कांवड़ यात्रा के दौरान Muzaffarnagar नगरपालिका की लापरवाही ने एक युवक की जान ले ली। बारिश और खुले बिजली के तारों की खतरनाक जुगलबंदी ने शहर के मदीना चौक पर एक युवक को निगल लिया। सैफी कॉलोनी निवासी राशिद की जान चली गई, जब वह डिवाइडर पर पानी में उतरा और बिजली के करंट की चपेट में आ गया। ये हादसा न केवल दिल दहला देने वाला है, बल्कि प्रशासन की नाकामी का एक और जिंदा उदाहरण है।

बारिश में डूबे खंभे, करंट से मौत – नगरपालिका की बड़ी चूक

बारिश के चलते मदीना चौक पर जलभराव हो गया था। डिवाइडर पर लगे स्ट्रीट लाइट के खंभे पूरी तरह से पानी में डूबे हुए थे। बताया जा रहा है कि उन खंभों के तार पहले से ही खुले थे और कई बार इसकी शिकायत की गई थी। लेकिन अफसोस, नगरपालिका ने एक बार भी उस पर ध्यान नहीं दिया।

राशिद, जो अपने सामान्य रास्ते से गुजर रहा था, जैसे ही पानी में उतरा, करंट की चपेट में आ गया और कुछ ही सेकंड्स में उसकी मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मौके पर चीख-पुकार मच गई और स्थानीय लोग तत्काल उसे बचाने दौड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा – पहले भी की थी शिकायतें, कोई नहीं सुनता

मदीना चौक और आसपास के क्षेत्र के लोग इस हादसे से बेहद आक्रोशित हैं। लोगों का कहना है कि डिवाइडर पर बिजली के तार काफी समय से खुले पड़े थे। कई बार नगरपालिका को शिकायत की गई, परंतु किसी ने भी संज्ञान नहीं लिया।

“कई बार अधिकारियों से कहा कि ये तार खुले हैं, करंट फैल सकता है। लेकिन किसी ने भी कुछ नहीं किया। अब एक नौजवान की जान चली गई है। किसे दोष दें?” – एक स्थानीय निवासी की पीड़ा।

कांवड़ यात्रा के बीच सुरक्षा पर सवाल – क्या यही है प्रशासन की तैयारी?

सावन महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए हरिद्वार से कांवड़ लेकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर निकलते हैं। प्रशासन दावा करता है कि कांवड़ यात्रा के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन मदीना चौक पर हुई इस मौत ने इन दावों की पोल खोल दी है

अगर कांवड़ यात्रा के दौरान किसी श्रद्धालु के साथ ऐसा हादसा हो जाता तो उसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देती। लेकिन क्या एक आम नागरिक की जान इतनी सस्ती हो गई है कि नगरपालिका की लापरवाही यूं ही उसे लील जाए?

खंभों की वायरिंग खुली क्यों थी? जिम्मेदार कौन?

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि डिवाइडर पर खंभों की वायरिंग ठीक से क्यों नहीं की गई? क्या यह नगरपालिका की तकनीकी टीम की चूक थी? क्या बिजली विभाग को इसकी जानकारी नहीं थी? क्या यह किसी की व्यक्तिगत लापरवाही थी या पूरे सिस्टम की सड़न?

जिम्मेदार कौन है, यह तो जांच के बाद ही साफ होगा। लेकिन सवाल ये है कि अगर पहले ही सही कदम उठाए जाते तो राशिद की जान बचाई जा सकती थी

आगामी दिनों में और हादसे? यदि लापरवाही जारी रही तो…

यह सिर्फ एक घटना नहीं है। बारिश का मौसम अभी शुरू हुआ है, और ऐसे में खुले तार, जलभराव, और खराब ड्रेनेज सिस्टम ने कई और जानों को खतरे में डाल दिया है। अगर प्रशासन अभी भी नहीं जागा, तो मुजफ्फरनगर में और भी दर्दनाक हादसे हो सकते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो नगरपालिका को तत्काल इन बिजली के खतरों की पहचान करनी चाहिए और विशेष सर्वे अभियान चलाकर सभी कमजोर तारों और खंभों को ठीक किया जाना चाहिए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी शुरू – जिम्मेदार अधिकारियों पर हो सख्त कार्रवाई

घटना के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी प्रशासन पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। लोगों की मांग है कि इस तरह की घातक लापरवाही पर जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए।

एक वरिष्ठ स्थानीय नेता ने कहा –
“कांवड़ यात्रा के नाम पर करोड़ों खर्च होते हैं। लेकिन जब सुरक्षा की बात आती है, तो सब हवा-हवाई हो जाता है। युवक की मौत के लिए प्रशासन सीधे जिम्मेदार है।”

क्या मिलेगी राशिद के परिवार को न्याय?

अब देखना यह होगा कि नगरपालिका और प्रशासन किस तरह इस मामले में आगे कदम उठाता है। क्या राशिद के परिवार को इंसाफ मिलेगा? क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होगी या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा?

राशिद अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसका सवाल जिंदा है – क्या मेरी मौत सिर्फ एक हादसा थी या किसी की घोर लापरवाही का नतीजा?


यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि पूरे सिस्टम की असलियत को उजागर करती है। कांवड़ यात्रा के दौरान जिस तरह की व्यवस्था की बात की जाती है, वह सिर्फ भाषणों तक सीमित दिखती है। मदीना चौक जैसी जगहों पर भी अगर करंट से मौत हो सकती है, तो आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं और आम लोगों के लिए सुरक्षा की क्या गारंटी है? इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

 



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