Muzaffarnagar  जनकपुरी स्थित ऐतिहासिक गौरीशंकर मंदिर में बीती रात से हो रही तेज बारिश के चलते भारी जलभराव हो गया। सड़कों से बहता पानी सीधे मंदिर परिसर में घुस गया, जिससे पूजा-पाठ पूरी तरह ठप हो गई। नगर पालिका की व्यवस्थाओं की पोल खुलती नज़र आई, और श्रद्धालु असहाय होकर अपने आराध्य को जल में डूबते देख रहे हैं।

पूजा रुक गई, पुजारी और भक्तों की आस्था को लगा धक्का
पुजारी देवेंद्र मिश्रा, जो पिछले 15 वर्षों से मंदिर में सेवा कर रहे हैं, ने बताया कि बरसात में हर साल यही समस्या उत्पन्न होती है, लेकिन नगर प्रशासन से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस बार स्थिति और भी भयावह है क्योंकि मंदिर के गर्भगृह तक पानी पहुंच चुका है।

प्रशासन तक कई बार गई शिकायतें, लेकिन नतीजा सिफर
पुजारी ने कहा कि उन्होंने नगर पालिका, क्षेत्रीय पार्षदों, और राज्य सरकार में मंत्री कपिल देव अग्रवाल तक कई बार शिकायतें कीं, पर कोई समाधान नहीं निकला। उन्होंने कहा, “हर बार कहा जाता है कि समाधान करेंगे, लेकिन हर सावन में फिर वही जलभराव।”

धरना देने पहुंचे समाजसेवी, पानी में खड़े होकर जताया विरोध
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए क्षेत्रीय समाजसेवी मनीष चौधरी मंदिर पहुंचे और पुजारी के साथ मंदिर परिसर में खड़े होकर धरना शुरू कर दिया। उनका कहना था, “जब तक मंदिर से पानी नहीं निकलेगा, हम यहीं खड़े रहेंगे। नगर पालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप को इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”

श्रावण मास में श्रद्धालुओं को भारी असुविधा
सावन के महीने में जब भगवान शिव की आराधना चरम पर होती है, उसी समय ऐसा दृश्य आस्था को चोट पहुंचा रहा है। पुजारी ने बताया कि सावन में हज़ारों श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं, लेकिन वर्तमान हालात में यह भी संभव नहीं रहा।

स्थायी जलनिकासी योजना की मांग
पुजारी और समाजसेवी ने मिलकर प्रशासन से यह मांग रखी कि मंदिर में स्थायी जलनिकासी व्यवस्था बनाई जाए, ताकि हर साल जलभराव से न जूझना पड़े। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार को प्राथमिकता देने की बात कही और कहा कि इतना प्राचीन व पवित्र स्थल होते हुए भी मंदिर को आज तक कोई सरकारी मान्यता नहीं मिली है।

मोहल्ले के लोग खुद कर रहे सफाई, मंदिर को कोई सहारा नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर पालिका की टीम तो दिखाई तक नहीं देती। मजबूरी में मोहल्ले के लोग खुद सफाई करने और पानी निकालने की कोशिश करते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आती है।

बढ़ सकता है आंदोलन, श्रद्धालुओं में आक्रोश

यदि जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया, तो स्थानीय नागरिकों और धार्मिक संगठनों द्वारा बड़ा प्रदर्शन किया जा सकता है। लोगों का कहना है कि मंदिर का अपमान सहन नहीं किया जाएगा।

गौरीशंकर मंदिर: आस्था, संस्कृति और उपेक्षा का संगम
यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि जनकपुरी की पहचान भी है। सांस्कृतिक धरोहर होते हुए भी यह मंदिर सरकारी योजनाओं से वंचित है, जो निंदनीय है। लोग पूछते हैं, “क्या आस्था का सम्मान सिर्फ भाषणों तक सीमित रह गया है?”

प्रशासन कब लेगा ज़िम्मेदारी?
अब देखना ये है कि क्या नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हैं या फिर पुजारी और समाजसेवी ऐसे ही जल में खड़े होकर विरोध करते रहेंगे।


अंत में: मुज़फ्फरनगर का गौरीशंकर मंदिर आज एक परीक्षा के दौर से गुजर रहा है। जहां एक ओर श्रद्धा की शक्ति जल के बीच भी खड़ी है, वहीं प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। श्रद्धालुओं की उम्मीद अब भगवान से ज्यादा प्रशासन की जागरूकता पर टिकी है। क्या अब भी नगर पालिका इस पुकार को अनसुना करेगी या फिर इस बार वाकई कुछ बदलेगा?



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