Muzaffarnagar, 8 दिसंबर से शुरू हो रहे पल्स पोलियो अभियान की तैयारियों ने स्वास्थ्य विभाग में हलचल मचा दी है। इस अभियान के तहत, 0-5 वर्ष के लगभग 45,000 बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। यह विशेष अभियान जिले के सभी क्षेत्रों में चलाया जाएगा।
उपजिलाधिकारी श्रीमती मोनालिसा जौहरी के नेतृत्व में बैठक का आयोजन
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अवनीश कुमार सिंह द्वारा आयोजित इस संवेदीकरण बैठक में उपजिलाधिकारी श्रीमती मोनालिसा जौहरी ने प्रमुख भूमिका निभाई। बैठक में इस अभियान की रणनीति, टीमों की तैनाती और बच्चों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के निर्देशों और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के दिशानिर्देशों के तहत इस अभियान की तैयारियां की गई हैं।
टीमों की तैनाती और प्रशिक्षण
पोलियो ड्रॉप्स पिलाने के लिए 131 टीमों का गठन किया गया है, जिसमें 42 सुपरवाइजर्स और 7 सेक्टर मेडिकल ऑफिसर शामिल हैं। इन टीमों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाने का कार्य बिना किसी समस्या के कर सकें। यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक टीम को पर्याप्त संसाधन और जानकारी प्राप्त हो ताकि उनका कार्यक्षेत्र प्रभावी और सफल हो सके।
बूथ गतिविधियों और मोबाइल टीमों की भूमिका
पोलियो अभियान के दौरान 8 दिसंबर को कुल 195 बूथ स्थापित किए जाएंगे, जहां पर बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स दिए जाएंगे। इसके अलावा, 28 ट्रांजिट बूथ भी तैयार किए गए हैं ताकि विशेष स्थानों पर बच्चों को वैक्सीनेशन प्रदान किया जा सके। इन ट्रांजिट बूथों के माध्यम से तीव्र गति से बच्चों तक पहुंच बनाई जाएगी। 4 मोबाइल टीमों की भी तैनाती की गई है, जो दूर-दराज के क्षेत्रों में जाकर बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स देने का कार्य करेंगी।
बैठक में शामिल अधिकारी और उनकी भूमिका
बैठक में कई महत्वपूर्ण अधिकारी और कर्मचारियों ने भाग लिया। बीडीओ कुमारी विशाखा, सीडीपीओ राहुल, एबीएसए पंकज, एडीओ पंचायत अरुण, पूर्ति निरीक्षक राजेश, बीपीएम जावेद, सुपरवाइजर विजय, देवेंद्र और डब्ल्यूएचओ मॉनिटर अमित ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन अधिकारियों ने अभियान की सफलता के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए कड़ी मेहनत करने का संकल्प लिया।
पोलियो अभियान का महत्व
पोलियो एक जानलेवा बीमारी है जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। इसका प्रकोप शरीर के तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाकर स्थायी रूप से अक्षम बना सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य स्वास्थ्य संगठनों द्वारा किए गए प्रयासों से पोलियो को कई देशों से समाप्त किया जा चुका है। हालांकि, भारत में पोलियो का खतरा अब भी बना हुआ है, जिससे यह अभियान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक
पोलियो ड्राइव की सफलता के लिए समाज के हर वर्ग को सहयोग देना आवश्यक है। माता-पिता से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों और सरकारी अधिकारियों तक सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी। यह अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक हर बच्चे को पोलियो ड्रॉप्स नहीं मिलते और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा नहीं होती।
सजगता और जागरूकता की आवश्यकता
पोलियो अभियान के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए कई प्रचार कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि पोलियो ड्रॉप्स की खुराक कितनी महत्वपूर्ण है और कैसे यह उनके बच्चों को एक गंभीर बीमारी से बचा सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समर्थन
इस अभियान को सफल बनाने में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का भी बड़ा योगदान है। WHO और UNICEF जैसी संस्थाएं न केवल वित्तीय समर्थन देती हैं, बल्कि अभियान को वैश्विक स्तर पर सफल बनाने के लिए जरूरी मार्गदर्शन भी प्रदान करती हैं।
आगामी योजना और लक्ष्य
पोलियो अभियान की सफलता के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने योजना बनाई है कि अभियान के बाद एक समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में अभियान की सफलता और किसी भी समस्या का समाधान किया जाएगा। इसके अलावा, यदि आवश्यकता पाई गई तो एक और अभियान चलाने की योजना भी बनाई जाएगी।
नतीजा और उम्मीदें
इस बार का पल्स पोलियो अभियान मुजफ्फरनगर के लिए एक बड़ा मौका है कि वे पोलियो उन्मूलन में एक और कदम बढ़ा सकें। जब सभी टीमों, अधिकारियों और जनता का सहयोग मिलेगा, तो यह अभियान निश्चित रूप से सफल होगा और जिले के बच्चों को एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य मिलेगा।
पोलियो अभियान के लिए अब हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को पोलियो ड्रॉप्स देने के लिए 8 दिसंबर को घर से बाहर निकले और सुनिश्चित करें कि उनके बच्चे इस अभियान से लाभान्वित हों।