Muzaffarnagar में व्यापारिक और हिंदू संगठनों द्वारा आयोजित जन आक्रोश यात्रा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द्र के बीच कई मुद्दे ऐसे हैं जो नागरिकों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। यह आंदोलन विशेष रूप से हिंदू समाज के लिए अहम था, क्योंकि इसमें स्थानीय व्यापारी संगठन भी शामिल थे, जिन्होंने आतंकवाद और धार्मिक अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होकर अपनी आवाज उठाई।
जन आक्रोश यात्रा का उद्देश्य:
हाल ही में पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना ने न केवल जम्मू-कश्मीर में बल्कि देशभर में हिंदू समुदाय को गहरे आघात पहुंचाया। इस घटना के बाद, कई हिंदू संगठनों ने एकजुट होकर इसका विरोध करने के लिए जन आक्रोश यात्रा का आयोजन किया। यह यात्रा विशेष रूप से उन घटनाओं के विरोध में थी, जिनमें हिंदू समुदाय के लोगों पर हमले और अत्याचार हो रहे हैं, जैसे कि बंगाल और बांग्लादेश में हो रहे धार्मिक उत्पीड़न।
मुजफ्फरनगर के टाउन हॉल मैदान में आयोजित इस यात्रा में न केवल हिंदू संगठन शामिल हुए, बल्कि व्यापारी संगठनों ने भी इसका समर्थन किया। लगभग सभी दुकानदारों ने दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक अपनी दुकानों को बंद रखा और जन आक्रोश यात्रा में भाग लिया।
व्यापारी संगठनों का सक्रिय समर्थन:
मुजफ्फरनगर में विभिन्न व्यापारी संगठनों ने इस यात्रा के आयोजन को एक महत्वपूर्ण कदम माना। व्यापारी संगठनों ने यह सुनिश्चित किया कि उनके सदस्य इस आक्रोश यात्रा का हिस्सा बनें और अपने विरोध का इज़हार करें। दुकानदारों ने आह्वान पर अपनी दुकानों को बंद किया, जिससे जन आक्रोश रैली में और भी अधिक लोग जुड़ सके। कचहरी रोड, टाउन हॉल रोड, झांसी की रानी, एसडी कॉलेज मार्केट, शिव चौक, भगत सिंह रोड, दाल मंडी, पान मंडी, लोहिया बाजार, लाल सिंह मार्केट, कूकड़ा मंडी, नई मंडी और गांधी कॉलोनी जैसे प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र से लोग टाउन हॉल मैदान की ओर बढ़े।
व्यापारी संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन को एक संदेश के रूप में प्रस्तुत किया कि धार्मिक असहमति और आतंकवाद के खिलाफ वे पूरी तरह से खड़े हैं। व्यापारियों के इस एकजुटता से यह साफ होता है कि धर्म, संप्रदाय और व्यापारिक प्रतिष्ठान से ऊपर देश की सुरक्षा और सामूहिक शांति उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
पुलिस प्रशासन की सक्रियता:
इस विशाल जन आक्रोश यात्रा के दौरान पुलिस प्रशासन ने भी अपनी सक्रियता दिखाई। जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर जिला पुलिस प्रशासन ने कार्यक्रम की सफलतापूर्वक व्यवस्था सुनिश्चित की। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा और एसएसपी अभिषेक सिंह के मार्गदर्शन में प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें पूरे इलाके में गश्त करती रही।
एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह, एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत, सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप, सीओ राजू सिंह साहू, सीओ नई मंडी रूपाली राव चौधरी, एसडीएम सदर निकिता शर्मा, और शहर कोतवाल राजेश घुनावत समेत अन्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी स्थल पर मौजूद रहे और व्यवस्था का ध्यान रखा। अधिकारियों ने सुनिश्चित किया कि रैली शांतिपूर्ण और बिना किसी अप्रिय घटना के संपन्न हो।
आतंकवाद और धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ मुहिम:
इस जन आक्रोश यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश में आतंकवाद और धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठाना था। पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना ने देशभर के हिंदू समाज को दुखी कर दिया था, और इसे लेकर लोगों में गहरा आक्रोश था। इसके अलावा, बांग्लादेश और बंगाल में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर भी गहरी चिंता जताई गई।
हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक उत्पीड़न की तरह देखा, और यह महसूस किया कि देश में बढ़ते आतंकवादी हमलों और धार्मिक असहमति के कारण समाज में विभाजन बढ़ रहा है। संगठन के नेताओं ने इसे एक साझा खतरे के रूप में देखा और इस मुद्दे पर एकजुट होने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रैली में भागीदारों की बढ़ती संख्या:
टाउन हॉल में हुई इस रैली में भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया। विभिन्न हिंदू संगठनों के सदस्य, व्यापारी वर्ग, और आम लोग एकजुट हुए और उन्होंने अपनी आवाज को बुलंद किया। इस प्रदर्शन में महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया, जिन्होंने अपने कंधों पर तख्तियां और झंडे लिए थे, जिन पर आतंकवाद और धार्मिक अत्याचार के खिलाफ संदेश लिखे गए थे।
यह प्रदर्शन न केवल एक विरोध था, बल्कि यह एक संकल्प भी था, जिसमें देश के नागरिकों ने आतंकवाद और धार्मिक असहमति के खिलाफ एकजुट होने का संदेश दिया।
स्थानीय नेताओं और नागरिकों का समर्थन:
इस रैली के आयोजकों ने स्थानीय नेताओं और समाज के सभी वर्गों से इस आंदोलन में सहयोग करने की अपील की थी। स्थानीय नेताओं ने भी इस आयोजन का समर्थन किया और इसे सामूहिक जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। नागरिकों का मानना है कि यदि इस तरह की जन आक्रोश यात्रा आगे बढ़ती है, तो यह न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में आतंकवाद और धार्मिक असहमति के खिलाफ एक मजबूत संदेश भेजेगी।
समाप्ति और प्रशासनिक कदम:
जन आक्रोश यात्रा के समापन के बाद, पुलिस और प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि रैली के दौरान कोई अप्रिय घटना न घटे। सभी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे और अधिकारियों द्वारा इस पूरे कार्यक्रम की निगरानी की गई। रैली के समापन के बाद शांति बनाए रखने के लिए पुलिस द्वारा इलाके में गश्त की गई और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को रोकने के लिए कदम उठाए गए।
यह जन आक्रोश यात्रा न केवल हिंदू समाज के लिए एक अवसर थी, बल्कि यह देशभर में धार्मिक सद्भाव और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की जरूरत को भी स्पष्ट रूप से दर्शाती है।