Muzaffarnagar/मुजफ्फरनगर। भीषण गर्मी से राहत दिलाने का अनोखा तरीका लोगों ने अपनाया है, जो न सिर्फ राहत प्रदान कर रहा है, बल्कि इंसानियत की मिसाल भी कायम कर रहा है। देश के कोने-कोने में जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है, तब मुजफ्फरनगर जैसे शहर में राहगीरों को राहत देने के लिए जगह-जगह छबील लगाई जा रही है, जिसमें शीतल मीठा शरबत वितरित किया जा रहा है।

मानवता की मिसाल: छबील के जरिये किया गया सेवा का अनुपम उदाहरण

लोगों का कहना है कि धर्म केवल मंदिर-मस्जिद या पूजा तक सीमित नहीं है। धर्म का असली अर्थ है मानव सेवा, और वही इस वक्त दिखाया जा रहा है। “नर सेवा ही नारायण सेवा है”, इस भावना को लेकर समाजसेवियों, धार्मिक संगठनों और आम नागरिकों ने शहर के हर कोने में जल सेवा शुरू कर दी है। दुकानों के बाहर, चौराहों पर, गुरुद्वारों और मंदिरों के सामने—हर जगह पर छबीलें लगाई गई हैं, जहां मीठा शरबत, नींबू पानी, और ठंडा जल पिलाया जा रहा है।

सिर्फ मुजफ्फरनगर नहीं, देश के कोने-कोने में मानव सेवा की बयार

मुजफ्फरनगर ही नहीं, बल्कि दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, पटना, भोपाल, जयपुर जैसे शहरों में भी छबील सेवा का व्यापक आयोजन किया जा रहा है। कई बड़े धार्मिक ट्रस्ट, गुरुद्वारे, मंदिर समितियाँ और सामाजिक संगठन इस पुनीत कार्य में दिन-रात लगे हैं। सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक गर्मी में तप रहे राहगीरों को राहत देने के लिए यह सेवाएं दी जा रही हैं।

मीठे जल की अहमियत: ‘जल दान’ को बताया गया सबसे बड़ा दान

शर्बत बांटने वालों का साफ कहना है, “हमने अपने बुजुर्गों से सुना है कि जल और अन्नदान से बड़ा कोई दान नहीं। अगर किसी भूखे को खाना और प्यासे को पानी मिल जाए, तो इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं होता।” इस भावना को साकार करते हुए युवा भी इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

युवाओं की भूमिका: गर्मी की छुट्टियों में मानवता की सेवा में जुटे युवा

कई युवाओं ने गर्मी की छुट्टियों को सिर्फ मौज-मस्ती में नहीं, बल्कि इंसानियत की सेवा में लगाया है। कॉलेज और स्कूल के छात्र-छात्राएं बारी-बारी से ड्यूटी संभालते हैं, शरबत बनाते हैं, ग्लास भरकर राहगीरों को देते हैं और इस दौरान मुस्कान के साथ ‘गर्मी से बचिए, पानी पीजिए’ कहते नजर आते हैं।

धर्म और सेवा का समागम: संतों की वाणी और धार्मिक भावनाओं से प्रेरित सेवा

धार्मिक संतों और गुरुओं की वाणियों को ध्यान में रखते हुए यह सेवा की भावना और प्रबल हो रही है। संतों का कहना है कि “सेवा ही सच्चा धर्म है“, और यही कारण है कि गुरुद्वारे हों या मंदिर, सभी संस्थान गर्मी में शीतल जल सेवा में जुटे हुए हैं। कई स्थानों पर तो ठंडे जल के टैंकर और बड़े वाटर कूलर लगाए गए हैं, जो राहगीरों को राहत प्रदान कर रहे हैं।

गर्मी के बीच राहत का ठिकाना बनी छबीलें: स्थानीय प्रशासन ने भी सराहा प्रयास

स्थानीय प्रशासन ने भी इस सेवा को सराहते हुए कहा कि सामाजिक और धार्मिक संगठनों का यह प्रयास प्रेरणादायक है। जिलाधिकारी ने बताया कि इस तरह के आयोजनों से न केवल लोगों को राहत मिलती है, बल्कि समाज में सौहार्द का भी संचार होता है।

धर्म, समाज और सेवा—तीनों का संगम बनी यह परंपरा

गर्मी में लगने वाली यह छबीलें अब एक परंपरा का रूप ले चुकी हैं, जहां हर धर्म और समुदाय के लोग मिल-जुलकर एक-दूसरे की सेवा कर रहे हैं। कोई गुरुद्वारे के बाहर छबील लगा रहा है, तो कोई मंदिर के सामने। कोई शीतल नींबू पानी बांट रहा है, तो कोई मीठा गुलाब शरबत। ऐसे में यह पहल भारत की धार्मिक विविधता और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुकी है।

सेवा का विस्तार: अस्पतालों और रेलवे स्टेशनों पर भी जल वितरण की व्यवस्था

अब यह सेवा केवल सड़कों तक सीमित नहीं रही। रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, अस्पतालों और ट्रैफिक सिग्नल्स जैसे स्थानों पर भी छबील सेवा पहुंच चुकी है। लोग अपने निजी संसाधनों से पानी की बोतलें और टैंक लाकर वितरण कर रहे हैं। कई जगहों पर मेडिकल सहायता भी साथ में उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे लू लगने या कमजोरी के शिकार राहगीरों की तुरंत मदद की जा सके।

गर्मी में मानव सेवा की ये पहल, बन रही है प्रेरणा का स्त्रोत

मुजफ्फरनगर में शुरू हुई यह सेवा अब कई जिलों और राज्यों तक फैल रही है। सोशल मीडिया पर इन सेवाओं की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिससे और लोग प्रेरित होकर जुड़ रहे हैं। धर्म, जाति और वर्ग से ऊपर उठकर यह सेवा इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल बन चुकी है।


देश में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच मुजफ्फरनगर और अन्य शहरों में छबील सेवा का यह अभियान एक नई ऊर्जा, एक नई दिशा और एक नई प्रेरणा लेकर आया है। यह सिर्फ पानी पिलाने की बात नहीं, यह बात है उस मानवीय भावना की, जो हर गली-नुक्कड़ पर पनप रही है और बता रही है कि भारत में आज भी इंसानियत जिंदा है।

 



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