत्र के गांव नन्हेड़ी में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक गरीब मजदूर मोहन का पूरा परिवार इस हादसे से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गुरुवार की रात मोहन का परिवार जब गहरी नींद में था, तभी अचानक उनके घर के पास बने छप्पर में आग भड़क उठी। आग इतनी भयंकर थी कि लपटें तेजी से ऊंचाई तक उठने लगीं, जिससे पूरा गांव सकते में आ गया।
बिजली के तारों से निकली चिंगारी बनी कहर
गांव वालों के मुताबिक, यह आग बिजली के तारों से उठी चिंगारी के कारण लगी। तेज हवा के झोंकों ने आग को और भड़का दिया, जिससे मोहन के छप्पर के नीचे बंधे उसके प्रिय मवेशी—दो गाभिन भैंस, एक दुधारू गाय, एक बछड़ा और एक कटिया—इस आग की चपेट में आ गए। वे बुरी तरह झुलस गए, उनकी दर्दनाक चीखें दूर-दूर तक सुनाई दे रही थीं।
गांववालों ने किया रेस्क्यू, घंटों बाद बुझी आग
आग की भयावहता देख गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने पानी और मिट्टी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग इतनी तेज थी कि उस पर काबू पाना मुश्किल हो गया। आखिरकार, घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने किसी तरह आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था।
मोहन और उसके परिवार ने जैसे-तैसे मवेशियों को बचाने की कोशिश की, लेकिन वे झुलसकर गंभीर रूप से घायल हो चुके थे।
गरीबी और बेबसी के बीच कराहते मवेशी, मदद की लगाई गुहार
मोहन की पत्नी सविता देवी की आंखों में आंसू थे। उन्होंने मीडिया से बताया, “हम बहुत गरीब हैं, हमारा गुजारा इन्हीं पशुओं से चलता है। अब ये भी झुलस गए हैं, इनके इलाज के लिए पैसे तक नहीं हैं।”
मोहन के अनुसार, ये पशु उसकी आजीविका का एकमात्र सहारा थे। उनके दूध से ही वह अपने बच्चों का पालन-पोषण करता था। अब आग ने न केवल उसके पशुओं को घायल कर दिया, बल्कि उसके परिवार की रोजी-रोटी भी छीन ली।
मीडिया के हस्तक्षेप से पहुंची पशु चिकित्सकों की टीम
जब यह खबर मीडिया के जरिए प्रशासन तक पहुंची, तो जिला प्रशासन हरकत में आया। मौके पर पशु चिकित्सकों की एक टीम पहुंची। पशु चिकित्सक डॉ. रविदीप सिंह ने बताया, “हमने तुरंत घायल पशुओं का इलाज शुरू किया है। उन्हें आवश्यक दवाएं दी गई हैं, और आगे भी इलाज जारी रहेगा।”
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि पीड़ित परिवार को सरकार से हरसंभव मदद दिलाने की कोशिश की जाएगी।
प्रशासन से मदद की उम्मीद, लेकिन क्या यह काफी है?
हालांकि, प्रशासन ने पशु चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा दी है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या सिर्फ यही पर्याप्त है? मोहन के परिवार की पूरी जिंदगी इन मवेशियों पर निर्भर थी। अब उनके इलाज और पुनर्वास के लिए सरकारी स्तर पर क्या कोई आर्थिक मदद दी जाएगी?
बिजली विभाग की लापरवाही का शिकार गरीब परिवार
गांव वालों का कहना है कि इलाके में बिजली के तार पहले से ही जर्जर अवस्था में हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। अगर समय रहते तारों की मरम्मत कर दी जाती, तो शायद यह हादसा न होता।
इस हादसे से क्या सबक लेना चाहिए?
- बिजली विभाग की जिम्मेदारी – प्रशासन को चाहिए कि पूरे गांव में जर्जर बिजली के तारों की जांच कराए और समय पर उनकी मरम्मत हो।
- गांवों में फायर ब्रिगेड सुविधा – अगर गांवों में छोटी फायर ब्रिगेड टीम या उपकरण उपलब्ध कराए जाएं, तो ऐसे हादसों पर जल्दी काबू पाया जा सकता है।
- पशु बीमा योजना को बढ़ावा – सरकार को चाहिए कि वह गरीब पशुपालकों के लिए पशु बीमा योजनाओं को सुलभ बनाए, ताकि किसी भी आपदा में उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
- आपदा राहत कोष का विस्तार – ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की घटनाओं के लिए त्वरित मुआवजा योजना बनाई जानी चाहिए।
गरीब मोहन और उसके परिवार की मदद के लिए आगे आएं!
मोहन का परिवार इस समय कठिन दौर से गुजर रहा है। ऐसे में समाज के संपन्न लोगों, सामाजिक संगठनों और प्रशासन को चाहिए कि वे इस परिवार की हरसंभव मदद करें।
🔥 क्या सरकार इस गरीब परिवार को उचित मुआवजा देगी? क्या दोषी बिजली विभाग पर कोई कार्रवाई होगी? या फिर मोहन का परिवार यूं ही दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर रहेगा?
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(यह खबर उन सभी पाठकों तक पहुंचाएं, ताकि मोहन और उसके परिवार को न्याय मिल सके!) 📰