Muzaffarnagar में इस वर्ष 8वां राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (National Naturopathy Day 2025) अत्यंत उत्साह और आध्यात्मिक भावना के साथ मनाया गया। आयोजन का स्थल था—लाला चतर सैन जैन प्राकृतिक चिकित्सालय, अतिशय क्षेत्र वहलना, जहाँ पूरे दिन प्राकृतिक स्वास्थ्य, योग, आहार विज्ञान और औषधि-मुक्त उपचार पद्धतियों पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस अवसर पर महात्मा Gandhi जी, जो प्राकृतिक चिकित्सा के महान समर्थक रहे, उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। उनकी नेचुरोपैथी के प्रति आस्था आज भी इस दिन का केंद्र बिंदु है।
गाँधीजी की नेचुरोपैथी विचारधारा को नमन—प्राकृतिक आहार विषय पर ज्ञानवर्धक कार्यशाला
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा ‘प्राकृतिक आहार’ विषय पर विशेष कार्यशाला, जहाँ विशेषज्ञों ने बताया कि—
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प्रकृति-सम्मत भोजन
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जल चिकित्सा
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मिट्टी उपचार
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सूर्य स्नान
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और औषधि-मुक्त उपचार प्रणाली
कैसे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाती है।
गाँधीजी ने अपनी जीवन यात्रा में प्राकृतिक चिकित्सा पर अत्यधिक भरोसा किया और इसे जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया।
कार्यशाला में युवाओं, विद्यार्थियों, स्थानीय चिकित्सकों और समाजसेवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
नेचुरोपैथों को सम्मान—धीरेंद्र गुप्ता व ऋषभ गुप्ता को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र भेंट
प्राकृतिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुँचाने वाले दो प्रमुख नेचुरोपैथ—
को मंच पर सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह में श्री प्रवेंद्र दहिया और डॉ. राजीव कुमार ने दोनों को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र प्रदान किया।
यह सम्मान ना केवल इनके योगदान की सराहना है, बल्कि युवाओं को प्राकृतिक चिकित्सा की दिशा में प्रेरित करने का संदेश भी देता है।
विद्यालयी बच्चों को प्राकृतिक चिकित्सा की सैर—होली चाइल्ड पब्लिक इंटर कॉलेज के विद्यार्थियों को मिला दुर्लभ ज्ञान
कार्यक्रम में होली चाइल्ड पब्लिक इंटर कॉलेज जड़ौदा के विद्यार्थियों का विशेष भ्रमण कराया गया।
यहां उन्हें—
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प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांत
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औषधि-मुक्त उपचार की अवधारणा
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योग और प्राणायाम का महत्व
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प्राकृतिक आहार के लाभ
के बारे में शिक्षण सामग्री और विस्तृत जानकारी दी गई।
आयोजकों का मानना है कि बच्चों को शुरुआती उम्र से प्रकृति-आधारित जीवनशैली की समझ देना आवश्यक है।
2018 से लगातार मनाया जा रहा प्राकृतिक चिकित्सा दिवस—आयुष मंत्रालय की पहल
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 2018 में हर वर्ष 18 नवंबर को नेशनल नेचुरोपैथी डे घोषित किया था। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 18 नवंबर 1945 को महात्मा गांधी अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा फाउंडेशन ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष बने थे।
जिस दिन उन्होंने इस आंदोलन पर हस्ताक्षर किए, वह भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक क्षण माना जाता है।
नेचुरोपैथी का मूल सिद्धांत है—
“शरीर स्वयं अपने आप को ठीक करने में सक्षम है।”
और यही विचार आज आधुनिक विश्व में भी अत्यधिक लोकप्रिय हो रहा है।
नेचुरोपैथी—औषधि-मुक्त चिकित्सा प्रणाली की वैश्विक उभरती हुआ पहचान
Natural Naturopathy Day 2025 के अवसर पर विशेषज्ञों ने बताया कि नेचुरोपैथी में—
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योग
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प्राकृतिक आहार
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जल चिकित्सा (Hydrotherapy)
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मिट्टी चिकित्सा (Mud Therapy)
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सूर्य स्नान (Sun Bath)
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तनाव प्रबंधन
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प्राकृतिक जीवनशैली
जैसे तरीकों का प्रयोग कर स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जाता है।
इस चिकित्सा प्रणाली का विश्वास है कि प्राकृतिक ऊर्जा (Vital Force) शरीर को स्वयं उपचार की क्षमता देती है।
आयुष मंत्रालय का विकास सफर—2014 से लेकर आधुनिक Natural Health के विस्तार तक
आयुष मंत्रालय का गठन 09 नवंबर 2014 को हुआ था, जिसका उद्देश्य भारत की पारंपरिक और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक स्तर पर पुनर्जीवित करना था।
इससे पहले—
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1995 में ISM & H विभाग की स्थापना
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2003 में नाम बदलकर आयुष विभाग
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2014 में पूर्ण मंत्रालय का गठन
किया गया, जिसने प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्ध, यूनानी और आयुर्वेद को भारत की मुख्य स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में प्रोत्साहित किया।
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान (NIN), पुणे 2018 से हर वर्ष थीम आधारित राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है।
INO, NIH और इंडियन योग एसोसिएशन के मार्गदर्शन में हुआ कार्यक्रम—योगाचार्यों की सक्रिय भूमिका
इस वर्ष का आयोजन INO, NIH तथा इंडियन योग एसोसिएशन के मार्गदर्शन में हुआ।
कार्यक्रम में विशेष रूप से—
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योगाचार्य श्री सतकुमार
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योगाचार्य श्री योगेश कुमार
और पूरा संस्थान स्टाफ
ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम में आध्यात्मिक ऊर्जा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों का सुंदर संयोजन प्रस्तुत किया।
मुज़फ्फरनगर में आयोजित Natural Naturopathy Day 2025 का यह भव्य समारोह न सिर्फ पारम्परिक स्वास्थ्य पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि युवाओं और समाज को प्रकृति आधारित जीवनशैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करता है। महात्मा गांधी की विरासत और प्राकृतिक चिकित्सा के आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए यह आयोजन आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य जागरूकता के नए आयाम स्थापित करेगा।
