मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के Muzaffarnagar में एक बार फिर सियासत और अपराध के गठजोड़ का नया अध्याय सामने आया है। कादिर राणा की फैक्ट्री में हुए जीएसटी छापे के बाद हेरफेर और षड्यंत्र के आरोपों में फंसे पूर्व विधायक शाहनवाज राणा की रिहाई एक बार फिर मुश्किलों में पड़ गई है। गत दिवस मिली जमानत पर प्रक्रिया पूरी न होने के कारण उनकी जेल से रिहाई संभव नहीं हो पाई, और अब उनके खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज होने से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला तब शुरू हुआ जब मुजफ्फरनगर की कादिर राणा की फैक्ट्री में जीएसटी विभाग ने छापा मारा। छापेमारी के दौरान बड़े पैमाने पर दस्तावेजों की गड़बड़ी का खुलासा हुआ, जिसमें कागजी हेरफेर और वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं। मामले की जांच के दौरान पुलिस ने पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में आरोपी बनाया।
सूत्रों के अनुसार, शाहनवाज राणा पर आरोप है कि उन्होंने दस्तावेजों में बदलाव कर कर चोरी को बढ़ावा दिया। इसके अलावा, उनकी भूमिका फैक्ट्री के कामकाज में संदिग्ध पाई गई। पुलिस ने उनकी संलिप्तता के पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसके बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
जमानत में क्यों लगा अड़ंगा?
पिछले दिनों शाहनवाज राणा को अदालत से जमानत मिलने की खबर आई थी। हालांकि, जमानत की शर्तों के तहत जमानतदारों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। पुलिस द्वारा जांच के लिए दस्तावेजों को समय पर प्रस्तुत नहीं करने की वजह से रिहाई टल गई।
इस बीच, पुलिस ने एक और नया मामला दर्ज कर राणा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अदालत में पेश किए गए आरोपों में कहा गया है कि राणा ने जीएसटी छापे के दौरान जानबूझकर दस्तावेजों में हेरफेर की और जांच में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया।
अदालत की कार्रवाई
सीजेएम कविता अग्रवाल की अदालत ने शाहनवाज राणा को न्यायिक हिरासत में ही रखने का निर्देश दिया है। उन्हें जेल से तलब कर अदालत में पेश किया गया, जहां पुलिस ने नए आरोपों से संबंधित दस्तावेज पेश किए। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद उन्हें फिर से न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अब पूर्व विधायक को दोनों मामलों में जमानत लेनी होगी, लेकिन मौजूदा हालात देखते हुए यह प्रक्रिया आसान नहीं लग रही। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में राणा के खिलाफ जुटाए गए साक्ष्य उनकी जमानत प्रक्रिया को लंबा खींच सकते हैं।
सियासी माहौल गरमाया
इस मामले ने मुजफ्फरनगर के राजनीतिक माहौल को फिर से गर्म कर दिया है। पूर्व विधायक का परिवार और समर्थक इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं। वहीं, विपक्षी दलों ने राणा पर कार्रवाई को सही ठहराते हुए इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कदम बताया है।
स्थानीय जनता भी इस प्रकरण को लेकर बंटी हुई नजर आ रही है। जहां कुछ लोग इसे प्रशासन की कार्रवाई बताते हैं, वहीं कुछ इसे राजनीति से प्रेरित मानते हैं।
शाहनवाज राणा का इतिहास
शाहनवाज राणा का नाम पहले भी विवादों से जुड़ता रहा है। एक समय पर वह अपने क्षेत्र में प्रभावशाली नेता माने जाते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और अपराध से जुड़े कई मामले सामने आए।
सूत्र बताते हैं कि राणा के राजनीतिक करियर में गिरावट का बड़ा कारण उनके खिलाफ लगे ये आरोप ही रहे हैं। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि यह सब उनके राजनीतिक करियर को समाप्त करने की साजिश है।
पुलिस की कड़ी कार्रवाई
पुलिस इस मामले में कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। अधिकारी लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि शाहनवाज राणा को हर उस मामले में जवाबदेह बनाया जाएगा, जिसमें उनकी संलिप्तता पाई जाती है।
भविष्य की राह
शाहनवाज राणा के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती इन कानूनी मामलों से बाहर निकलने की है। जब तक दोनों मुकदमों में जमानत नहीं मिल जाती, उनकी रिहाई संभव नहीं है। इसके अलावा, उन पर लगे आरोपों के कारण उनके राजनीतिक करियर पर भी असर पड़ सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि राणा और उनके वकील इन मामलों को कैसे संभालते हैं। साथ ही, पुलिस और प्रशासन का अगला कदम क्या होगा, इस पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं।