Muzaffarnagar में कूड़ा उठाने वाली कंपनी एमआई2सी (MI2C) के खिलाफ अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। शुक्रवार को सिविल लाइन थाना क्षेत्र में दर्जनों कर्मचारी, जिसमें डंपर चालक और सफाईकर्मी शामिल थे, ने सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज़ उठाई और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी के अधिकारियों द्वारा उनका शोषण किया जाता है, उन्हें अपमानित किया जाता है और बिना किसी गलती के उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है।

कर्मचारियों का शोषण और दुर्व्यवहार:

कर्मचारियों के आरोप बेहद गंभीर हैं। एक डंपर चालक रवि ने बताया कि डीजल भरवाने के दौरान डंपर की जाली खुली मिली थी। इस पर कंपनी अधिकारियों ने उन्हें गाली-गलौज की और अपमानित करते हुए उन्हें नौकरी से निकाल दिया। रवि ने स्पष्ट किया कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें न सिर्फ बदनाम किया गया, बल्कि कंपनी से निकाल भी दिया गया। यह मामला कोई अकेला नहीं है, बल्कि कई अन्य कर्मचारियों ने भी अपनी शिकायतें साझा की हैं।

नीरज बिडला का बड़ा आरोप:

कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरज बिडला ने इस मामले में खुलकर आरोप लगाए। उन्होंने एमआई2सी कंपनी को बंधुआ मजदूरी से भी बदतर करार दिया। नीरज का कहना था कि कंपनी कर्मचारियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करती है। गाली-गलौज, मारपीट और अपमान जैसी घटनाएं सामान्य बात हो गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी के एक अधिकारी आशीष राणा, जो हरियाणा के निवासी हैं, ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे कर्मचारियों के मन में गहरा आक्रोश है।

सिविल लाइन थाना में दर्ज शिकायत:

इन आरोपों के बाद कर्मचारियों ने सिविल लाइन थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। नीरज बिडला ने कहा कि वे इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे और कंपनी प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आग्रह करेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो वे और भी बड़ा आंदोलन करेंगे और इसका विरोध करेंगे।

कंपनी के खिलाफ बढ़ता आक्रोश:

एमआई2सी कंपनी के खिलाफ कर्मचारियों का गुस्सा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन उनकी कोई भी शिकायत नहीं सुनता और उन्हें टालता रहता है। वहीं, कंपनी का रवैया भी कर्मचारियों के साथ न्याय करने में नकारात्मक दिखाई दे रहा है। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नीरज बिडला ने यह भी बताया कि यह मामला सिर्फ मुजफ्फरनगर तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य शहरों में भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

क्या होगी नगर पालिका की भूमिका?

यह मामला नगर पालिका के लिए भी एक चुनौती बन गया है, क्योंकि यह कंपनी नगर पालिका के अधीन काम कर रही है। सवाल यह उठता है कि नगर पालिका ने कंपनी के कर्मचारियों के साथ हो रहे इस शोषण पर अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया है। क्या नगर पालिका इस मामले में दखल देगी? क्या कर्मचारियों के लिए न्याय होगा? क्या इस तरह के मामलों को रोकने के लिए नगर पालिका कोई ठोस नीति बनाएगी?

कर्मचारियों का कहना है कि अगर इस बार कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला सिर्फ एक आंदोलन का रूप नहीं लेगा, बल्कि इससे नगर पालिका की छवि भी दांव पर लगेगी। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी शिकायतों का समाधान नहीं हुआ, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

कर्मचारी और प्रशासन के रिश्ते:

इस पूरे मामले से यह साफ हो जाता है कि श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। यह सिर्फ एक कंपनी का मामला नहीं है, बल्कि पूरे प्रशासन और सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाता है। कर्मचारियों के लिए सिर्फ कंपनी ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि प्रशासन का भी यह कर्तव्य बनता है कि वह इन मामलों में हस्तक्षेप करे और सुनिश्चित करे कि कर्मचारियों को उनका हक मिले।

इस स्थिति में अगर प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो न सिर्फ कर्मचारियों का विश्वास टूटेगा, बल्कि शहर की साफ-सफाई व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या एमआई2सी और अन्य कंपनियों को भविष्य में और अधिक जिम्मेदारी से काम करने के लिए मजबूर किया जाएगा?



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