खतौली, Muzaffarnagar: दीवाली का त्यौहार संपूर्ण भारत में प्रकाश और अच्छाई का प्रतीक माना जाता है, लेकिन जैन समाज के लिए यह पर्व विशेष रूप से भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण कल्याणक से जुड़ा है। मुजफ्फरनगर के खतौली क्षेत्र के नौ जैन मंदिरों में इस पावन अवसर पर जैन समाज के श्रद्धालु भक्तिभाव के साथ भगवान महावीर की पूजा-अर्चना करते हुए निर्वाण महोत्सव मना रहे हैं। श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर के प्रति अपना आदर प्रकट करने हेतु अभिषेक और पूजन कार्यक्रमों में भाग लिया। यह समारोह अपने भीतर न केवल धार्मिक महत्त्व समेटे हुए है, बल्कि यह ज्ञान, प्रकाश, और आस्था का एक सुंदर संगम भी है।

भगवान महावीर का निर्वाण: प्रकाश से अज्ञान का अंत

भगवान महावीर का निर्वाण कल्याणक जैन धर्म के अनुयायियों के लिए दीवाली की सच्ची प्रेरणा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान महावीर ने बिहार के पावापुर में निर्वाण प्राप्त किया था, और उनके सबसे प्रमुख शिष्य गौतम गणधर को इसी दिन केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसे सच्चे अर्थों में अज्ञान पर ज्ञान की विजय माना गया है। हर साल की तरह इस बार भी मुजफ्फरनगर के विभिन्न जैन मंदिरों में निर्वाण लाडू अर्पित कर भगवान महावीर को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

इस विशेष अवसर पर नगर के प्रमुख जैन मंदिरों में भव्य पूजा-अर्चना की गई, जिसमें भगवान महावीर के जीवन, उनके आदर्शों और ज्ञान प्राप्ति के महत्व पर जोर दिया गया। दीवाली के इस पर्व पर जैन समाज के लोग विशेष रूप से शांति, समृद्धि और आपसी प्रेम के दीपक जलाकर भगवान महावीर के सिद्घांतों का अनुसरण करते हैं।

जैन समाज का दीपोत्सव: सद्गुणों का महोत्सव

दीपावली के इस पवित्र दिन, जैन समाज के लोग न केवल अपने घरों बल्कि मंदिरों को भी दीपों की रोशनी से सजा देते हैं। जैन समुदाय में यह परंपरा सदियों पुरानी है, जो सद्गुणों, सच्चाई और अहिंसा के प्रति उनकी आस्था को प्रकट करती है। दीवाली की रात्रि को मंदिरों में दीप जलाकर विशेष भजन, आरती, और मंगल गायन का आयोजन किया गया, जहां भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

सुरेन्द्र घड़ी, अनुपम आढ़ती, शशांक महलका, दीपक भैंसी, राकेश बजाज सहित समाज के कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में सद्भावना और शांति के लिए प्रार्थना की और समाज में एकता का संकल्प लिया।

भगवान महावीर के निर्वाण महोत्सव में शामिल हुई नगर की प्रमुख हस्तियां

इस अवसर पर नगर की कई जानी-मानी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजकों में अरुण नंगली और कल्पेंद्र जैन का योगदान सराहनीय रहा, जिन्होंने इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न करने में अपनी भूमिका निभाई। जक्की वाला मंदिर में छवि जैन के संयोजन में एक विशेष प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें जैन धर्म से जुड़े सवाल पूछे गए। प्रतिभागियों को प्रशंसा स्वरूप पुरस्कार भी वितरित किए गए।

इस महोत्सव में सुनील टीकरी, संजय दादरी, सुशील मंडी, विजय सर्राफ, मनोज महलका, रामकुमार सहित शहर की विभिन्न संस्थाओं के प्रमुख लोग उपस्थित थे। यह समुदाय के बीच एकजुटता और सामाजिक सहयोग का परिचायक है।

अहिंसा और सद्गुणों के मार्ग पर अग्रसर जैन धर्म

भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर माने जाते हैं, जिन्होंने अहिंसा, सत्य और करुणा का संदेश दिया। जैन समाज उनके उपदेशों का अनुसरण करते हुए अज्ञान, हिंसा और बुराई का त्याग कर सद्गुणों के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करता है। दीपावली पर जैन समाज का यह महोत्सव अहिंसा, सत्य और संयम की शिक्षा देता है।

समाज में आपसी एकता और सद्भावना की मिसाल

महोत्सव के दौरान कई भजन और गीत भी प्रस्तुत किए गए, जिनमें भगवान महावीर के उपदेशों की चर्चा की गई। इस प्रकार के आयोजनों का एक मुख्य उद्देश्य समाज में आपसी एकता और प्रेम को प्रोत्साहित करना है।

जैन धर्म के अनुयायियों का मानना है कि भगवान महावीर का निर्वाण एक ऐसा पथ है, जो हमें स्वयं के भीतर झांकने, अपने दोषों को पहचानने और एक सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।



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