मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिले के बुढाना थाना क्षेत्र में अपराधियों के खिलाफ पुलिस की कड़ी कार्रवाई ने एक बार फिर चर्चा का विषय बना दिया है। हाल ही में, बुढाना पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान दो शातिर अपराधियों को धर दबोचा। यह घटना उस समय हुई जब Budhana Police ने चोरी के 20 कट्टे चीनी और आयशर कैंटर समेत अपराधियों को गिरफ्तार किया। मुठभेड़ में एक आरोपी घायल हो गया, जिसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस मामले में पुलिस की सक्रियता और अपराधियों की गिरफ्तारी की खबर ने एक बार फिर जिले में बढ़ते अपराध और पुलिस की एनकाउंटर नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अपराध और पुलिस की भूमिका
मुजफ्फरनगर जिले में हाल के वर्षों में अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। चाहे वह चोरी, हत्या, या गैंगवार हो, अपराधियों की गतिविधियों ने पुलिस प्रशासन के सामने गंभीर चुनौतियां पेश की हैं। पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियानों और नियमित चेकिंग के बावजूद अपराधों की संख्या कम नहीं हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, पुलिस को अपराधियों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं।
इस घटना में भी, Budhana Police को मुखबिर से सूचना मिली थी कि आरोपी चोरी की चीनी को बेचने के फिराक में हैं। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल रही। पुलिस ने मौके से दो तमंचे, जिन्दा कारतूस और चोरी की गई चीनी बरामद की। थाना बुढाना पुलिस की खतौली रोड से वैल्ली की तरफ, फायर स्टेशन कट के पास बदमाशों से हुई पुलिस मुठभेड़ में पुलिस द्वारा आत्मरक्षार्थ की गयी जवाबी फायरिंग में ०२ शातिर चोर अभियुक्तगण (०१ घायल) को गिरफ्तार किया गया । अभियुक्तगण के कब्जे से चोरी किए गए २० कट्टे चीनी, ०१ आयशर कैंटर, ०२ तमंचा मय ०१ खोखा व ०२ जिन्दा कार० ३१५ बोर बरामद किए गए है। घायल ध् गिरफ्तार अभियुक्त को उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती कराया गया है । अभियुक्तगण की गिरफ्तारी एवं बरामदगी के सम्बन्ध में थाना बुढाना पुलिस द्वारा अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।
Muzaffarnagar में बढ़ते एनकाउंटर: कारण और प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में Muzaffarnagar जिले में पुलिस एनकाउंटर की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, जिले में हर महीने एक या दो एनकाउंटर होना आम बात हो गई है। पुलिस का दावा है कि यह कार्रवाई अपराध पर नियंत्रण रखने के लिए जरूरी है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों और समाज के कुछ वर्गों द्वारा इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
बुढाना की इस घटना ने भी बढ़ते एनकाउंटरों पर बहस छेड़ दी है। क्या यह कदम वास्तव में अपराध को रोकने में कारगर है, या फिर यह सिर्फ अस्थायी समाधान है? इस तरह के सवालों का जवाब ढूंढना जरूरी हो गया है, खासकर जब पुलिस की इस नीति के चलते निर्दोष लोग भी मारे जाने का खतरा होता है। घायल/गिरफ्तार अभियुक्तगण फजल पुत्र फारूख उर्फ बाबू निवासी नाहल थाना मंसूरी, गाजियाबाद । (घायल), यासीन पुत्र युसुफ निवासी दहरा थाना धौलाना जनपद हापुड़ । जिनेक कब्जे से ०२ तमंचे मय ०१ खोखा व ०२ जिंदा कारतूस ३१५ बोर , २० कट्टे चीनी चोरी किए गए (थाना बुढाना पर पंजीकृत मु०अ०सं० से सम्बन्धित), ०१ आयशर केन्टर (घटना में प्रयुक्त) बरामद की। गिरफ्तारी करने वाली टीम में उ०नि० सुरेन्द्र राव, उ.नि. सन्दीप कुमार, नवीन कुमार, है. का. रोहताश, नीरज त्यागी, संजय कुमार, सुनील कुमार, का. नकुल सांगवान, धीरज कुमार, इस्फाक, गौरव पुनिया थाना बुढाना शामिल रहे। थाना बुढाना पुलिस द्वारा अभियुक्तगण के विस्तृत अपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है ।
अपराधियों पर नकेल या डर की राजनीति?
