Muzaffarnagar में भारत रत्न, महान शिक्षाविद एवं राष्ट्रवादी विचारक पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती के अवसर पर जनपदभर में श्रद्धा, सम्मान और वैचारिक स्मरण के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
सुबह से ही नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा ब्राह्मण समाज से जुड़े पदाधिकारियों ने महामना को नमन किया और उनके योगदान को स्मरण किया।

यह दृश्य स्पष्ट संकेत दे रहा था कि महामना मालवीय केवल किसी एक विचारधारा या दल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।


मालवीय चौक बना श्रद्धा का केंद्र, प्रतिमा पर हुआ माल्यार्पण

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर नगर का मालवीय चौक श्रद्धा का मुख्य केंद्र बन गया।
मालवीय इंटर कॉलेज के समीप स्थित महामना की प्रतिमा पर विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े पदाधिकारियों एवं गणमान्य नागरिकों ने माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

सुबह लगभग 9 बजे मालवीय चौक पहुंचे माननीय मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि महामना मालवीय के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और समाज को उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।


भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों की सामूहिक उपस्थिति

इस अवसर पर भाजपा नेता गौरव स्वरूप, नगर पालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप, ईओ पालिका प्रज्ञा सिंह, वार्ड 26 के सभासद देवेश कौशिक, सभासद रितु त्यागी सहित लगभग आधा दर्जन सभासदों ने मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
इस दौरान जयघोष हुआ और महामना के जीवन, शिक्षा-दर्शन और राष्ट्रसेवा पर संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली व्याख्यान भी दिए गए।

नेताओं ने कहा कि मालवीय जी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि शिक्षा और संस्कार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण कैसे किया जा सकता है।


विभिन्न राजनीतिक दलों की एकजुटता ने दिया विशेष संदेश

भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 164वीं जयंती पर मालवीय चौक पर राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता का दृश्य भी देखने को मिला।
कांग्रेस नेता पं. सुबोध शर्मा, वरिष्ठ सपा नेता राकेश शर्मा, वरिष्ठ रालोद नेता पंडित उमादत्त शर्मा, भाजपा नेता पं. सतीश शर्मा (करवाड़ा), भाजपा नेता राजेश कौशिक सहित अन्य नेताओं ने प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित कर नमन किया।

वक्ताओं ने कहा कि महामना मालवीय का व्यक्तित्व ऐसा था, जो सभी विचारधाराओं को जोड़ने का कार्य करता है और यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है।


हवन-पूजन के साथ दी महामना मालवीय एजुकेशन एंड वेलफेयर ट्रस्ट की विशेष पहल

मालवीय जयंती के अवसर पर दी महामना मालवीय एजुकेशन एंड वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा मालवीय चौक पर विधिवत हवन-पूजन का आयोजन किया गया।
हवन के मुख्य यजमान वरिष्ठ सपा नेता राकेश शर्मा एवं अखिलेश दत्त शर्मा रहे।
इस दौरान महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके विचारों और आदर्शों के प्रति श्रद्धा प्रकट की गई।

ट्रस्ट के अध्यक्ष सभासद एवं सचिव योगेश शर्मा ने महामना मालवीय के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने शिक्षा को राष्ट्रसेवा का सबसे सशक्त माध्यम माना।


महामना के जीवन संघर्ष और शिक्षा दर्शन पर प्रकाश

कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार पंडित मदन मोहन मालवीय ने कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रवाद को सर्वोच्च स्थान दिया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान तक, महामना का जीवन त्याग, तपस्या और दूरदर्शिता का प्रतीक रहा।

वक्ताओं ने कहा कि आज की पीढ़ी को मालवीय जी के विचारों से प्रेरणा लेकर शिक्षा को केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम बनाना चाहिए।


बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक रहे उपस्थित

इस अवसर पर सुभाष चंद गौतम, अखिल वत्स, पूर्व प्रबंधक महेश गौतम, उमेश शर्मा, सुबोध शर्मा पिन्ना, प्रमोद शर्मा, पूर्व एडीओ चंद्रप्रकाश शर्मा, डॉ. शैलेंद्र गौतम, पत्रकार संदीप वत्स (पंडित जी) सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
ब्राह्मण समाज से जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों ने भी मालवीय चौक पर हवन-पूजन कर महामना को श्रद्धांजलि अर्पित की।


Muzaffarnagar News में विचार, श्रद्धा और प्रेरणा का संगम

पूरे जनपद में आयोजित इन कार्यक्रमों ने यह स्पष्ट कर दिया कि महामना मालवीय आज भी समाज के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं।
उनका जीवन यह संदेश देता है कि शिक्षा, नैतिकता और राष्ट्रभक्ति—तीनों मिलकर ही एक सशक्त समाज की नींव रखते हैं।


महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर मुजफ्फरनगर में दिखी यह व्यापक सहभागिता इस बात का प्रमाण है कि उनके विचार समय की सीमाओं से परे हैं। शिक्षा, सेवा और राष्ट्रभक्ति का उनका संदेश आज भी समाज को दिशा देता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्थायी स्रोत बना हुआ है।

 



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