मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) भारतीय किसान यूनियन (BKU) के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने आज जिला मुख्यालय पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन का हिस्सा था, जिसमें मुख्य तौर पर खेती के लिए दी जाने वाली 10 घंटे की बिजली आपूर्ति में कटौती के विरोध में आवाज बुलंद की गई।
धरना स्थल पर मौजूद किसान नेताओं ने साफ किया कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन और बड़े स्तर पर फैलाया जाएगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे दिल्ली कूच करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।
क्या हैं किसानों की मुख्य मांगें?
प्रदर्शनकारी किसानों ने जिला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखीं:
- बिजली कटौती तुरंत वापस ली जाए और कृषि कार्यों के लिए न्यूनतम 10 घंटे की निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- गन्ना किसानों का बकाया भुगतान तुरंत किया जाए।
- फसल बीज प्रणाली में सुधार किया जाए और किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जाए।
- छुट्टा पशुओं से होने वाली फसल क्षति के लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी दी जाए।
- प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को तुरंत राहत पहुंचाई जाए।
धरने में दिखी सांप्रदायिक एकता: ‘हर-हर महादेव’ और ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारों से गूंजा माहौल
प्रदर्शन के दौरान एकता का अनूठा नजारा देखने को मिला जब हिंदू और मुस्लिम किसानों ने एक साथ “हर-हर महादेव” और “अल्लाह हु अकबर” के नारे लगाए। यह दृश्य न केवल प्रदर्शन स्थल के माहौल को भावुक बना दिया बल्कि यह भी साबित कर दिया कि किसान आंदोलन में धर्म या जाति की कोई भूमिका नहीं है।
किसान नेताओं ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नवीन राठी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “पंजाब में किसान आंदोलन को दबाने के लिए सरकार तानाशाही तरीके अपना रही है। किसान नेताओं को गिरफ्तार करके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और बड़ा होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को लगातार नजरअंदाज कर रही है जिससे किसान समुदाय में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
जिला प्रशासन ने किसानों का ज्ञापन लिया, अब क्या होगा अगला कदम?
प्रदर्शनकारी किसानों ने जिलाधिकारी के प्रतिनिधि सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप को अपना ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन प्राप्त करने के बाद प्रशासन ने किसानों से बातचीत का आश्वासन दिया है।
हालांकि, किसान नेताओं का कहना है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन को और विस्तार देंगे। उन्होंने साफ किया कि इस बार वे सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे।
क्या सरकार किसानों की बात सुनेगी?
इस प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि किसान समुदाय अपने हक के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटेगा। अब सवाल यह है कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है। अगर जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकला तो आने वाले दिनों में किसान आंदोलन और तेज हो सकता है।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे दिल्ली कूच करने का फैसला कर सकते हैं। ऐसे में सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले और उनका तुरंत समाधान निकाले।
क्या आपको लगता है कि सरकार को किसानों की मांगें मान लेनी चाहिए? हमें कमेंट में बताएं!