Muzaffarnagar की विद्युत व्यवस्था को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अब सक्रियता और सख्ती दोनों का रास्ता अपनाया है। मेरठ रोड स्थित विकास भवन के सभागार में आयोजित विद्युत विभाग की समीक्षा बैठक में जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों से खुले शब्दों में जवाबदेही की मांग की।

बैठक में सांसद हरेन्द्र मलिक, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाल, भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. सुधीर सैनी और मीरापुर विधायक श्रीमती मिथलेश पाल समेत अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


जनता की बिजली संबंधी समस्याएं बनी चर्चा का केंद्र
बैठक में मुख्य रूप से जिले में चल रही अघोषित विद्युत कटौती, खराब ट्रांसफार्मर, लोड शेडिंग, बिजली बिलों में गड़बड़ी, तथा गांवों में अनियमित आपूर्ति जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई।

सांसद हरेन्द्र मलिक ने दो टूक शब्दों में कहा कि
“विद्युत विभाग को चाहिए कि वह जनता की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करे, केवल योजनाओं और फाइलों में काम ना दिखाए।”

डॉ. वीरपाल निर्वाल ने ग्रामीण क्षेत्रों में बार-बार आने वाली तकनीकी खराबियों और ट्रांसफॉर्मर जलने की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा,
“जब तक सिस्टम सुधार नहीं होगा, जनता का भरोसा नहीं लौटेगा।”


कार्ययोजना की समीक्षा और सुधार की मांग
बैठक में विभाग द्वारा चलाए जा रहे अभियानों और विद्युत आपूर्ति की कार्ययोजना की समीक्षा भी की गई। भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. सुधीर सैनी ने अधिकारियों से कहा कि
“अब केवल कागजी प्रगति नहीं, जमीनी बदलाव दिखना चाहिए। जनप्रतिनिधियों के पास हर दिन बिजली से जुड़ी शिकायतें आ रही हैं।”

विधायक श्रीमती मिथलेश पाल ने महिलाओं और छोटे किसानों से मिलने वाली बिजली संकट की समस्याओं को उठाया और मांग की कि
“कनेक्शन, बिल, और फॉल्ट सुधार की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए।”


वरिष्ठ अधिकारियों ने दिए समाधान के संकेत
विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में स्वीकार किया कि जिले के कुछ हिस्सों में समस्याएं लगातार बनी हुई हैं। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि
“नई योजनाएं, उपकरणों की उपलब्धता और विभागीय निगरानी प्रणाली में सुधार के माध्यम से विद्युत व्यवस्था को और बेहतर बनाया जाएगा।”

साथ ही, यह भी बताया गया कि ट्रांसफार्मर की समयबद्ध मरम्मत और बदलने के लिए अलग से बजट प्रस्ताव भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि
“जनप्रतिनिधियों की चिंता वाजिब है, विभाग समाधान के लिए तत्पर है।”


बैठक में लिए गए ये प्रमुख निर्णय


🔹 प्रत्येक क्षेत्र के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे जो विद्युत संबंधी शिकायतों की निगरानी करेंगे।
🔹 7 दिनों में खराब ट्रांसफॉर्मर बदले जाने की समयसीमा तय की गई।
🔹 ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु शेड्यूल जारी किया जाएगा।
🔹 बिल सुधार और मीटर चेकिंग के लिए मोबाइल टीमों का गठन होगा।
🔹 विभागीय हेल्पलाइन नंबर को सुदृढ़ और सक्रिय करने का भी निर्देश दिया गया।


बैठक में दर्जनों अधिकारी और तकनीकी टीम रही उपस्थित
इस समीक्षा बैठक में विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, अवर अभियंता, तकनीकी कर्मी समेत अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
जनप्रतिनिधियों ने सभी अधिकारियों को चेताया कि
“जनता के धैर्य की परीक्षा ना ली जाए, समय रहते व्यवस्था में सुधार दिखे।”


जनहित के विषयों पर गंभीरता से काम की आवश्यकता
इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिले के जनप्रतिनिधि अब जनहित के मुद्दों पर समझौता नहीं करना चाहते।
बिजली जैसी बुनियादी सेवा को लेकर जनता में बढ़ते असंतोष को देखते हुए यह बैठक एक सकारात्मक पहल के रूप में देखी जा रही है।

अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासनों पर अब निगरानी रखी जाएगी और भविष्य में पुनः समीक्षा की जाएगी।


विद्युत विभाग और जनप्रतिनिधियों के बीच हुई यह अहम बैठक जिले में बिजली संकट से जूझ रही जनता के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है। अगर निर्देशों का पालन ईमानदारी से किया गया, तो आने वाले समय में मुजफ्फरनगर की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पहले से कहीं अधिक सशक्त और स्थिर दिखाई देगी।



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