Muzaffarnagar : व्यापारियों और व्यापार कर विभाग के बीच हाल ही में हुए टकराव ने शहर की व्यापारिक दुनिया में हलचल मचा दी है। जॉइंट कमिश्नर व्यापार कर विभाग, राम प्रसाद जी की अध्यक्षता में शहर के सिटी सेंटर स्थित कार्यालय में व्यापारियों की एक बैठक बुलाई गई थी। यह बैठक व्यापारियों की शिकायतों को सुनने और विभागीय प्रक्रियाओं पर चर्चा करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, लेकिन बैठक का माहौल व्यापारियों के गुस्से और विरोध के चलते काफी तनावपूर्ण बन गया।


व्यापारी नेताओं का विरोध: सख्त आरोप और नाराज़गी

बैठक में शहर के प्रमुख व्यापारी नेताओं ने भाग लिया। व्यापारी नेता प्रमोद मित्तल और पवन बंसल ने उठाए सवाल कि एसआईबी बिना डीएम की अनुमति के किसी व्यापारी के यहां सर्वे नहीं कर सकता था, जैसा कि पूर्व की सरकारों ने व्यवस्था की थी। उन्होंने बताया कि अब ज्वाइंट कमिश्नर के लेटर के बिना डिप्टी कमिश्नर सर्वे नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी विभाग के अधिकारी बिना जांच किए सीधे कार्रवाई कर देते हैं।

व्यापारी नेता संजय मित्तल ने कहा कि जब किसी व्यापारी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन हो जाता है, तब विभाग अधिकारी मौका मुआयना करने के बाद ही रजिस्ट्रेशन देते हैं। ऐसे में दुकानों पर जाकर बार-बार सर्वे करने का कोई मतलब नहीं है। यदि व्यापारी उस समय दुकान पर नहीं है या किसी अन्य काम में व्यस्त है, तो इसे लिख दिया जाता है कि व्यापारी यहां व्यापार नहीं करता। इस प्रक्रिया को लेकर व्यापारियों में भारी नाराजगी है।


पुराने स्टॉक और नया टैक्स: व्यापारियों की चिंता

व्यापारी नेता श्री मोहन तायल ने सरकार की नई नीतियों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ वस्तुओं पर जीएसटी दर में बदलाव कर दिया गया है, लेकिन व्यापारियों के पास पुराने स्टॉक पर 18% टैक्स पहले ही जमा किया गया था। अब नई दर 5% हो गई है और बीच का अंतर (13%) विभाग के पास जमा है। व्यापारियों को इसका कोई समाधान नहीं मिल रहा है। यह मुद्दा व्यापारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है और उन्होंने सरकार की नीति का विरोध किया।


व्यापारी नेताओं का बैठक बहिष्कार: विरोध का प्रदर्शन

बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख व्यापारी नेता प्रमोद मित्तल, भूपेंद्र गोयल, राहुल गोयल, संजय मित्तल, पवन बंसल, श्री मोहन तायल, कृष्ण गोपाल मित्तल, शलभ गुप्ता, अजय सिंगल, दिनेश बंसल और अनिल तायल ने बैठक में विभागीय अधिकारियों के रवैये को नकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि विभाग व्यापारियों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय बार-बार परेशान कर रहा है। इसी कारण व्यापारियों ने बैठक का बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया।


सकारात्मक पहल की उम्मीद: व्यापारियों की मांगें

व्यापारी नेताओं ने बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं:

  • एसआईबी और अन्य अधिकारी केवल डीएम या ज्वाइंट कमिश्नर की अनुमति से ही सर्वे करें।

  • पुराने स्टॉक और नई जीएसटी दर के अंतर का तुरंत समाधान।

  • व्यापारियों पर अनावश्यक दबाव और कार्रवाई बंद।

  • सभी पंजीकृत व्यापारियों की सुरक्षा और अधिकारों की गारंटी।

व्यापारियों ने स्पष्ट किया कि यदि इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर और बड़े आंदोलन की योजना बनाई जा सकती है।


GST Survey Controversy: व्यापारियों और विभाग के बीच टकराव का विश्लेषण

यह विवाद केवल मुजफ्फरनगर तक सीमित नहीं है। देशभर में व्यापारियों और सरकार के बीच जीएसटी नियमों को लेकर लगातार टकराव देखने को मिल रहा है। व्यापारियों का मानना है कि पंजीकरण के बाद बार-बार सर्वे और नोटिस देना केवल व्यापार को प्रभावित करता है और छोटे व्यापारियों को परेशान करता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि पुराने स्टॉक और नई दर के बीच के अंतर का समाधान शीघ्रता से करे और व्यापारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं। इससे व्यापारिक माहौल बेहतर होगा और व्यवसायिक गतिविधियों में तेजी आएगी।


आगामी चुनौतियां और व्यापारिक दुनिया की प्रतिक्रिया

व्यापारी नेताओं ने भविष्य के लिए चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो व्यापारी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध और प्रदर्शन किए जा सकते हैं। मुजफ्फरनगर के व्यापारिक माहौल पर इसका प्रभाव पड़ना तय है।

व्यापारी नेता प्रमोद मित्तल और पवन बंसल ने कहा कि सरकार को व्यापारियों की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा। अन्यथा यह केवल एक स्थानीय विवाद नहीं रहेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में व्यापारिक असंतोष फैल सकता है।

मुजफ्फरनगर व्यापार विरोध का निष्कर्ष: व्यापारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि विभागीय दमन और अनियंत्रित सर्वे व्यापारिक वातावरण के लिए खतरा हैं। ज्वाइंट कमिश्नर और सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे व्यापारी नेताओं की बातों पर तुरंत ध्यान दें, अन्यथा भविष्य में और बड़े प्रदर्शन और विरोध की संभावना बढ़ सकती है। व्यापारिक समुदाय ने यह संदेश भी दिया कि उनकी आवाज़ दबाई नहीं जा सकती और वह अपने अधिकारों के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।



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