मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) ।जनपद में एक बार फिर सियासत और श्रमिकों के हक की लड़ाई आमने-सामने आ गई है। मंसूरपुर डिस्टलरी के सैकड़ों कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है, और इस चुप्पी को तोड़ते हुए भाजपा किसान मोर्चा के ज़िलाध्यक्ष राजू अहलावत ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
ADM कार्यालय पर गरजा धरना – “वेतन नहीं तो काम नहीं” की हुंकार
राजू अहलावत शुक्रवार को भारी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और पीड़ित कर्मचारियों के साथ एडीएम कार्यालय पहुंचे। उन्होंने कचहरी परिसर में एडीएम प्रशासन संजय सिंह के कार्यालय के बाहर धरना देते हुए कहा कि अगर जल्द वेतन का भुगतान नहीं किया गया, तो डिस्टलरी के सामने बड़ा आंदोलन होगा।
प्रदर्शन के दौरान प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे
इस जोरदार धरने के दौरान प्रशासन के कई अधिकारी मौके पर पहुंचे, जिनमें एडीएम वित्त गजेन्द्र कुमार, श्रम विभाग के अधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप और एसडीएम कलेक्ट्रेट शामिल थे। अधिकारियों ने स्थिति को शांतिपूर्वक संभालने की कोशिश की, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता अपने रुख पर अड़े रहे।
डिस्टलरी के मजदूरों की दर्दभरी दास्तान – “तीन महीने से घर का खर्च उधार पर चल रहा है”
कर्मचारी अरविंद कुमार ने बताया, “तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे, दवा-इलाज तक के पैसे नहीं हैं। मालिकान से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।”
राजनीति की ताजगी, प्रशासन की सुस्ती – मजदूरों के हक की लड़ाई बनी चुनौती
भाजपा नेता राजू अहलावत ने मंच से कहा, “भाजपा सरकार सबका साथ-सबका विकास की बात करती है, लेकिन अगर कर्मचारियों को ही वेतन नहीं मिलेगा, तो किस विकास की बात करें? ADM साहब से साफ कहा है – हम जल्द हल चाहते हैं, नहीं तो ये आंदोलन और तेज़ होगा।”
मजदूरों के समर्थन में विपक्षी दल भी आए आगे?
सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर कांग्रेस और सपा नेताओं ने भी चुप्पी तोड़नी शुरू कर दी है। कुछ नेताओं ने कहा कि कर्मचारियों के मुद्दे को सदन तक ले जाया जाएगा।
मंसूरपुर डिस्टलरी प्रबंधन पर सवाल – मालिकान कहां हैं?
डिस्टलरी प्रबंधन से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। सवाल उठ रहा है कि अगर कंपनी चल रही है, उत्पादन हो रहा है, तो फिर कर्मचारियों का वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा?
भविष्य में उग्र आंदोलन की चेतावनी – “अब आर-पार की लड़ाई”
राजू अहलावत ने साफ कहा, “अगर 7 दिन में बकाया वेतन का समाधान नहीं निकला, तो हम मंसूरपुर डिस्टलरी के गेट पर ताला लगाएंगे और चक्का जाम करेंगे।”
श्रम विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में
धरने के दौरान मौजूद श्रम विभाग के अधिकारी केवल आश्वासन देकर वापस लौट गए। मजदूरों का कहना है कि विभाग की लापरवाही ही आज इस हालात की जड़ है।
डिस्टलरी से जुड़े अन्य मामलों की भी जांच होनी चाहिए
जानकारी के मुताबिक, मंसूरपुर डिस्टलरी पहले भी पर्यावरण उल्लंघन, अनियमित श्रम नियमों और सामाजिक जवाबदेही में कमी के लिए चर्चा में रह चुकी है। अब फिर वेतन संकट ने इस संस्थान को सुर्खियों में ला दिया है।
प्रशासन ने दिया सात दिन का अल्टीमेटम – वरना होगी कार्यवाही
ADM प्रशासन ने कहा है कि डिस्टलरी प्रबंधन को नोटिस भेजा जा चुका है। अगर सात दिन में स्थिति नहीं सुधरी, तो प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा, जिसमें कंपनी की संपत्ति कुर्क करने तक के कदम उठाए जा सकते हैं।
मुजफ्फरनगर में गरमाया मुद्दा – जन आंदोलन की आहट
मंसूरपुर का मामला अब केवल एक कंपनी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह जन-संवेदना का मुद्दा बनता जा रहा है। आम नागरिक, श्रमिक संगठनों और छात्र संगठनों ने भी इसमें रुचि लेना शुरू कर दिया है।
क्या वेतन संकट बना सियासी विस्फोट का कारण?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी निकाय चुनावों में भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकता है। यदि राजू अहलावत जैसे नेता मैदान में उतरकर कर्मचारियों के समर्थन में उतरते हैं, तो इसका असर स्थानीय राजनीति पर गहरा पड़ेगा।
विरोध के बीच बढ़ता जन समर्थन – आंदोलन को मिल रहा सामाजिक बल
इस आंदोलन को केवल श्रमिकों का नहीं बल्कि आम जनता, व्यापार मंडल और किसान संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। यही समर्थन इसे एक जन आंदोलन का रूप दे सकता है।
**आखिरी बात – अब देखना यह होगा कि प्रशासन अपने वादों पर कितना खरा उतरता है और मंसूरपुर डिस्टलरी के कर्मचारियों की किस्मत कब बदलती है। क्या भाजपा का यह आक्रोश उन्हें उनका हक दिला पाएगा या यह भी एक और अधूरी कहानी बनकर रह जाएगी?**