मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar News) इस समय जब सर्दियों का मौसम शुरू हो रहा है, पूरे देश में वायु गुणवत्ता में गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इसी संदर्भ में, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईआईए) ने एक महत्वपूर्ण ज्ञापन जारी किया है, जिसमें उन्होंने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से वायु गुणवत्ता सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। आईआईए के चैप्टर चेयरमैन पवन कुमार गोयल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उद्योग और नागरिकों की ओर से यह ज्ञापन प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है।

ज्ञापन की मुख्य बातें

आईआईए का मानना है कि उनकी अधिकांश फैक्ट्रियाँ निर्धारित मानकों के अनुसार चल रही हैं और उन्होंने सीएक्यूएम के निर्देशों का पालन करते हुए जनरेटर भी लगाए हैं। इसके अतिरिक्त, पीएनजी और अन्य ईंधनों का उपयोग भी मानकों के अनुसार किया जा रहा है, जिसे विभिन्न विभागों द्वारा नियमित रूप से निरीक्षण किया जाता है। फिर भी, वायु गुणवत्ता में गिरावट एक गंभीर समस्या है, जो प्रदूषण के अन्य स्रोतों को दर्शाता है।

प्रदूषण के मुख्य कारण

पवन कुमार गोयल ने ज्ञापन में उल्लेख किया कि वायु गुणवत्ता के खराब होने के पीछे निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हैं:

  1. नागरिक और कृषि अपशिष्ट का जलना: यह समस्या विशेषकर सर्दियों में बढ़ जाती है, जब किसान अपने खेतों में जलने वाले अपशिष्ट को जलाते हैं।
  2. कोल्हुओं से प्रदूषण: अवैध कोल्हे और उनकी गतिविधियाँ भी प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत हैं।
  3. सड़क पर वाहनों की अधिकता: वाहनों की बढ़ती संख्या और उनकी बढ़ती गति से निकलने वाले धुएँ से प्रदूषण बढ़ता है।
  4. धूल का उड़ना: सड़कों की खराब स्थिति और निर्माण कार्यों के कारण धूल का उड़ना एक सामान्य बात है, जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
  5. कचरे का खराब प्रबंधन: नगर पालिका और पंचायतों द्वारा कचरे का सही तरीके से निस्तारण न करना भी समस्या को बढ़ाता है।

सुधार की दिशा में कदम

आईआईए ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ प्रमुख सुझाव दिए हैं:

  • समग्र योजना का निर्माण: वायु गुणवत्ता सुधार के लिए एक समग्र योजना तैयार की जानी चाहिए, जिसमें सभी प्रदूषण स्रोतों की पहचान और उनके समाधान के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • नियमित निगरानी और मॉनिटरिंग: प्रदूषण स्तर की नियमित निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि समय-समय पर आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
  • जन जागरूकता अभियान: वायु गुणवत्ता के महत्व को समझाने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। लोगों को इसके स्वास्थ्य पर प्रभावों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
  • अनुसंधान और रिसर्च: वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किसी संस्थान से अनुसंधान कराने की आवश्यकता है। इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समस्या का समाधान संभव हो सकेगा।

भविष्य की दिशा

आईआईए ने यह भी आश्वासन दिया है कि वे उद्योग जगत की ओर से इस चुनौती का सामना करने के लिए पूर्ण समर्थन प्रदान करेंगे। उनका मानना है कि यदि सरकारी विभाग और नागरिक मिलकर काम करें, तो वायु गुणवत्ता में सुधार संभव है। वायु प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक कल्याण पर भी गहरा प्रभाव डालता है।

सरकार की भूमिका

सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका इस मुद्दे में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें चाहिए कि वे प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों को पहचानें और उनके खिलाफ ठोस कदम उठाएं। इसके साथ ही, उन्हें उद्योगों की समस्याओं को भी समझना चाहिए और एक ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिसमें उद्योग विकास कर सकें, साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा भी हो सके।

इस ज्ञापन के माध्यम से आईआईए ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया है कि वायु गुणवत्ता केवल उद्योगों की जिम्मेदारी नहीं है। यह एक सामूहिक समस्या है जिसमें हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। यदि हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान खोजें, तो न केवल हमारे शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। हम सभी को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।



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