पुलिस द्वारा की जा रही एनकाउंटर की कार्रवाइयों को लेकर कई बार यह भी आरोप लगे हैं कि यह सिर्फ डर की राजनीति का हिस्सा हैं। कुछ लोग यह सवाल उठाते हैं कि क्या यह सही तरीका है अपराध पर काबू पाने का, या फिर कानून के अन्य उपायों को लागू करना ज्यादा प्रभावी हो सकता है?
मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में, जहां अपराधी खुलेआम अपराध को अंजाम देते हैं, पुलिस की कड़ी कार्रवाई जरूरी है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हर बार एनकाउंटर ही एकमात्र समाधान हो। अपराधियों को सजा दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना भी उतना ही जरूरी है, ताकि कानून का राज स्थापित रहे।
०९ अगस्त को वादी बीरबल गर्ग पुत्र बारूमल गर्ग निवासी महादेव ट्रोजी गुड मण्डी दुकान सोनीपत हरियाणा द्वारा थाना बुढाना पुलिस को लिखित तहरीर देकर अवगत कराया कि वादी के ट्रक से अज्ञात चोरों द्वारा चीनी के ८० कट्टे चोरी की घटना कारित की गयी है । वादी द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर थाना बुढाना पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया तथा उच्चाधिकारीगण द्वारा घटना को गम्भीरता से लेते हुए घटना के सफल अनावरण तथा अभियुक्तगण की शीघ्र गिरफ्तार हेतु टीम गठित की गयी थी ।
थाना बुढाना पुलिस टीम द्वारा खतौली तिराहा पर मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि ९ अगस्त को चीनी के कट्टे चोरी करने वाले अभियुक्तगण आज एक आयशर कैंटर में चोरी की चीनी को कहीं बेचने की फीराक में आने वाले हैं । सूचना पर थाना बुढाना पुलिस टीम द्वारा और अधिक सघनता से आने-जाने वाले वाहनों की चेकिंग शुरु कर दी गयी । कुछ समय पश्चात एक आयशर कैंटर आता दिखाई दिया जिसे चौकिंग हेतु रुकने का इशारा किया गया परन्तु कैंटर सवारों द्वारा कैंटर न रोककर और अधिक तेजी से भगा दिया
पुलिस टीम द्वारा पीछा करने पर कैंटर सवारों द्वारा कैंटर को फायर स्टेशन बुढाना के तरफ मोड़ दिया । बदमाशों द्वारा खुद को पुलिस के घिरा समझ कर कैंटर से उतरकर पुलिस टीम पर जान से मारने की नियत से फायरिंग करते हुए जंगल की तरफ भागने लगे । फायर से पुलिस टीम बाल बाल बची। थाना बुढाना पुलिस टीम द्वारा बदमाशों को फायरिंग बंद कर आत्मसमर्पण की चेतावनी दी गयी परन्तु बदमाशों पर पुलिस की चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ । पुलिस टीम द्वारा आत्मरक्षार्थ सूक्ष्म फायरिंग की गयी जिसमें ०१ बदमाश घायल हो गया तथा दूसरा जंगल में भाग गया जिसे पुलिस टीम द्वारा कॉम्बिंग के दौरान गिरफ्तार किया गया ।
बढ़ती पुलिस एनकाउंटर की चुनौतियाँ
बुढाना की इस घटना ने मुजफ्फरनगर जिले में बढ़ते एनकाउंटरों पर फिर से चर्चा छेड़ दी है। पुलिस का कहना है कि एनकाउंटर की घटनाएँ मजबूरी में की जाती हैं, जब अपराधी आत्मसमर्पण करने को तैयार नहीं होते। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह चलन कानून व्यवस्था को और बिगाड़ सकता है?
पुलिस अधिकारियों का दावा है कि अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई से ही अपराधों में कमी लाई जा सकती है। लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि पुलिस की इस नीति का असर समाज पर क्या हो रहा है। अगर पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ का सिलसिला इसी तरह चलता रहा, तो क्या इससे समाज में हिंसा को बढ़ावा नहीं मिलेगा?
बुढाना की यह घटना सिर्फ एक एनकाउंटर नहीं, बल्कि मुजफ्फरनगर जिले में बढ़ते अपराध और पुलिस की कड़ी कार्रवाई के बीच की खाई को दर्शाती है। जहां एक ओर पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, वहीं दूसरी ओर इस नीति पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। पुलिस को अपराधियों पर नकेल कसने के साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि कानून का पालन हो और निर्दोष लोग इस कार्रवाई की चपेट में न आएं।
इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या एनकाउंटर ही अपराध पर काबू पाने का सही तरीका है, या फिर हमें कानून के दूसरे उपायों को भी आजमाने की जरूरत है?