Muzaffarnagar जिले में भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के नेतृत्व में किसानों और अल्ट्रासाउंड संचालकों ने जिला स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिला अध्यक्ष निखिल चौधरी की अगुवाई में किए गए इस आंदोलन में स्वास्थ्य विभाग पर भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुनील तेवतिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, साथ ही जनसेवा के बजाय कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाने का आरोप भी लगाया।
भाकियू के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त चेतावनी
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष निखिल चौधरी ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सीधे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीएमओ कार्यालय अब जनसेवा का केंद्र नहीं रह गया है, बल्कि भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हो चुका है। अल्ट्रासाउंड सेंटरों और क्लीनिकों के रजिस्ट्रेशन के नाम पर विभाग द्वारा अवैध वसूली की जा रही है। यदि यह स्थिति नहीं बदली, तो 11 अगस्त को जिला स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। निखिल ने साफ कहा कि किसान अब चुप नहीं रहेंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेगें।
प्रदर्शनकारियों ने लगाए गंभीर आरोप, बताया स्वास्थ्य विभाग की पोल
प्रदर्शन में शामिल किसानों और अल्ट्रासाउंड संचालकों ने आरोप लगाया कि सीएमओ कार्यालय में आम जनता और संचालकों से रजिस्ट्रेशन और अनुमति के नाम पर अनगिनत चक्कर लगवाए जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जबरन धन वसूली की जाती है और यदि कोई विरोध करता है तो संस्थान सील कर दिए जाते हैं। शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे आम जनता और व्यवसायिक संचालकों में भारी नाराजगी फैल गई है।
स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से बढ़ती सामाजिक नाराजगी
मुजफ्फरनगर में स्वास्थ्य सेवाओं में आई यह खामी सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि आम लोगों की जिंदगी पर असर डालने वाली समस्या बन चुकी है। क्षेत्र के अल्ट्रासाउंड संचालक और किसान दोनों ही इस भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। उनका मानना है कि सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता और ईमानदारी का अभाव होने से ही इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती है। यह विरोध प्रदर्शन इस बात की गवाही है कि जब सत्ता भ्रष्टाचार में डूबी हो तो आम जनता को अपनी आवाज़ उठानी पड़ती है।
आंदोलन की तैयारी और आगे की रणनीति
भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के निखिल चौधरी ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों को तत्काल नहीं माना गया तो 11 अगस्त को जिला स्तर पर व्यापक आंदोलन किया जाएगा। आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की मांग प्रमुख रहेगी। किसान संगठन के कार्यकर्ता भी इस आंदोलन में पूरी ताकत से शामिल होंगे। उनका उद्देश्य है कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी गड़बड़ी न हो।
स्वास्थ्य विभाग पर सवाल: क्या होगा जवाब?
इस विरोध प्रदर्शन ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारी अब यह सोचने पर मजबूर होंगे कि कैसे जनसेवा के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने दिया जा रहा है। जनता की बढ़ती नाराजगी और संगठित किसान आंदोलन प्रशासन पर दबाव बढ़ाएंगे कि वे जल्दी से जल्दी सुधारात्मक कदम उठाएं। अन्यथा यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।
प्रदर्शन का प्रभाव और सामाजिक बदलाव की उम्मीद
ऐसे विरोध प्रदर्शन इस बात का प्रतीक हैं कि जनता अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने को तैयार है। मुजफ्फरनगर के किसान और अल्ट्रासाउंड संचालक मिलकर भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ खड़े हैं। यह आंदोलन न केवल भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी है, बल्कि प्रशासन के लिए भी संदेश है कि वह जनहित को प्राथमिकता दे। इस संघर्ष से सामाजिक और प्रशासनिक सुधार की उम्मीद जगती है।
मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के नेतृत्व में किसानों और अल्ट्रासाउंड संचालकों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के खिलाफ उनकी आवाज़ इस क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की मांग करती है। यदि जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो 11 अगस्त को बड़े आंदोलन के जरिए यह मुद्दा और भी गरम हो सकता है।