Muzaffarnagar की शांत फिजाओं में सोमवार को अचानक आंदोलन की लहर दौड़ गई जब भारतीय किसान यूनियन (तोमर गुट) के सैकड़ों कार्यकर्ता ट्रैक्टरों के लंबे काफिले के साथ शहर की कचहरी पहुंचे। इस जोरदार प्रदर्शन और महापंचायत ने प्रशासन की नींद उड़ा दी। सुबह से ही शहर के अलग-अलग मार्गों पर ट्रैक्टरों की आवाजाही देखी गई, जिससे माहौल में हलचल और बेचैनी साफ झलक रही थी।
गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग
भाकियू तोमर के कार्यकर्ताओं की मुख्य मांग थी कि करीब 10 दिन पूर्व हुई एक झड़प में जेल भेजे गए दो कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए। उनका आरोप था कि वे शांतिपूर्ण ढंग से नई मंडी थाना क्षेत्र में प्रदर्शन कर रहे थे, जब पुलिस से तीखी झड़प हो गई और पुलिस ने झूठे मुकदमे में दो कार्यकर्ताओं को फंसा दिया।
पुलिस की कार्रवाई बनी आक्रोश का कारण
कार्यकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि नई मंडी थाना पुलिस ने अभद्रता की, गालियां दीं और शांति भंग करने का आरोप लगाकर अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तारी की। इसी बात ने भाकियू तोमर को उग्र कर दिया, और उन्होंने महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया।
महापंचायत की घोषणा के साथ ही तैयारी जोरों पर
महापंचायत के एलान के बाद से ही भाकियू तोमर के कार्यकर्ता गांव-गांव, गली-गली में प्रचार करने लगे। सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता सुबह से ही ट्रैक्टरों और जीपों में सवार होकर कचहरी की ओर रवाना हुए। महिलाओं की भी भागीदारी ने इस आंदोलन को और प्रभावशाली बना दिया।
जाम में फंसा पूरा शहर, कोर्ट रोड से महावीर चौक तक यातायात प्रभावित
महापंचायत के कारण कोर्ट रोड, रेलवे रोड, झांसी की रानी चौक, प्रकाश चौक, महावीर चौक सहित प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक पूरी तरह से जाम हो गया। शहर के मुख्य चौराहों पर गाड़ियों की लंबी कतारें लगी रहीं और आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रशासन द्वारा भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया, लेकिन भीड़ को नियंत्रित करना आसान नहीं था।
प्रशासन रहा हाई अलर्ट पर, हर मोड़ पर सुरक्षा तैनाती
महापंचायत को लेकर जिला प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी। सुबह से ही एसपी, डीएम, सीओ सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौके पर डटे रहे। हर चौराहे और गली में पुलिस की तैनाती, ड्रोन से निगरानी और वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की गई थी।
कलेक्टरेट परिसर में गरजे भाकियू नेता
भाकियू तोमर के प्रदेश अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने मंच से भाषण देते हुए प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं किया गया और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तीखा किया जाएगा। नेताओं ने मंच से कहा कि यह सिर्फ एक चेतावनी है, लेकिन यदि न्याय नहीं मिला, तो पूरा जिला ठप कर दिया जाएगा।
पुलिस व प्रशासन की सफाई, जांच की बात
पुलिस अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मामले की जांच चल रही है और किसी निर्दोष को सजा नहीं दी जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ही गिरफ्तारी की गई थी, जो प्रक्रिया के अनुसार की गई थी।
ट्रैक्टरों का रेला बना जनता की परेशानी
इस महापंचायत में ट्रैक्टरों की भरमार थी। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, ट्रैक्टरों की लाइनें और लंबी होती चली गईं। आम लोग, दफ्तर जाने वाले कर्मचारी, स्कूली बच्चे और व्यापारी इस भीड़ और जाम में बुरी तरह फंस गए। कुछ जगहों पर एंबुलेंस तक जाम में फंस गई, जिससे लोगों में असंतोष भी दिखा।
राजनीतिक हलकों में हलचल, प्रशासन पर सवाल
इस प्रदर्शन को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चाएं गर्म हैं। विपक्ष ने प्रशासन पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्यों किसानों को अपनी बात रखने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। कुछ नेताओं ने समर्थन में बयान दिया, तो कुछ ने शहर की व्यवस्था चरमराने पर नाराजगी भी जताई।
महापंचायत खत्म, लेकिन गूंज बाकी
दिन भर चले इस प्रदर्शन के बाद देर शाम महापंचायत का समापन हुआ, लेकिन कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो अगली बार इससे भी बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। प्रशासन को एक सप्ताह का समय दिया गया है निर्णय लेने के लिए।
अंत में, मुजफ्फरनगर की सड़कों पर भाकियू तोमर के प्रदर्शन ने एक बार फिर दिखा दिया कि किसान आज भी अपनी आवाज़ बुलंद करना जानता है। यह आंदोलन सिर्फ दो कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग नहीं, बल्कि एक संदेश है – अगर न्याय नहीं मिला, तो किसान चुप नहीं बैठेगा।