मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) जिले में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। सनातन धर्म सभा भवन, जो झाँसी की रानी मार्ग से सटी आर्यपुरी गली में स्थित है, वहां पर एक नशेड़ी द्वारा देवताओं की मूर्तियों को खंडित कर दिया गया। इस घटना ने क्षेत्रीय जनता की धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है और नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, देवस्थल के मुख्य द्वार पर ताला लगा हुआ था, इसके बावजूद आरोपी युवक दीवार फांद कर अंदर दाखिल हो गया और वहां स्थापित कई देवताओं की मूर्तियों को तोड़ डाला। यह घटना तब और भी भयावह हो गई जब यह सामने आया कि इस मार्ग से रोजाना स्कूल के सैकड़ों बच्चे भी आते-जाते हैं, और गली में अक्सर नशेड़ी तत्वों का जमावड़ा रहता है।

क्षेत्रीय निवासियों ने कई बार नगर पालिका से गुहार लगाई थी कि गली और मंदिर परिसर के आसपास डाले जाने वाले कूड़े-कचरे को नियमित रूप से हटाया जाए और सुरक्षा के उचित प्रबंध किए जाएं, परन्तु वादे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए।

गुस्साए स्थानीय निवासियों ने किया प्रदर्शन

घटना के बाद गली के सभी परिवारों में भारी आक्रोश फैल गया। मौके पर मौजूद अतुल कुमार गर्ग, अतुल बंसल, आशु बंसल, अजय कुमार गर्ग, अनिल बत्रा, उदित बत्रा, महेंद्र गोयल, संजीव गोयल, प्रशांत बंसल, राहुल कश्यप, सुनीता देवी, मंगला देवी, शुभम कश्यप, विकास कश्यप और शिवा कश्यप सहित अन्य सदस्यों ने एकजुट होकर जोरदार विरोध दर्ज कराया।

गुस्साए लोगों ने नशेड़ी को पकड़ कर तुरंत पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आरोपी लंबे समय से नशे की लत का शिकार है और पहले भी इस क्षेत्र में उपद्रव करता रहा है।

श्री कृष्ण कृपा जियो गीता परिवार ने उठाई मांग

श्री कृष्ण कृपा जियो गीता परिवार, मुजफ्फरनगर के महामंत्री अतुल कुमार गर्ग ने कहा कि यह केवल मूर्तियों का खंडन नहीं है, बल्कि हमारी आस्था और धार्मिक भावनाओं पर हमला है। उन्होंने नगर पालिका से मांग की कि पूरे क्षेत्र में नशेड़ियों की आवाजाही पर रोक लगे और नियमित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों के दौरान नेताओं द्वारा वादे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बदलने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। आज अगर प्रशासन ने समय रहते उचित कदम उठाए होते, तो ऐसी शर्मनाक घटना नहीं घटती।

नशे की बढ़ती समस्या और लचर नगर पालिका व्यवस्था

यह घटना कोई अलग-थलग मामला नहीं है। पिछले कुछ महीनों में मुजफ्फरनगर में नशेड़ियों की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई है। कई बार स्थानीय लोग इस मुद्दे को उठाते रहे हैं कि सार्वजनिक स्थलों, खासतौर पर धार्मिक स्थलों के पास सुरक्षा इंतजाम बढ़ाए जाएं।

लेकिन अफसोस की बात है कि नगर पालिका और प्रशासन की लापरवाही के कारण समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। खुलेआम नशा करना, सार्वजनिक स्थलों को गंदा करना, गली-मोहल्लों में उपद्रव फैलाना अब आम हो गया है। अगर जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।

बच्चों और महिलाओं में डर का माहौल

गली में रहने वाले लोगों का कहना है कि अब बच्चों और महिलाओं का अकेले बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के लिए यह रास्ता मुख्य मार्ग है, और हर दिन ऐसे असामाजिक तत्वों के बीच से होकर उन्हें स्कूल जाना पड़ता है।

स्थानीय निवासी सुनीता देवी ने कहा, “हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जब देवताओं तक को नहीं बख्शा गया, तो आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?”

प्रशासन से उठी सख्त कार्रवाई की मांग

समाज के सभी वर्गों ने प्रशासन से मांग की है कि इस घटना की गंभीरता को समझते हुए आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही पूरे इलाके में निगरानी बढ़ाई जाए, CCTV कैमरे लगाए जाएं, और नगर पालिका द्वारा सफाई व सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।

अतुल कुमार गर्ग ने यह भी सुझाव दिया कि हर धार्मिक स्थल के बाहर स्थाई चौकीदार की नियुक्ति की जाए और गली-मोहल्लों में नशे के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए।

क्या प्रशासन चेतेगा?

अब सवाल यह है कि क्या नगर पालिका और जिला प्रशासन इस बार सच में कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर यह घटना भी फाइलों में दबी किसी रिपोर्ट का हिस्सा बनकर रह जाएगी? जनता की आस्था पर प्रहार हुआ है, और अब उनकी उम्मीदें भी टूटने के कगार पर हैं।

स्थानीय लोगों का संकल्प

घटना से आहत स्थानीय निवासियों ने यह संकल्प लिया है कि वे इस मुद्दे को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक कि दोषियों को सजा नहीं मिल जाती और क्षेत्र में पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था लागू नहीं हो जाती। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो वे बड़े स्तर पर धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

निष्कर्ष नहीं, सवालों की झड़ी

यह घटना मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में बढ़ते सामाजिक पतन का प्रतीक है। जहां एक ओर धार्मिक स्थलों का अपमान हो रहा है, वहीं प्रशासनिक उदासीनता लोगों को असुरक्षित बना रही है। अब समय आ गया है कि जनता की आवाज को गंभीरता से सुना जाए और वास्तविक सुधार किए जाएं।

नगर पालिका को चाहिए कि तुरंत कार्यवाही कर इस क्षेत्र को स्वच्छ, सुरक्षित और नशेड़ियों से मुक्त बनाए ताकि ऐसी शर्मनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। क्षेत्रवासियों की एक ही मांग है—”आस्था की रक्षा और सुरक्षा की गारंटी।”



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