Muzaffarnagar जनपद के बुढ़ाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। गांव उमरपुर में उस वक्त मातम छा गया जब एक स्कूली वैन की चपेट में आने से करीब ढाई साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई। यह हादसा इतना अचानक हुआ कि परिवार संभल भी नहीं पाया और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
घटना की सूचना मिलते ही बुढ़ाना थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं, हादसे के बाद आरोपी वैन चालक घटनास्थल से गाड़ी सहित फरार हो गया था, लेकिन पुलिस की तत्परता से उसे कुछ ही घंटों में गाड़ी सहित हिरासत में ले लिया गया।
सड़क हादसे से उमरपुर गांव में मातम – ग्रामीणों में गुस्सा और दुख का माहौल
गांव उमरपुर की गलियों में उस दिन मातम और खामोशी दोनों फैली हुई थी। ढाई साल के मासूम की मौत की खबर जैसे ही फैली, ग्रामीणों की भीड़ घटनास्थल पर उमड़ पड़ी। हर किसी की आंखों में आंसू थे और गुस्सा भी था कि आखिर स्कूली वैनें इतनी लापरवाही से कैसे चल रही हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह वैन कस्बे के एक निजी स्कूल की थी और अचानक तेज रफ्तार में आई वैन ने बच्चे को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे के बाद ड्राइवर वहां से भाग निकला, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और कुछ देर में पुलिस टीम मौके पर पहुंची।
पुलिस ने आरोपी चालक को दबोचा, पूछताछ जारी
सूचना मिलते ही थाना बुढ़ाना पुलिस हरकत में आई और इलाके में नाकाबंदी कर आरोपी चालक की तलाश शुरू की। कुछ ही घंटों में पुलिस ने चालक को गाड़ी सहित गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, चालक से पूछताछ की जा रही है कि हादसा लापरवाही से ड्राइविंग के कारण हुआ या किसी तकनीकी खराबी से।
फिलहाल, पुलिस ने गाड़ी को जब्त कर लिया है और चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
परिवार में मचा कोहराम – मां की चीखों से गूंज उठा गांव
जब पुलिस ने बच्चे के परिवार को इस हादसे की सूचना दी, तो घर में कोहराम मच गया।
मां बेसुध होकर गिर पड़ी और पिता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
परिजनों का कहना है कि बच्चा रोजाना घर के आंगन में खेलता था, लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि उसकी जिंदगी इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी।
गांव के लोग परिजनों के घर पहुंचकर सांत्वना दे रहे हैं, लेकिन किसी के पास ऐसे शब्द नहीं हैं जो इस गम को कम कर सकें।
स्थानीय प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
इस दर्दनाक हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यदि वैन स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से संचालित हो रही थी या सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हुआ है, तो स्कूल के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
कई ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कई स्कूलों की वैनें बिना फिटनेस सर्टिफिकेट, बिना प्रशिक्षित ड्राइवर और ओवरलोड बच्चों के साथ सड़कों पर दौड़ रही हैं।
यह हादसा प्रशासन के लिए एक बड़ा सबक बन सकता है कि स्कूली वाहनों की निगरानी प्रणाली को और कड़ा किया जाए।
“मासूम की मौत ने झकझोर दिया समाज को” — जागरूकता की ज़रूरत
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा के प्रति स्कूल कितने जिम्मेदार हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन अब स्कूल वैनों की नियमित जांच करे और हर ड्राइवर का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए।
लोगों ने कहा कि अब समय आ गया है कि माता-पिता भी अपने बच्चों की स्कूल यात्रा को लेकर जागरूक रहें।
सुरक्षा बेल्ट, स्पीड गवर्नर, और प्रशिक्षित ड्राइवर जैसे मानक स्कूलों में सख्ती से लागू किए जाने चाहिए।
गांव में सन्नाटा और आक्रोश दोनों — ग्रामीणों ने जताई नाराज़गी
हादसे के बाद गांव उमरपुर में सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा भी शांत नहीं हुआ।
कई लोगों ने कहा कि अगर प्रशासन पहले से स्कूली वैनों की निगरानी करता, तो यह मासूम आज ज़िंदा होता।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि गांव के स्कूलों के बाहर स्पीड ब्रेकर लगाए जाएं और सुबह-शाम पुलिस की गश्त बढ़ाई जाए।
कई सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना को लेकर प्रशासन से “बाल सुरक्षा अभियान” शुरू करने की मांग की है ताकि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो।
बाल सुरक्षा को लेकर सरकार की नीतियों पर उठे सवाल
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी स्कूल वाहन की लापरवाही ने एक मासूम की जान ली हो।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले एक वर्ष में दर्जनों बच्चे स्कूल वैन और बस हादसों के शिकार हो चुके हैं।
फिर भी, सख्त कार्रवाई और प्रभावी निगरानी की कमी साफ दिखाई देती है।
सरकार की “स्कूल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी गाइडलाइन” के तहत हर वाहन में स्पीड लिमिटर, फायर एक्सटिंग्विशर, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स और एक अटेंडेंट का होना जरूरी है।
लेकिन हकीकत में इन मानकों का पालन बहुत कम जगहों पर होता है।
जनता की आवाज़ – “बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं”
स्थानीय लोगों ने कहा कि अब वक्त है कि हर माता-पिता, स्कूल प्रशासन और जिला अधिकारी इस जिम्मेदारी को गंभीरता से लें। लोगों ने कहा कि यदि स्कूलों की लापरवाही साबित होती है, तो उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई ऐसी गलती न करे।
मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में हुई इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सड़क सुरक्षा और बाल संरक्षण केवल कागज़ों पर नहीं, जमीनी स्तर पर भी उतनी ही जरूरी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस हादसे के बाद कितनी सख्ती से नियमों को लागू करता है और क्या इस मासूम की मौत समाज में कोई जागरूकता लाती है।
