Muzaffarnagar की नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने हाल ही में शहर की विकास यात्रा को एक नई दिशा देने का दावा किया। सोमवार को टाउनहाल में आयोजित नगर पालिका बोर्ड की बैठक में 80 करोड़ रुपये की विशाल नगरीय विकास योजना को पारित किया गया। इस योजना के तहत शहर में 55 वार्डों में सड़क निर्माण, जल निकासी, पेयजल आपूर्ति सुधार, पथ प्रकाश व्यवस्था आदि के लिए काम शुरू किया जाएगा। योजना में लगभग 50 करोड़ रुपये सड़कें, नालियां, और जल निकासी कार्यों के लिए निर्धारित किए गए हैं। बाक़ी 30 करोड़ रुपये पेयजल आपूर्ति और पथ प्रकाश व्यवस्था की ओर खर्च होंगे। शहर की मुख्य सड़कों को “फैंसी लाइटों” से सजाने का भी ऐलान किया गया है।
विकास के दावे और हकीकत
मुजफ्फरनगर के निवासियों के लिए यह एक सुखद सपना था कि जल्द ही उनकी सड़कों को पंख लग जाएंगे और जल निकासी प्रणाली से लेकर जलापूर्ति तक, हर समस्या का समाधान किया जाएगा। लेकिन असलियत में शहर की सड़कों की हालत देखकर सवाल उठता है कि क्या यह 80 करोड़ रुपये की योजना सच्चे मायनों में शहर के विकास में योगदान देगी या फिर यह केवल एक और लंबित योजना बनकर रह जाएगी।
शहर की सड़कों पर सड़ता पानी
यह सच है कि मुजफ्फरनगर में सड़कों की हालत बहुत दयनीय है। बारिश के दौरान शहर के कई हिस्से जलमग्न हो जाते हैं और सड़कें लबालब पानी से भरी रहती हैं। नगर पालिका के दावे के बावजूद, लोगों को आज भी इस समस्या का समाधान नहीं मिल पाया है। क्या इन 80 करोड़ रुपये के खर्च से शहर में जल निकासी प्रणाली सुधरेगी या फिर यह भी किसी फाइल में दबकर रह जाएगी?
गांधी पार्क की बदहाली
आइए, एक और उदाहरण पर नजर डालते हैं, वह है गांधी पार्क (Prempuri)। इस पार्क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि यह लोगों के लिए मनोरंजन का स्थान नहीं, बल्कि एक संकट स्थल बन चुका है। जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, और हर बारिश में यहां की सड़कें कीचड़ से सनी रहती हैं। नगर पालिका का कहना था कि यह पार्क जल्द ही सौंदर्यीकरण के तहत विकसित किया जाएगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है।
अधिकारियों की मनमानी और नागरिकों की अनदेखी
इतना ही नहीं, नगर पालिका के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठते हैं। जहां एक ओर जनता को बेहतर सेवाएं देने का वादा किया गया था, वहीं दूसरी ओर सड़कों पर गंदगी और पानी जमा होने जैसी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं किया गया। वाटिका प्रभारी और पालिका अधिकारियों के बीच तकरार के बावजूद, नगर पालिका की प्रगति पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
पेड़ कटाई पर विवाद
नगर पालिका बोर्ड की बैठक में एक और विवाद खड़ा हुआ जब कम्पनी बाग में पेड़ काटने के मामले ने तूल पकड़ा। कई सभासदों ने यह मुद्दा उठाया कि बगैर अनुमति के फलों के पेड़ काट दिए गए। इस पर बोर्ड में हंगामा मच गया। विपक्ष ने इसे पर्यावरण के खिलाफ कदम बताते हुए, उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जिन्होंने यह निर्णय लिया। हालांकि, इस मामले को फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन यह सवाल जरूर उठता है कि जब नगर पालिका को अपने कामकाजी मामलों पर इतना ध्यान नहीं है, तो पेड़ जैसे पर्यावरणीय मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे?
नगरपालिका की “महत्वाकांक्षी” योजना और शहर के लिए कोई बड़ी राहत?
