मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) ।शिक्षा नगरी कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल कृषि और व्यापार में अग्रणी है, बल्कि शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है। श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज, मुजफ्फरनगर की दो प्रमुख इकाइयों — श्री राम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ — ने मिलकर ‘विश्व बौद्धिक संपदा दिवस’ के मौके पर दो अलग-अलग लेकिन समान रूप से प्रेरणादायक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिनकी गूंज अब पूरे शैक्षिक जगत में सुनाई दे रही है।
पूरे उत्साह के साथ मनाए गए इस दिवस का उद्देश्य छात्रों में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के प्रति जागरूकता फैलाना और नवाचार, रचनात्मकता को बढ़ावा देना था। इस वर्ष की थीम रही: “म्यूजिक, इनोवेशन एंड क्रिएटिविटी: इनोवेशन इज अबाउट क्रिएटिव एंड इम्पैक्ट”, जिसने छात्रों के भीतर छिपे हुए कलाकार और आविष्कारक को सामने लाने का मंच प्रदान किया।
श्रीराम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग: दीप प्रज्ज्वलन से शुरू हुआ नवाचार का उत्सव
कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीराम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ. एस. एन. चौहान ने परंपरागत दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस अवसर पर छात्रों और शिक्षकों के चेहरों पर उत्साह साफ झलक रहा था।
‘आईआईसी-एसआरजीसी’ (IIC-SRGC) द्वारा आयोजित इस भव्य समारोह में श्री यासिर अब्बास जैदी, निपाम ऑफिसर, भारत सरकार, ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की। उन्होंने ‘आई.पी.आर.- पेटेंट फाइलिंग: अपॉर्चुनिटीज फॉर फैकल्टीज एंड इंस्टीट्यूशन्स’ विषय पर एक शानदार व्याख्यान प्रस्तुत किया, जो छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी रहा।
यासिर जैदी ने छात्रों को न केवल पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और डिजाइन जैसी जटिल अवधारणाओं को सरल शब्दों में समझाया, बल्कि उन्हें प्रेरित भी किया कि कैसे अपने इनोवेटिव आइडियाज के जरिये वे भविष्य में बड़े एंटरप्रेन्योर बन सकते हैं। उन्होंने जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) पर भी प्रकाश डाला, जो स्थानीय पहचान को वैश्विक बाजारों में मजबूत करता है।
छात्रों की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए एक ओपन हाउस सेशन भी रखा गया, जहां उन्होंने पेटेंट फाइलिंग से जुड़े तमाम तकनीकी सवाल पूछे और विशेषज्ञों से व्यावहारिक उत्तर प्राप्त किए।
डायरेक्टर्स और डीन की मौजूदगी ने बढ़ाया आयोजन का गौरव
इस अवसर पर श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की डीन डॉ. सुचित्रा त्यागी तथा विभिन्न विभागाध्यक्ष — इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की इंजी. कनुप्रिया, कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के डॉ. आशीष चौहान, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के डॉ. अंकुर कुमार, सिविल इंजीनियरिंग के श्री फिरोज अली और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के श्री पवन कुमार ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सभी वरिष्ठ शिक्षकों ने विद्यार्थियों को नवाचार और बौद्धिक संपदा के महत्व पर जागरूक करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
डॉ. एस. एन. चौहान ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “यह आयोजन एक शुरुआत है। हमें ऐसे सत्रों का नियमित आयोजन कर छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना चाहिए।”
श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ: विचार गोष्ठी में छलका रचनात्मकता और नवाचार का ज्वार
वहीं, श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ में भी ‘विश्व बौद्धिक संपदा दिवस’ के उपलक्ष्य में एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसने कानून के छात्रों के बीच आईपीआर के प्रति गहरी समझ विकसित की।
कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की प्रखर प्रवक्ता आंचल अग्रवाल ने किया। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकारों की परिभाषा, उनके प्रकार — पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिजाइन — और डिजिटल युग में उनकी अनिवार्यता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकार केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे एक मजबूत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक पहचान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गोष्ठी में छात्रों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने पेटेंट प्रक्रियाओं, ब्रांड नाम संरक्षण और डिजिटल कंटेंट की कॉपीराइटिंग जैसे विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। छात्रों के बीच इस विषय पर जागरूकता और समझ में जबरदस्त वृद्धि देखी गई, जो आने वाले समय में निश्चित रूप से देश के नवाचार क्षेत्र को मजबूत करेगा।
शिक्षकगण और स्टाफ का उल्लेखनीय योगदान
श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ के कार्यक्रम में शिक्षकों — श्री संजीव कुमार, श्रीमती सोनिया गौड़, राममनु प्रताप सिंह, आकांक्षा त्यागी, मिनी सिंघल, रितु धीमान, विनय तिवारी, प्रीति, तथा त्रिलोकचंद — ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी ने मिलकर इस आयोजन को सफल और प्रभावशाली बनाने में योगदान दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है बौद्धिक संपदा दिवस?
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस हर साल उन रचनाकारों, वैज्ञानिकों, नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को सम्मानित करने का दिन है, जो अपने विचारों और खोजों से समाज को नई दिशा देते हैं। पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और डिज़ाइन जैसे अधिकार नवाचार के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करते हैं, जिससे रचनात्मकता को उड़ान मिलती है।
आधुनिक दौर में जब डिजिटल क्रांति ने पूरी दुनिया को जोड़ दिया है, बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्व और भी बढ़ गया है। संगीत, फिल्म, तकनीकी आविष्कार, वैज्ञानिक खोज — हर क्षेत्र में अब नवाचार और रचनात्मकता की रक्षा अनिवार्य हो गई है।
एक संदेश
मुजफ्फरनगर के श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज द्वारा आयोजित यह भव्य कार्यक्रम केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह छात्रों में नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व के प्रति गहरी समझ पैदा करने की एक प्रभावशाली पहल थी। इस पहल ने न केवल छात्रों को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि कैसे वे अपनी सोच और रचनात्मकता को कानूनी संरक्षण देकर विश्व मंच पर अपनी पहचान बना सकते हैं।
आने वाले वर्षों में ऐसे आयोजनों के माध्यम से श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज निस्संदेह मुजफ्फरनगर को एक शिक्षा और नवाचार का वैश्विक केंद्र बना देगा।