मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar)। ग्राम चांदपुर-मखियाली में एक निर्माणाधीन मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। पूरे इलाके में तनाव का माहौल है और विरोध प्रदर्शन की आग धीरे-धीरे सियासी रंग भी लेने लगी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक शुक्रवार को ग्रामीणों के समर्थन में धरनास्थल पर पहुंचे और स्पष्ट कहा कि “ग्रामीणों की जिंदगी से बड़ा कोई प्रोजेक्ट नहीं हो सकता।”
क्यों भड़के ग्रामीण? मेडिकल प्लांट के पीछे की साजिश का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें धोखे में रखकर फैक्ट्री का असली उद्देश्य छिपाया गया। शुरुआत में, जिस प्लांट की मंजूरी ली गई थी, वह आइस फैक्ट्री के नाम पर थी। लेकिन 25 जून को जब पूरे देश में बीजेपी लोकतंत्र हत्या दिवस मना रही थी, उसी दिन अचानक बोर्ड बदलकर ‘मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट’ कर दिया गया।
यह देखकर ग्रामीणों के होश उड़ गए। उन्हें अहसास हुआ कि अब उनके आसपास न केवल हवा और पानी का प्रदूषण बढ़ेगा, बल्कि इस प्लांट से निकला मेडिकल वेस्ट बीमारियों को न्योता देगा। इसके बाद गांववालों ने एकजुट होकर लगातार एक महीने से फैक्ट्री गेट के बाहर धरना शुरू कर दिया।
कई गांवों का मिला समर्थन, बना सामूहिक आंदोलन
इस विरोध की आग सिर्फ चांदपुर-मखियाली तक सीमित नहीं रही। मखियाली, पंचेंडा, जट मुझेड़ा, तिगरी जैसे आसपास के 8-10 गांवों के ग्रामीण भी धरने में शामिल हो चुके हैं। लोगों का कहना है कि पहले से ही क्षेत्र में लगभग 20 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिनसे वायु और जल प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है।
एक स्थानीय किसान का कहना था,
“पहले ही बच्चों को एलर्जी, फेफड़ों की बीमारी, और स्किन इंफेक्शन हो रहे हैं। अब अगर मेडिकल वेस्ट प्लांट बना, तो समझिए गांवों में महामारी फैलाना तय है।”
राजनीतिक पारा चढ़ा, पहुंचे हरेंद्र मलिक: बोले- ‘हम ग्रामीणों के साथ हैं’
धरना स्थल पर पहुंचे सांसद हरेंद्र मलिक ने पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से लिया और कहा कि वे खुद इस मसले को उत्तर प्रदेश सरकार और संबंधित मंत्रालय के सामने उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जो अधिकारी केवल आश्वासन देकर चले गए, उन्हें जवाबदेह बनाया जाएगा।
उन्होंने मीडिया के सामने कहा:
“ग्रामीणों का जीवन सबसे महत्वपूर्ण है। अगर कोई भी परियोजना जीवन संकट पैदा करती है, तो उसे रोका जाना चाहिए। प्रशासन को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। मैं इस आंदोलन में ग्रामीणों के साथ हूं।”
क्या है मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट और क्यों है खतरा?
मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट वह जगह होती है, जहां अस्पतालों, लैब्स, क्लीनिकों से निकलने वाले इंफेक्टेड वेस्ट को ट्रीट किया जाता है। इसमें सिरिंज, खून से सने बैंडेज, कटे हुए अंग, टेस्ट ट्यूब, और अन्य जैविक अपशिष्ट शामिल होते हैं। अगर इसे सही तरीके से ट्रीट न किया जाए तो ये हवा, पानी, और जमीन को जहरीला बना सकते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें इस प्लांट की पर्यावरणीय मंजूरी, सुरक्षा उपाय और अपशिष्ट ट्रीटमेंट प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं दी गई है। ये सब बिना पारदर्शिता के हुआ है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल, कार्रवाई का इंतजार
धरना दे रहे ग्रामीणों ने बताया कि मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में लिखित शिकायत दी गई थी। कुछ अधिकारी निरीक्षण को भी पहुंचे, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सिर्फ “जांच जारी है” कहकर मामले को टाल दिया जा रहा है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन किसी दबाव में है? या फिर ये मेडिकल वेस्ट प्लांट बिना पूरी अनुमति के बन रहा है?
सड़क जाम और उग्र प्रदर्शन की चेतावनी
स्थानीय युवाओं और ग्रामीण नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई फैसला नहीं हुआ, तो वे सड़क जाम, मुजफ्फरनगर कलेक्ट्रेट पर घेराव जैसे कदम उठाएंगे।
एक बुजुर्ग किसान का कहना था,
“हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। हम चैन से जीना चाहते हैं, लेकिन ये प्लांट हमें मौत की ओर धकेल रहा है।”
भविष्य में क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता, तो आने वाले समय में यह आंदोलन पूरे जिले में फैल सकता है। साथ ही, अन्य जिलों में भी ऐसे प्लांट्स पर सवाल उठेंगे।
राजनीतिक तौर पर भी यह मामला अहम बनता जा रहा है, क्योंकि आगामी निकाय चुनावों में पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे अहम भूमिका निभा सकते हैं।
मुजफ्फरनगर के चांदपुर-मखियाली में मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को लेकर बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। ग्रामीणों का साफ संदेश है—‘हमारे गांवों को मौत का अड्डा मत बनाओ।’ अब देखना ये है कि प्रशासन और सरकार किस तरफ झुकते हैं—जनता की सेहत की तरफ या प्रोजेक्ट के मुनाफे की तरफ?