Muzaffarnagar। इस वर्ष की अंतिम शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर चरथावल मोड़ स्थित सिद्ध पीठ श्री शनि धाम मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। पितरों के कल्याण और परिवार की समृद्धि के लिए श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रांगण में भव्य पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष शरद कपूर ने बताया कि प्रातःकाल सुंदरकांड का पाठ प्रेम प्रकाश अरोड़ा और मानव कल्याण परिषद के सदस्यों द्वारा संपन्न कराया गया।
पंचामृत अभिषेक और यजमानों की भागीदारी
सुबह के समय ही 31 यजमानों ने घी, दूध, दही, शहद और नीले रंग के पंचामृत से भगवान शनि देव का भव्य अभिषेक किया। भक्तों ने विधिपूर्वक पूजा संपन्न की और उसके बाद महा आरती के साथ 56 भोग का प्रसाद भगवान शनि देव को अर्पित किया। इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने विशाल भंडारे में भाग लेकर भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
भव्य भंडारे का आयोजन और योगदानकर्ता
इस बार 56 भोग व भंडारे का आयोजन हिमांशु कुमार पुत्र दिनेश कुमार (मेरठ) द्वारा किया गया। इस धार्मिक कार्यक्रम में पंडित केशवानंद, पंडित संजय मिश्रा, पंडित संतोष मिश्रा, शिवा पंडित आदि ने पूजा पाठ सम्पन्न कराया। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा, नरेंद्र पवार, मुकेश चौहान, संदीप विश्वकर्मा सहित अन्य सदस्यों की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही।
सेवा कार्यों में प्रदीप कृष्णापुरी, सुभाष चंद्र अग्रवाल, सतीश, आशीष, श्रीमती मंजू, राकेश कुमार, नीटू भारद्वाज आदि का योगदान इस आयोजन को और भी सफल बनाने में मददगार साबित हुआ।
पितरों की शांति और धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार अंतिम शनिश्चरी अमावस्या पर पितरों के लिए दान पूजन और शनि देव की पूजा करने से परिवारों में पितरों की शांति होती है और गृहस्थ जीवन में समृद्धि आती है। मंदिर कमेटी ने इस अवसर पर विशेष ध्यान देकर सभी धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन सुनिश्चित किया।
भव्य आयोजन ने लोगों में उत्साह और श्रद्धा का संचार किया
श्रद्धालुओं का कहना था कि यह आयोजन हर साल परिवार और समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस बार का आयोजन भव्य होने के कारण लोगों में अत्यधिक श्रद्धा और उत्साह देखने को मिला। भक्तों ने कहा कि शनि देव की पूजा से जीवन में संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
मुजफ्फरनगर के सिद्ध पीठ श्री शनि धाम मंदिर में अंतिम शनिश्चरी अमावस्या पर आयोजित पंचामृत अभिषेक और भंडारे ने सभी श्रद्धालुओं के हृदय में असीम भक्ति और श्रद्धा का संचार किया। पितरों के कल्याणार्थ पूजा और दान से परिवारों में शांति और समृद्धि का वातावरण बना। इस भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि धार्मिक कार्यक्रम समाज में विश्वास, सेवा और एकजुटता की भावना को मजबूत करते हैं।
