मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar) जब दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध और हिंसा की आग जल रही है, तब मुजफ्फरनगर में एक खास सन्देश दिया गया। शांति सेना के अध्यक्ष मनेश गुप्ता के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं ने विश्व के प्रमुख राष्ट्रों से शांति की अपील करते हुए एक शक्तिशाली धरना और प्रदर्शन आयोजित किया। कचहरी प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम ने न केवल लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि कई महत्वपूर्ण सवाल भी उठाए, जैसे कि क्या दुनिया अभी भी शांति और मानवता की ओर बढ़ सकती है?
महिलाओं की आवाज़ ने किया प्रभावित
धरने में शामिल महिलाओं ने “दुनिया में हो भाईचारा, फिलिस्तीनो बच्चों, महिलाओं और अस्पतालों पर हमले बंद करो” जैसे जोरदार नारे लगाए। प्रदर्शन में भाग लेने वाली महिलाओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे युद्ध, हिंसा, और आतंकवाद से उकता चुकी हैं और अब शांतिपूर्ण समाधान चाहती हैं। मनेश गुप्ता ने इस प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय बेहद चिंताजनक है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर लिया है और इस युद्ध में अब तक करीब 10 लाख लोग मारे जा चुके हैं, जबकि घायल होने वालों की संख्या कई गुना अधिक है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और उसकी विनाशकारी सच्चाई
मनेश गुप्ता ने अपने संबोधन में रूस-यूक्रेन युद्ध की भयावहता का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि अमेरिका, जो यूक्रेन का मुख्य समर्थनकर्ता है, इस संघर्ष को और बढ़ा रहा है और कभी भी यह युद्ध परमाणु युद्ध का रूप ले सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस युद्ध की आग सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है।
फिलिस्तीन और इजराइल का संघर्ष: 13 माह की निरंतर पीड़ा
कचहरी में हुए इस प्रदर्शन का एक अन्य प्रमुख विषय फिलिस्तीन और इजराइल के बीच चल रहा संघर्ष था। मनेश गुप्ता ने कहा कि यह युद्ध पूरी पश्चिम एशिया को अपनी चपेट में ले चुका है और 13 महीने से अधिक समय से चल रहा है। इस संघर्ष में अब तक 44 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें अधिकतर महिलाएं, बच्चे और आम नागरिक शामिल हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना और बच्चों, महिलाओं तथा अस्पतालों पर लगातार हो रही बमबारी का भी विरोध किया।
अंतर्राष्ट्रीय न्याय की ओर एक पुकार
शांति सेना ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से भी अपील की कि वह युद्ध के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। मनेश गुप्ता ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट ने युद्धरत देशों के प्रमुख नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं, लेकिन इसके बावजूद बच्चों, महिलाओं और सिविल नागरिकों पर हमलों की रफ्तार थम नहीं रही।”
भारत की महान परंपरा का स्मरण
धरने में मनेश गुप्ता ने भारत की ऐतिहासिक महान परंपराओं की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, बाबा साहेब अंबेडकर, पंडित नेहरू और संत कबीर जैसे महान नेताओं ने दुनिया को शांति का संदेश दिया है। आज का समय भी उन परंपराओं को याद करने और उन्हें दुनिया में लागू करने का है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की कि वे भारत की इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए वैश्विक शांति के लिए आगे बढ़ें।
महिला शक्ति का प्रदर्शन
धरने में भाग लेने वाली महिलाएं भी अपनी पूरी ताकत के साथ इस संदेश को फैलाने में लगी हुई थीं। इन महिलाओं में सुरेन्द्र कुमार, सोमेन्द्र, मा० हिदायतुल्ला, जोगेन्द्री कश्यप, कुसुम पाल, रूकसाना, मोनिका, पुष्पा, वंदना, सुशीला, ममतेश, सीमा, राजेश्वरी, शिवांगी, शिखा सैनी, रामो, ओमवती, किरणदेवी, कुन्तेश, सोनिका पाल, मांगी, पूजा, सुखबीर, अनिता, कविता और कई अन्य शामिल थीं। उनके जोश और जज्बे ने इस धरने को एक ऐतिहासिक बना दिया।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
इस प्रदर्शन ने यह सवाल भी खड़ा किया कि समाज और सरकारें युद्ध की इस त्रासदी को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही हैं। क्या दुनिया के नेताओं को मानवता की भलाई के लिए एक साझा मंच पर आना चाहिए? क्या हमें सामूहिक रूप से शांति स्थापित करने के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी?
मुजफ्फरनगर के इस प्रदर्शन ने दुनिया को यह संदेश दिया कि जब तक युद्ध, हिंसा, और आतंकवाद की आग जलती रहेगी, तब तक मानवता को सही अर्थ में शांति का अनुभव नहीं होगा। शांति सेना और उनकी समर्थकों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी आवाज़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह धरना और प्रदर्शन एक संकेत है कि अब समय आ गया है कि दुनिया के नेता, खासकर भारत के प्रधानमंत्री, इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और मानवता के लिए एक नई शुरुआत करें।