मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News)एस०डी० कालेज ऑफ मैनेजमेन्ट स्टडीज में जागरूकता अभियान के तहत बी०बी०ए० विभाग द्वारा भगवत् गीता व रामायण जीवन का सार विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । एस०डी० कॉलेज ऑफ मैनेजमेन्ट स्टडीज मे बी०बी०ए० विभाग के सभागार में जागरूकता अभियान के तहत च्च्भगवत् गीता व रामायण जीवन का सारं पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में सभी छात्र ध् छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुये छात्रों द्वारा अपने प्रबन्धन कौशल को अपने शास्त्रों द्वारा कैसे सीखा जा सकता है। इसकी परिचर्चा की गयी। आखिरकार भारत २०२४ के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रहा है, क्योकि अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की खबर से भारत में हर किसी का ध्यान खींचा है। हम सभी नकारात्मकता को पीछे छोड़ने के बाद एक सकारात्मक कल की ओर बढ़ रहे है।

 अयोध्या मे कल पूरे दुनिया में भगवा लहरायेगा, राम आ गए हैं घर अपने, अब देश मेरा फिर विश्व गुरू कहलायेगा । इसी क्रम मे कार्यक्रम का शुभारम्भ कॉलेज प्राचार्य डा० संदीप मित्तल की अध्यक्षता मे व डा० संजीव तायल द्वारा मां सरस्वती के समक्ष पुष्पार्चन और दीप प्रज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तुती में बी०बी०ए० के अधिकांश छात्र/ छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर कॉलेज प्राचार्य डा० संदीप मित्तल ने छात्र ध् छात्राओं को सांस्कृतिक शिक्षण का महत्व बताते हुए अपने संदेश मे कहा कि रामायण व गीता के अनुसार भक्ति और प्रेम में समर्पित होना सबसे पवित्र माना गया है। यह पूर्ण समर्पण की भावना विकसित करती है। हमे किस तरह से अपने ग्रन्थों से सीखकर सफलता प्राप्त हो सकती है। भगवत् गीता हमें जीवन का सार सिखाती है, भागवत हमें मरने का सार सिखाती है और गीता हमें कर्म करना सिखाती है। इनसे हमें जीवन में परिश्रम, चरित्र में पारदर्शिता, परिवार में प्रेम व रिश्तों में हमेशा पवित्रता बनाए रखने की शिक्षा मिलती है।

यदि धर्म द्वारा निर्देशित नहीं किया गया तो भाक्ति, पराक्रम, विद्या और अन्य सभी गुण अंततः विफल हो जाएंगे। रामायण हमें सिखाती है कि सत्य व त्याग पर आधारित धर्म ही जीवन में सफलता का मार्ग है। गीता के अनुसार व्यक्ति को सच और झूठ, ईश्वर और जीव का ज्ञान हो जाता है उसे अच्छे व बुरे की समझ आती है, व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और साहसी व निडर बनकर अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढता है। इसी के साथ उन्होने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये विभाग के सभी शिक्षकगणों का आभार व्यक्त किया ।

इसी क्रम में आगे विभागाध्यक्ष डा० संजीव तायल ने अपने भाव व्यक्त करते हुये कहा कि रामायण व गीता में धर्म की रक्षा के लिए अपने कर्तव्य को पूरा करने की सलाह दी है, इसमें नैतिक दुविधाओं और दार्शनिक मुद्दों से अवगत कराया गया है। गीता प्रत्येक प्राणी के भीतर एक व्यक्तिगत स्व और सर्वोच्च के अस्तित्व को दर्शाती है। जोकि हमें ज्ञान, भक्ति, कर्म और राज योग के विभिन्न पहलुओं का पाठ सिखाती है व हमारे शरीर और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है।

इस कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन प्रवक्ता प्राची गर्ग द्वारा सफलतापूर्वक किया गया है। इस विषय पर उन्होने अपने विचार प्रस्तुत करते हुये कहा कि भगवत गीता उपनिषदों का सार है। महाभारत युद्ध के समय रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया था वह गीता में बताया गया है। इसमे बहुत सारी ऐसी बातें है जो मनुष्य के जीवन की कई कठिनाइयों को आसान बनाती है। इतना ही नहीं गीता पढ़ने पर मनुष्य को बहुत सी नई जानकारियां भी मिलती है।

उन्होने बताया कि छात्र ध् छात्राओं ने अपनी प्रस्तुती में आदित्य शर्मा ने रामायण एक सार, महक सैफी ने भगवत गीता, अंशिका वर्मा ने भगवत गीता, रितेश पाण्डेय ने भगवत गीता व महाभारत एक महाकाव्य व दीपशिखा शाडिल्य ने वेदांस व उपनिषद् कैसे जीवन में बदलाव ला सकते है सभी विषयों पर प्रोजेक्टर के माध्यम से अपनी पी०पी०टी० को प्रस्तुत किया ।

कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से बी०बी०ए० विभाग से दीपक गर्ग, पूर्वी संगल, अभिषेक बागला, रोबिन मलिक, प्रशान्त गुप्ता, विनिता चौधरी व अमित आदि समस्त शिक्षकगण व स्टॉफ तथा सभी छात्र ध् छात्रायें उपस्थित रहें ।



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