मोरना (Muzaffarnagar) – मुजफ्फरनगर के मोरना क्षेत्र में किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) के कार्यकर्ताओं और किसानों ने दि गंगा किसान सहकारी चीनी मिल्स के बाहर 25 अक्टूबर को शुगर मिल चलाने की मांग को लेकर धरना दिया। इस दौरान, किसानों ने मिल के प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और प्रधान प्रबंधक को ज्ञापन देकर 23 अक्टूबर को इंडेन्ट जारी करने की मांग की।
धरने का आयोजन और किसानों की मांग
भाकियू के ब्लाक अध्यक्ष चैधरी अनुज राठी, जिला सचिव पुष्पेंद्र उर्फ बिट्टू प्रधान, और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में किसानों ने यह विरोध प्रदर्शन किया। किसानों का कहना था कि यदि 25 अक्टूबर तक शुगर मिल का पेराई सत्र शुरू नहीं होता है, तो यह उनके गेहूं और सरसों की समय से बुवाई में रुकावट डाल सकता है। इस संदर्भ में किसानों ने मिल के संचालन को तत्काल शुरू करने की मांग की।
धरने के दौरान किसान नारेबाजी करते हुए मिल परिसर में बैठ गए और मिल की व्यवस्थाओं में तेजी लाने के लिए दबाव बनाया। किसानों ने यह चेतावनी भी दी कि यदि मिल 26 अक्टूबर तक नहीं चलेगी, तो वे गन्ना लेकर शुगर मिल में पहुंचेंगे।
मिल के कर्मचारियों पर आरोप और अनियमितताएँ
धरने में किसानों ने मिल की टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए। गांव गडवाडा के किसान रविराज, संदीप, मनोज और अंकुश ने मिल में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ कर्मचारियों के रिश्तेदारों को टेंडर दे दिए गए हैं। किसानों ने मिल की प्रबंधन टीम से मांग की कि इस टेंडर प्रक्रिया को फिर से जांचा जाए और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को रोका जाए।
हवा सिंह, एक अन्य किसान, ने इस पर कहा कि कुछ लोग केवल निजी फायदे के लिए मिल की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। इस पर किसानों ने प्रधान प्रबंधक के नाम एक ज्ञापन सौंपा जिसमें उन्होंने टेंडर को रद्द करने और मिल के संचालन को शुरू करने की मांग की।
किसान नेताओं की सक्रिय भागीदारी
धरने में भाकियू के प्रमुख नेताओं जैसे चैधरी अनुज राठी, पुष्पेंद्र उर्फ बिट्टू प्रधान, युवराज सिंह (ब्लाक उपाध्यक्ष), और नगर अध्यक्ष भोकरहेडी धर्मेद्र सहरावत सहित कई अन्य किसानों ने सक्रिय भागीदारी की। इन नेताओं ने किसानों की समस्याओं को मंच से उठाया और सरकार से जल्द से जल्द समाधान की मांग की।
किसानों ने यह भी कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे आगामी दिनों में और भी बड़े आंदोलन का आयोजन करेंगे।
प्रबंधन और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचते हैं धरने पर
धरने की सूचना मिलते ही, प्रधान प्रबंधक वी.पी. पांडेय, इंजीनियर शशिकांत यादव और मुख्य गन्ना अधिकारी राजेश कुमार भी मौके पर पहुंचे और किसानों से बातचीत की। किसानों ने उनसे मिल के पेराई सत्र को शीघ्र शुरू करने की अपील की। इस दौरान, किसानों ने प्रशासन से भी यह आग्रह किया कि मिल के संचालन में किसी प्रकार की देरी न हो, क्योंकि इससे उनकी फसल की बुवाई में और भी समस्याएँ आ सकती हैं।
प्रधान प्रबंधक ने किसानों को आश्वासन दिया कि वे लखनऊ उच्च अधिकारियों से संपर्क करेंगे और पेराई सत्र शुरू करने के लिए जल्द ही आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
इंडेन्ट जारी करने की मांग
किसानों ने प्रधान प्रबंधक के नाम एक ज्ञापन सौंपते हुए 23 अक्टूबर को इंडेन्ट जारी करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यह कदम जल्द से जल्द उठाया जाए, ताकि मिल को 25 अक्टूबर तक पूरी तरह से चालू किया जा सके। किसानों ने यह भी कहा कि अगर समय पर इंडेन्ट जारी नहीं हुआ, तो उन्हें अपनी बुवाई और अन्य कृषि कार्यों में और भी परेशानियाँ उठानी पड़ेंगी।
किसानों का दृढ़ संकल्प
धरने में बैठे किसानों ने कहा कि वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे और किसी भी हालत में 26 अक्टूबर को मिल में गन्ना लेकर पहुँचेंगे। उनका यह दृढ़ संकल्प था कि वे अपनी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए किसी भी संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे और इस मामले में अपनी बात प्रशासन से पूरी ताकत से करेंगे।
भाकियू की भूमिका और समर्थन
भारतीय किसान यूनियन के इस आंदोलन ने किसानों के अधिकारों के लिए एक और संघर्ष को जन्म दिया है। भाकियू ने हमेशा किसानों की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने का काम किया है, और इस आंदोलन के दौरान भी संगठन ने किसानों का समर्थन किया। भाकियू के नेताओं ने कहा कि वे किसानों के हर मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे और शासन से उनका समाधान प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करेंगे।
भाकियू के इस आंदोलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि संगठन किसानों के मुद्दों को लेकर हमेशा सक्रिय रहता है। किसानों का यह धरना, जो मिल के संचालन और उचित प्रक्रियाओं की मांग कर रहा है, यह दिखाता है कि वे अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से एकजुट हैं और हर हाल में अपना अधिकार प्राप्त करेंगे।