Muzaffarnagar के जानसठ कस्बे में एक अनोखी पहल देखने को मिली, जिसने न सिर्फ पूरे जिले को हैरान कर दिया बल्कि यह पहल पूरे उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के एक नए अध्याय की शुरुआत बन गई है। कस्बे के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सुबोध कुमार ने अपनी एक क्रांतिकारी पहल के तहत स्थानीय बेटी वर्णिका को एक दिन का एसडीएम बना दिया। इस कदम ने न सिर्फ इलाके में चर्चा का विषय बना दिया, बल्कि योगी सरकार द्वारा चलाए जा रहे “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और महिला सशक्तिकरण अभियानों को एक नई दिशा दी है।

वर्णिका की कहानी: संघर्ष से सफलता तक
कस्बे की बेटी, वर्णिका, जो यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की तैयारी कर रही थी, एक समय खुद को अपार संघर्ष से जूझते हुए देख रही थी। एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद वह सात महीने तक बेड रेस्ट पर रही। इस दौरान, उसकी मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास पर गहरा असर पड़ा। यह कठिन समय उसकी पढ़ाई और भविष्य के सपनों को लेकर उसे निराश करने वाला था। लेकिन तभी उसे एक उम्मीद की किरण मिली, जो उसके जीवन को एक नया मोड़ देने वाली थी।

एसडीएम सुबोध कुमार का प्रेरणादायक कदम
जब उपजिलाधिकारी सुबोध कुमार को वर्णिका की स्थिति के बारे में पता चला, तो उन्होंने न केवल उसकी समस्याओं को समझा, बल्कि उसका उत्साह बढ़ाने का एक अनोखा तरीका निकाला। उन्होंने वर्णिका को एक दिन के लिए एसडीएम नियुक्त किया। यह एक कदम था जो न सिर्फ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है, बल्कि उन लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है जो किसी न किसी रूप में संघर्ष कर रही हैं। सुबोध कुमार का यह कदम “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान का जीवंत उदाहरण बन गया है।

कस्बे में एक नया उत्साह
वर्णिका को एक दिन का एसडीएम बनाए जाने के बाद, जानसठ कस्बे का माहौल पूरी तरह से बदल गया। इस पहल ने न सिर्फ महिला सशक्तिकरण को एक नया आकार दिया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि अगर किसी महिला को सही दिशा और अवसर मिले तो वह किसी भी मापदंड पर पुरुषों से कम नहीं हो सकती।

सभी क्षेत्रीय गणमान्य व्यक्तियों ने इस पहल की सराहना की। बार संघ के सचिव योगेश गुर्जर, एडवोकेट यशवंत कंबोज, सुरेंद्र कुमार, दीपेश गुप्ता, आशुतोष बंसल, निशांत कंबोज, और दिनेश बंसल जैसे प्रमुख व्यक्तियों ने वर्णिका को शुभकामनाएं दीं और एसडीएम सुबोध कुमार की इस पहल की जमकर तारीफ की। सभी ने यह कहा कि इस तरह के कदम समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करते हैं और यह महिला शक्ति को सम्मान देने का सही तरीका है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में योगी सरकार की पहल
योगी सरकार ने हमेशा से ही महिलाओं के उत्थान और उनके सशक्तिकरण के लिए कई योजनाओं और अभियानों की शुरुआत की है। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसमें लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है और उनके खिलाफ हो रहे अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया जाता है।

योगी सरकार की इस नीति का असर अब स्थानीय स्तर पर भी दिखने लगा है। जहां एक ओर सरकार महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर एसडीएम सुबोध कुमार जैसे अधिकारी इसे जमीन पर उतारने के लिए नए कदम उठा रहे हैं। यह साबित करता है कि सरकार की योजनाएं अब केवल कागजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका प्रभाव समाज के हर वर्ग पर पड़ रहा है।

संबंधित पहल और सफलता की कहानियां
यह कदम केवल एक उदाहरण नहीं है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब एक समुदाय और सरकार मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसे कदम उठाए गए हैं जहां लड़कियों और महिलाओं को विभिन्न सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर सशक्त किया गया है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य सरकार ने कई पहल की हैं, जिनके परिणामस्वरूप आज प्रदेश में लड़कियों की शिक्षा दर में वृद्धि देखी जा रही है। कई ऐसी छात्राएं हैं जिन्होंने अपनी कठिनाइयों को पार करते हुए अपने सपनों को साकार किया और आज वे समाज में एक आदर्श बन चुकी हैं।

कुल मिलाकर, एक संदेश
एसडीएम सुबोध कुमार द्वारा उठाया गया कदम न सिर्फ एक दिन की एसडीएम नियुक्ति तक सीमित रहा, बल्कि यह समाज में महिला सशक्तिकरण का एक मजबूत संदेश भी था। यह घटना यह साबित करती है कि अगर हर महिला को समान अवसर मिलें, तो वह किसी भी मुकाम तक पहुंच सकती है। इससे महिलाओं को आत्मविश्वास मिलता है और वे अपने अधिकारों को समझ पाती हैं।

आखिरकार, यह एक प्रेरणा बनता है हर उस महिला और लड़की के लिए, जो जीवन में किसी न किसी कारण से संघर्ष कर रही है। यह कदम समाज के पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रेरित करता है कि वे अपनी मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास के साथ हर लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।



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