मुजफ्फरनगर नगर पालिका के द्वारा पेश की गई विकास योजना में 250 नई सीसी सड़कों का निर्माण, नलकूपों की स्थापना, और कई स्थानों पर हाईमास्ट लाइट्स लगाने का दावा किया गया। लेकिन शहर की वर्तमान स्थिति को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या यह योजनाएं अपनी मंजिल तक पहुंच पाएंगी, या फिर सिर्फ कागजों में सिमटकर रह जाएंगी।
विपक्ष का तीव्र विरोध और सवाल
नगर पालिका के इस विकास एजेंडे पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने इसे सिर्फ कागजी योजनाओं तक सीमित करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि जबकि नगर पालिका ने बड़े-बड़े वादे किए हैं, वास्तविकता में शहर की स्थिति बेहद खराब है। बारिश के दिनों में सड़कों पर पानी भर जाता है, साफ-सफाई की व्यवस्था जर्जर है, और पेड़ तक काट दिए गए हैं। यह हर नागरिक के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।
विकास का सपना या महज दिखावा?
मुजफ्फरनगर में इस वक्त जो विकास हो रहा है, वह असल में लोगों को केवल सपने दिखाने के सिवा कुछ नहीं कर रहा। नगर पालिका के अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने बैठक में यह ऐलान किया था कि जल्द ही शहर के नागरिकों को धरातल पर बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेंगे या फिर असल जिंदगी में इन योजनाओं का कोई असर होगा?
नई योजनाओं का शोर, लेकिन काम की कमी
शहर की जनता को जितनी उम्मीदें थीं, नगर पालिका के अध्यक्ष के दावे उतने ही बड़े थे। सड़कों का निर्माण, जल आपूर्ति, और पथ प्रकाश व्यवस्था में सुधार के लिए किए गए ऐलान दरअसल काम के मैदान में विफल रहे। जब तक जनता को असल बदलाव महसूस नहीं होता, तब तक किसी भी विकास योजना का कोई मतलब नहीं रह जाता।
शहर की सड़कें, जल निकासी और समस्याओं का भूत
जब तक मुजफ्फरनगर के नागरिकों को हर बारिश में जलमग्न सड़कों से छुटकारा नहीं मिलता, तब तक नगर पालिका के सभी विकास कार्यों को झूठे दावे ही माना जाएगा। गांधी पार्क और अन्य प्रमुख स्थानों का सौंदर्यीकरण सिर्फ नाम मात्र के लिए होगा, जब तक वहां की बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता।
मुजफ्फरनगर की समस्याओं का समाधान
शहर में जल निकासी, सड़कें, पेयजल आपूर्ति, और सफाई व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। नगर पालिका की योजनाओं का असर तभी दिखेगा, जब नागरिकों की बुनियादी जरूरतों का समाधान किया जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या नगर पालिका इन समस्याओं पर सच्चाई से काम करेगी, या फिर यह महज एक और विकास योजना बनकर रह जाएगी।
आखिरी बात
शहर में विकास की बातें तो खूब हो रही हैं, लेकिन असल में क्या हो रहा है? यह सवाल हर मुजफ्फरनगरवासी के मन में है। नगर पालिका की योजनाओं पर इस बार उम्मीदें जरूर थीं, लेकिन धरातल पर स्थिति वही है – सफाई का अभाव, सड़कों पर जलभराव, और पेड़ काटने की समस्याएं। शायद मीनाक्षी स्वरूप की अगुवाई में और भी दावे किए जाएंगे, लेकिन जब तक नगर पालिका अपनी बुनियादी जिम्मेदारियों पर ध्यान नहीं देती, तब तक विकास की यह योजना महज एक भ्रम ही साबित होगी।
मुजफ्फरनगर में विकास योजनाओं का दावा और शहर की बदहाल स्थिति। नगरपालिका के विकास एजेंडे के बावजूद, शहरवासियों को विकास का असल असर अब तक महसूस नहीं हो सका है। क्या यह योजनाएं वास्तविक बदलाव ला पाएंगी या फिर मात्र कागजी योजनाएं बनकर रह जाएंगी?