मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) — पूरे जनपद में आज श्री गुरु नानक देव जी महाराज का 556वां प्रकाश पर्व धार्मिक उल्लास, भक्ति और सेवा की भावना के बीच बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया गया। नगर के रोडवेज गुरुद्वारा साहिब में आयोजित इस भव्य आयोजन में श्रद्धालु संगतों की भारी भीड़ उमड़ी।

पूरा वातावरण “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह” के जयघोषों से गूंज उठा। श्रद्धा, प्रेम और भाईचारे का यह नज़ारा हर किसी को भावविभोर कर गया। शहर की गलियों से लेकर गुरुद्वारा परिसर तक हर ओर रोशनी, सजे पंडाल और नितनेम की मधुर ध्वनियां वातावरण को पवित्र बना रही थीं।


गुरुबाणी कीर्तन से गूंजा रोडवेज गुरुद्वारा साहिब

श्री गुरु सिंह सभा की ओर से आयोजित इस भव्य कार्यक्रम की शुरुआत अमृत वेले में कीर्तन दरबार से हुई। प्रसिद्ध हजूरी रागी भाई कमलजीत सिंह ने जब मधुर सुरों में गुरुबाणी का कीर्तन प्रस्तुत किया, तो पूरा गुरुद्वारा साहिब भक्ति रस में डूब गया।

उनके द्वारा गाए गए “सतनाम वाहेगुरु”, “एक ओंकार सतनाम” और “जो बोले सो निहाल” जैसे शबदों ने संगतों के हृदय को छू लिया। श्रद्धालु झूम उठे, नतमस्तक हुए, और कई तो आंखों में आंसू लेकर सेवा भाव में लीन दिखे।


कथा के माध्यम से मिला गुरु नानक देव जी का जीवन संदेश

गुरुद्वारा गांधी कॉलोनी के हेड ग्रंथी ज्ञानी जोगा सिंह और ज्ञानी हरजीत सिंह ने संगतों को गुरु नानक देव जी के उपदेशों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन से हमें सिखाया कि
न कोई ऊंच-नीच है, न कोई बड़ा-छोटा, सबमें एक ही परमात्मा का अंश विद्यमान है।

उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने मानवता, समानता और सेवा को जीवन का आधार माना। उनकी वाणी –
नाम जपो, कीरत करो, वंड छको” –
आज भी समाज को प्रेम और एकता की राह दिखाती है।

ज्ञानी हरजीत सिंह ने संगतों को प्रेरित किया कि वे अपने जीवन में सादगी, सेवा और सच्चाई का मार्ग अपनाएं। उनकी कथा ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।


बच्चों ने शबद-गायन से जीता दिल, रक्तदान शिविर बना आकर्षण

कार्यक्रम में गुरु गोबिंद सिंह पब्लिक स्कूल के बच्चों ने शबद-गायन प्रस्तुत कर संगतों का मन मोह लिया। उनके द्वारा गाए गए शबद “देह शिवा बर मोहे एहै” और “सतनाम वाहेगुरु” पर संगतों ने वाहवाही दी। बच्चों की प्रस्तुति ने पूरे वातावरण को ऊर्जा और आनंद से भर दिया।

इस अवसर पर सामाजिक संस्था “समर्पित युवा” द्वारा रक्तदान शिविर भी लगाया गया। सिख परंपरा की सेवा भावना को आगे बढ़ाते हुए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रक्तदान किया। आयोजन समिति ने बताया कि 150 से अधिक यूनिट रक्त एकत्र किया गया — जो मानवता की सबसे बड़ी सेवा है।


प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने बढ़ाया गौरव

कार्यक्रम में जिले के कई प्रमुख गणमान्य व्यक्तित्वों ने शिरकत की।
राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल, नगरपालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप, भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. सुधीर सैनी, जिलाधिकारी उमेश मिश्रा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय वर्मा, भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत, सपा के राष्ट्रीय सचिव राकेश शर्मा, निशांत मलिक, उद्यमी कुश पुरी, सुनील तायल, कृष्ण गोपाल मित्तल, और सभासद अमित पटपटिया सहित कई जनप्रतिनिधि एवं व्यापारी समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे।

सभी अतिथियों ने मत्था टेककर गुरु नानक देव जी से आशीर्वाद प्राप्त किया, और एकता, भाईचारे तथा मानवता के संदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।


गुरु का अटूट लंगर: सेवा का सजीव उदाहरण

प्रकाश पर्व का समापन गुरु के अटूट लंगर के साथ हुआ। संगतों ने प्रेमपूर्वक भोजन परोसा और ग्रहण किया। कोई ऊंच-नीच नहीं, कोई भेदभाव नहीं — सभी ने एक पंक्ति में बैठकर एक ही थाल से प्रसाद ग्रहण किया।

गुरुद्वारे के लंगर हाल में “सेवा ही सच्चा सुख है” की भावना साफ झलक रही थी। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग — हर कोई सेवा में लगा था। सब्जी काटने से लेकर जूठे बर्तन साफ करने तक, हर कार्य में उत्साह और समर्पण दिखाई दिया।


श्री गुरु नानक देव जी के उपदेशों का अनुपालन: आधुनिक समाज के लिए प्रेरणा

गुरु नानक देव जी का जीवन समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने 15वीं सदी में ही समानता, भाईचारा और स्त्री-पुरुष समान अधिकारों की बात कही थी। उनके संदेश आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हैं, जब समाज में मतभेद और विभाजन की बातें होती हैं।

उनकी शिक्षाएं सिखाती हैं कि “धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है।”
आज भी जब कोई गरीब की मदद करता है, रक्तदान करता है, या किसी भूखे को भोजन कराता है, तो वह नानक के मार्ग पर ही चल रहा होता है।


प्रकाश पर्व बना सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक

गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन रहा, बल्कि सामाजिक एकता का उत्सव भी बन गया। हर वर्ग, हर धर्म और हर समुदाय के लोग इसमें शामिल हुए। यह आयोजन इस बात का सजीव उदाहरण है कि जब समाज सेवा और प्रेम के मार्ग पर चलता है, तो सभी विभाजन मिट जाते हैं।

गुरुद्वारे में हर चेहरे पर मुस्कान, हर आंख में भक्ति, और हर हाथ में सेवा की भावना थी। यह आयोजन मुजफ्फरनगर की धार्मिक और सामाजिक समरसता का सुंदर उदाहरण बना।


गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मुजफ्फरनगर में न केवल श्रद्धा का प्रतीक बना, बल्कि मानवता, समानता और सेवा का जीवंत संदेश भी दे गया। श्री गुरु सिंह सभा के प्रधान सतपाल सिंह मान एवं पदाधिकारियों ने सभी संगतों का धन्यवाद करते हुए कहा कि गुरु नानक देव जी की वाणी आज भी अंधकार में प्रकाश की किरण बनकर मानवता को दिशा दे रही है। संगतें गुरु के उपदेशों को आत्मसात करने का प्रण लेकर लौट गईं — यही सच्चे अर्थों में प्रकाश पर्व का उद्देश्य है।

 



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