Muzaffarnagar। थाना खतौली पुलिस ने मोबाइल टावरों से उपकरण चोरी करने वाले एक अंतर्राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह पिछले कई महीनों से विभिन्न जिलों में सक्रिय था और मोबाइल टावरों के कीमती उपकरण चोरी कर उन्हें अवैध रूप से बेचकर मुनाफा कमा रहा था। पुलिस ने गिरोह के 4 शातिर चोरों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से चोरी किए गए उपकरण, अवैध हथियार, मोटरसाइकिल और स्कूटी सहित अन्य सामान बरामद किया है।
पुलिस ने बताया कि इस गिरोह ने अब तक 12 चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया था, जिसमें 4 घटनाएं थाना खतौली, 2 घटनाएं थाना मंसूरपुर, 1 घटना थाना नई मंडी और 5 घटनाएं थाना दौराला (मेरठ) की शामिल हैं। गिरोह के सभी सदस्य पेशेवर चोर हैं और उन्होंने मोबाइल टावरों से 4 आरआर, 2 आरआरयू, 4 मॉड्यूल, 2 रेक्टिफायर, 5 मोबाइल फोन, 1 स्कूटी, 1 मोटरसाइकिल और 2 तमंचे सहित कई सामान चोरी किए थे।
कैसे पकड़े गए ये चोर?
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह के निर्देशन में अपराधियों की धरपकड़ के लिए एक विशेष अभियान चलाया गया। पुलिस अधीक्षक नगर सत्यनारायण के पर्यवेक्षण और क्षेत्राधिकारी राम आशीष यादव के निर्देशन में थाना खतौली प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में टीम गठित की गई।
गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने सफेदा रोड ओवरब्रिज के पास छापा मारा और चारों चोरों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से बरामद अवैध असलहे और चोरी का सामान इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये लंबे समय से इस अवैध गतिविधि में लिप्त थे।
गिरफ्तार चोरों की पहचान
गिरफ्तार चोरों की पहचान इस प्रकार हुई:
- दुष्यन्तपाल (पुत्र मोहर सिंह) – निवासी सकौती बाईपास, थाना दौराला, मेरठ।
- रवि (पुत्र जगमाल) – निवासी ग्राम चांदसमद, थाना खतौली।
- कैशव सैन (पुत्र हजारीलाल सैन) – निवासी ग्राम समाया, जिला ग्वालियर, मध्य प्रदेश।
- अंकित शर्मा (पुत्र मूलचंद शर्मा) – निवासी फरीदपुर, थाना सरधना, मेरठ।
इसके अलावा दो वांछित अभियुक्तों की तलाश जारी है:
- मोनू शर्मा उर्फ दुष्यंत – निवासी ग्राम जमालपुर, थाना इंचौली, मेरठ।
- दीपक – निवासी सकौती बाईपास, थाना दौराला, मेरठ।
चोरी का तरीका
पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि वे पहले पंजाब में मोबाइल टावरों पर काम करते थे, जिससे उन्हें उपकरणों की तकनीकी जानकारी हो गई। इसका फायदा उठाकर उन्होंने दिन में ऐसे मोबाइल टावरों की पहचान करनी शुरू की, जो जंगलों में या आबादी से दूर स्थित होते थे।
रात के समय वे उन टावरों पर पहुंचते, जहां कोई सुरक्षा गार्ड नहीं होता था, और कीमती उपकरणों को चुरा लेते थे। चोरी के बाद ये उपकरण बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर अवैध मुनाफा कमाते थे।
पुलिस की अगली कार्रवाई
पुलिस अब इन चोरों से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि चोरी किया हुआ माल किन-किन लोगों को बेचा गया। साथ ही, गिरोह के अन्य सदस्यों और उनके नेटवर्क का भी पता लगाया जा रहा है। पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के तार अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं।
बरामदगी की पूरी सूची
गिरफ्तार आरोपियों से निम्नलिखित सामान बरामद किया गया है:
- 4 आरआर (मोबाइल टावर उपकरण)
- 2 आरआरयू
- 4 मॉड्यूल
- 2 रेक्टिफायर
- 5 मोबाइल फोन
- 1 स्कूटी
- 1 मोटरसाइकिल
- 2 तमंचे (315 बोर) और 2 कारतूस।
गिरफ्तारी में शामिल पुलिस टीम
इस सफलता के लिए गठित पुलिस टीम में निम्नलिखित अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे:
- निरीक्षक बृजेश कुमार शर्मा
- उपनिरीक्षक नंदकिशोर शर्मा
- अमित कुमार
- कांस्टेबल कपिल सहलोत
- अर्जुन शर्मा
- रोबिन कुमार
- मनीष
- हेड कांस्टेबल मुनीश शर्मा
- विपिन राणा
- निरोत्तम
- शौबीर
- प्रदीप कुमार
मोबाइल टावर चोरियों की बढ़ती घटनाएं: चिंता का विषय
मोबाइल टावरों से उपकरणों की चोरी सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इससे न केवल टेलीकॉम कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि दूरसंचार सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
इस तरह की घटनाओं में तेजी से वृद्धि के चलते टेलीकॉम कंपनियों और सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरण और कड़ी निगरानी आवश्यक है।
खतौली पुलिस द्वारा किए गए इस सफल ऑपरेशन ने एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है, लेकिन यह घटना टेलीकॉम उद्योग को अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से विचार करने का संकेत देती है। ऐसे अभियानों से न केवल अपराधियों को सजा मिलती है, बल्कि समाज में एक मजबूत संदेश भी जाता है कि अपराध किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।