Ramleela Muzaffarnagar में रामपुरी एकता शक्ति धर्म प्रचार समिति रजिस्टर्ड द्वारा आयोजित श्री रामलीला का आयोजन इस वर्ष भी भव्य रूप से किया गया। मंचन का दूसरा दिन दर्शकों के लिए विशेष रोमांच और भक्ति से भरपूर रहा। इस दिन रावण-कुंभकरण तप, रावण-वेवदवती संवाद और जानकी जन्म की लीला का अद्भुत मंचन हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में मूर्ति देवी नाम की माता जी ने विधिवत पूजा अर्चना की, और तत्पश्चात कथा वाचक पंडित देवशरण शास्त्री के मार्गदर्शन में आयोजन की शुरुआत हुई। फीता काटकर गणेश वंदना, रामायण आरती और विष्णु भगवान की आरती से आयोजन को शुभारंभ किया गया।
मुख्य अतिथि और आयोजकों की विशेष भागीदारी
इस भव्य आयोजन में कमेटी अध्यक्ष चौधरी शक्ति सिंह, निर्देशक नीरज कौशिक, संयोजक प्रमोद पाल, कोषाध्यक्ष दिवाकर त्यागी, व्यवस्था प्रभारी डॉ. सत्येंद्र कुमार गौतम, महामंत्री वी. निदेशक, उपाध्यक्ष रवि धीमान, विपिन धीमान, हिमांशु गोस्वामी, आदित्य धीमान, चंदू शानू, आयुष पाल, आर्य धीमान, अंश प्रजापति, वंश प्रजापति, बिट्टू काला, लवीश चेतन, विश्वकर्मा रविंद्र सेन, प्रमोद कुमार और नितिन सैनी सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
उनकी उपस्थिति ने आयोजन को और भी भव्य और आकर्षक बना दिया। आयोजकों द्वारा प्रस्तुत भजन, आरती और कथा वाचन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रावण-कुंभकरण तप और वेदवती संवाद: एक अद्भुत अनुभव
रावण-कुंभकरण तप का मंचन दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। रावण और कुंभकरण के चरित्र की गहन प्रस्तुति ने बच्चों और बड़ों दोनों को रोमांचित कर दिया।
इसके बाद मंच पर हुआ रावण-वेदवती संवाद दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया। संवाद में दर्शकों ने पात्रों के अभिनय और भावनाओं का आनंद लिया। यह दृश्य न केवल भव्य था बल्कि रामायण कथा के महत्व को भी उजागर करता था।
जानकी जन्म की लीला: भक्ति और सांस्कृतिक रंगों का संगम
जानकी जन्म का दृश्य भव्यता और सांस्कृतिक रंगों से भरपूर था। मंच पर प्रस्तुति के दौरान देवी जानकी के जन्म का वर्णन, उनके जीवन की पवित्रता और भक्ति भाव को दर्शाने वाले दृश्य ने दर्शकों के मन को मोहित कर दिया।
भजन और आरती के साथ-साथ कथा वाचन ने कार्यक्रम की भक्ति को और भी गहरा बना दिया। दर्शक बार-बार तालियों की गूँज से अपने उत्साह और श्रद्धा का प्रदर्शन कर रहे थे।
आयोजन का सांस्कृतिक महत्व और समाज में प्रभाव
Ramleela Muzaffarnagar सिर्फ एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि समाज में सांस्कृतिक और धार्मिक जागरूकता फैलाने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। ऐसे आयोजन से बच्चों और युवाओं में रामायण और भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ती है।
इस प्रकार के मंचन स्थानीय कलाकारों और युवा प्रतिभाओं को अपनी कला दिखाने का मौका भी देते हैं। मंच पर प्रस्तुत किए गए हर दृश्य में संस्कार, भक्ति और संस्कृति का मिश्रण साफ़ देखा गया।
दर्शकों की प्रतिक्रिया और उत्साह
दर्शक विशेष रूप से भजन, आरती और कथावाचन को लेकर अत्यधिक उत्साहित थे। उनके चेहरे पर भावनाओं और भक्ति की झलक साफ दिखाई दी। इस आयोजन ने पूरे रामपुरी क्षेत्र में सांस्कृतिक उत्सव का माहौल बना दिया।
विभिन्न उम्र के लोग, खासकर बच्चे, माता-पिता के साथ मंचन देखकर न केवल मनोरंजन का आनंद ले रहे थे बल्कि उन्होंने रामायण के शिक्षाप्रद संदेश को भी आत्मसात किया।
समापन और संदेश
आखिरी दिन के भव्य समापन में आयोजन समिति ने सभी प्रतिभागियों, दर्शकों और मुख्य अतिथियों का धन्यवाद किया। यह आयोजन न केवल रामायण कथा का जश्न था बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बन गया। दर्शकों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम उन्हें न केवल मनोरंजन बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और संस्कृति के प्रति जागरूकता भी देते हैं। इस भव्य रामलीला मंचन ने मुजफ्फरनगर में संस्कृति और भक्ति का नया आयाम प्रस्तुत किया।
