Muzaffarnagar , उत्तर प्रदेश – नशे के अवैध कारोबार ने जनपद के हर कोने में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। नशा तस्करी, नशीली दवाओं और इंजेक्शनों का भारी कारोबार शहर, कस्बों और ग्रामीण इलाकों तक पहुंच चुका है। ऐसे में सामाजिक संगठनों और नागरिकों की चिंता बढ़ती जा रही है। क्रांतिसेना और शिवसेना के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी उमेशचंद्र मिश्रा से मुलाकात कर इस गंभीर समस्या पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने जनपद में नशे के कारोबार को रोकने के लिए उच्चस्तरीय जांच और प्रभावी कदम उठाने पर जोर दिया।
नशे की जड़ें फैलीं हर गली-मोहल्ले में, युवा वर्ग बर्बाद हो रहा
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि नशे का कारोबार अब केवल छुपकर नहीं बल्कि खुलेआम भी हो रहा है। गली हो या मोहल्ला, कस्बा हो या शहर का कोना, हर जगह नशे की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि छोटे बच्चे तक इसके चंगुल में फंसते जा रहे हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि नशे के इस भंवर में सबसे अधिक युवा फंसे हैं, जो स्कूल और कॉलेज के छात्र हैं। बेरोजगारी की समस्या का फायदा उठाते हुए नशा माफिया युवाओं को नशे की ओर धकेल रहा है।
नशा माफिया की चालाकी: बेरोजगारों का फायदा उठाकर मेडिकल स्टोर खोलना
इस गंभीर समस्या का एक नया पहलू यह भी सामने आया है कि नशा माफिया बेरोजगार युवाओं को फंसाकर उनके नाम पर मेडिकल स्टोर का लाइसेंस ले लेते हैं। इस लाइसेंस का इस्तेमाल कर वे नशीली दवाओं का कारोबार करते हैं। जब पुलिस कार्रवाई करती है तो केवल लाइसेंसधारी युवक पकड़ा जाता है, जबकि असली माफिया खुलेआम घूमता रहता है। यह एक ऐसी योजना है जिसने नशे के कारोबार को और भी संगठित और पनपने वाला बना दिया है।
गली-गली में खुलते मेडिकल स्टोर और दुकानें, प्रशासन की जांच आवश्यक
प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी से मांग की है कि वे गली-गली में खुल रहे मेडिकल स्टोर, पान की दुकानें और परचून की दुकानों की नियमित और सख्त जांच कराएं। इन जगहों पर नशीली दवाओं का अवैध व्यापार भारी मात्रा में हो रहा है, जो प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है।
प्रशासन पर लापरवाही के आरोप, तेजी से कार्रवाई की मांग
जनपद के नागरिकों और संगठनों का आरोप है कि प्रशासन अब तक नशे के इस कारोबार पर प्रभावी कदम नहीं उठा पाया है। नशे के कारोबार को लेकर अधिकारियों की लापरवाही ने माफियाओं को और मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रशासन ठोस कदम उठाए और नशे के कारोबार को जड़ से खत्म करे।
जिलाधिकारी ने की जांच का आश्वासन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से की बातचीत
मुलाकात के दौरान जिलाधिकारी उमेशचंद्र मिश्रा ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही कार्रवाई करेंगे। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली। यह संकेत है कि प्रशासन इस मुद्दे को लेकर सतर्क हो रहा है, लेकिन अब परिणाम भी दिखने चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन थे?
यह प्रतिनिधिमंडल कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलकर बना था, जिनमें प्रमोद अग्रवाल (मंडल अध्यक्ष), शरद कपूर (क्रांतिसेना जिला अध्यक्ष), मुकेश त्यागी (शिवसेना जिला प्रमुख), बिट्टू सिखेड़ा (महानगर अध्यक्ष), देवेंद्र चौहान, पूनम (महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष), पूनम चौधरी (अग्रवाल महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष), संजीव वर्मा (जिला उपाध्यक्ष), शैलेंद्र विश्वकर्मा, चौधरी, पूनम चाहल, भुवन मिश्रा, अभिषेक शर्मा, निकुंज चौहान आदि शामिल थे।
मुजफ्फरनगर में नशे का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
नशे का प्रकोप सिर्फ व्यक्तिगत जीवन ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित कर रहा है। नशे में डूबे युवाओं की पढ़ाई-लिखाई बिगड़ रही है, रोजगार के अवसर छिन रहे हैं और परिवारों में तनाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, नशे के कारण अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, जिससे जनपद की सामाजिक व्यवस्था डगमगा रही है।
देशभर में नशा और अवैध ड्रग्स का बढ़ता कहर
मुजफ्फरनगर की ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है। नशे के खिलाफ सरकार कई बार अभियान चलाती रही है, लेकिन नशा माफियाओं की चतुराई और संगठित नेटवर्क के कारण यह समस्या कम होती नहीं दिख रही। इस स्थिति में स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त योजना और ठोस कदम बेहद जरूरी हो गए हैं।
युवा वर्ग को नशे से बचाने के लिए शिक्षा और जागरूकता जरूरी
सिर्फ सख्ती ही नहीं, बल्कि युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए सामाजिक संगठनों और शैक्षिक संस्थानों को भी आगे आना होगा। युवाओं को रोजगार के अवसर देने, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने, और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल करने से ही नशे से लड़ाई सफल हो सकती है।
जिलाधिकारी की पहल और जनता की भूमिका
जिलाधिकारी उमेशचंद्र मिश्रा ने इस मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन प्रशासन को जनता के साथ मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा। नशे के खिलाफ सामूहिक जागरूकता, शिकायत प्रणाली की मजबूती और नियमित जांच से ही मुजफ्फरनगर को नशे की पकड़ से मुक्त किया जा सकता है।
मुजफ्फरनगर में नशे के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाना अब समय की मांग है। युवा वर्ग की बढ़ती दिक्कतें, बेरोजगारी और नशे के कारोबार का संगठित रूप प्रशासन और समाज दोनों के लिए चुनौती हैं। प्रशासन द्वारा ठोस कदम और समाज की जागरूकता ही इस भयंकर समस्या को रोकने का सबसे कारगर उपाय साबित होगा।