Muzaffarnagar जिले में एक महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय के तहत श्रीराम एजुकेशनल एण्ड चेरेटिबल ट्रस्ट पर भारी स्टाम्प शुल्क और अर्थदण्ड की वसूली का आदेश जारी किया गया है। यह मामला वाद संख्या 27/2021-22/स्टाम्प अधिनिधम के तहत न्यायालय सहायक आयुक्त स्टाम्प, मुजफ्फरनगर में दर्ज किया गया था।
मुख्य विवरण:
न्यायालय ने 11 अगस्त 2025 को निर्णय देते हुए ट्रस्ट से कुल 4,06,690 रुपये वसूल करने का आदेश दिया है। इसमें कमी स्टाम्प शुल्क 3,09,790 रुपये, कमी निबंधन शुल्क 19,900 रुपये, और अर्थदण्ड 77,000 रुपये शामिल हैं। साथ ही न्यायालय ने जुलाई 2018 से वसूली की तारीख तक 1.5 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज की दर से अतिरिक्त ब्याज वसूल करने का निर्देश भी दिया।
#Muzaffarnagar में स्टाम्प शुल्क और अर्थदण्ड वसूली से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें जिला प्रशासन ने लाखों रुपये की वसूली का आदेश जारी किया है। pic.twitter.com/0JfxpBY7kS
— News & Features Network | World & Local News (@newsnetmzn) October 7, 2025
वसूली पत्र और संपत्ति विवरण:
वसूली पत्र नवनीत भारद्वाज पुत्र राममोहन भारद्वाज, निवासी 85, साउथ भोपा रोड, तहसील सदर, जिला मुजफ्फरनगर, को जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि संबंधित संपत्ति मुजफ्फरनगर के द्वारिकापुरी क्षेत्र में स्थित है। उत्तर प्रदेश राजस्व वसूली एक्ट 1890 के तहत उक्त धनराशि को भू-राजस्व की बकाया की भाँति वसूल करके, ट्रेजरी में जमा कर लेखा शीर्षक 0030-02 स्टाम्प शुल्क एवं पैनेल्टी में जमा किया जाएगा।
क्यों आया यह विवाद?
श्रीराम एजुकेशनल एण्ड चेरेटिबल ट्रस्ट पर यह कार्रवाई कमी स्टाम्प शुल्क और निबंधन शुल्क का भुगतान न करने के कारण हुई है। अक्सर संस्थाएं या ट्रस्ट इस प्रकार के शुल्क में देरी कर देते हैं, जिससे राज्य को राजस्व की भारी हानि होती है। इस मामले में न्यायालय ने साफ संदेश दिया कि राज्य के राजस्व की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
वित्तीय और कानूनी प्रभाव:
यह निर्णय न केवल ट्रस्ट के लिए बल्कि अन्य सभी संस्थाओं के लिए भी महत्वपूर्ण संदेश है। इसका सीधा असर यह है कि अगर कोई भी संस्था समय पर स्टाम्प शुल्क और निबंधन शुल्क का भुगतान नहीं करती है, तो कानूनी कार्रवाई के तहत भारी ब्याज और अर्थदण्ड लगाया जा सकता है। इससे राज्य को राजस्व सुरक्षा और कानूनी अनुशासन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
वसूली प्रक्रिया की विधिक रूपरेखा:
उत्तर प्रदेश राजस्व वसूली एक्ट 1890 के तहत यह वसूली पत्र जारी किया गया है। इस कानून के तहत, भू-राजस्व की बकाया राशि की तरह ही वसूली की जाती है। इसमें वसूल की जाने वाली राशि को ट्रेजरी में जमा कराया जाता है और वसूली की पूरी प्रक्रिया रिकॉर्ड की जाती है।
सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं के लिए संदेश:
यह मामला शिक्षण संस्थाओं और गैर-लाभकारी ट्रस्टों के लिए चेतावनी है। स्टाम्प शुल्क और निबंधन शुल्क की समय पर अदायगी न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि राज्य की विकास योजनाओं के लिए भी अनिवार्य योगदान है। इसके पालन में लापरवाही गंभीर आर्थिक और कानूनी परिणाम ला सकती है।
विशेष टिप्पणी:
मुजफ्फरनगर के न्यायालय सहायक आयुक्त स्टाम्प ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया का पालन किया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि ट्रस्ट को पर्याप्त नोटिस और अवसर दिया गया, और फिर भी जब राशि का भुगतान नहीं हुआ, तो कड़ा निर्णय लिया गया।
भविष्य की कानूनी संभावनाएं:
यह निर्णय अन्य ट्रस्टों और संस्थाओं के लिए उदाहरण स्थापित करता है कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्टाम्प शुल्क, निबंधन शुल्क और अर्थदण्ड की वसूली में कोई ढील नहीं दी जाएगी। भविष्य में ऐसे मामले तेजी से वसूली और कड़ा कानून लागू करने के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।
Stamp Recovery मामले में यह वसूली पत्र, न्यायालय का आदेश और ब्याज के साथ कुल राशि की वसूली, मुजफ्फरनगर में राजस्व सुरक्षा और कानूनी अनुशासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अन्य संस्थाएं इस उदाहरण से सीख लेकर समय पर अपने शुल्क का भुगतान सुनिश्चित करें।
मुजफ्फरनगर जिले में श्रीराम एजुकेशनल एण्ड चेरेटिबल ट्रस्ट पर कुल **4,06,690 रुपये** + ब्याज की वसूली ने राज्य के राजस्व संरक्षण और कानूनी अनुशासन को मजबूत किया है। यह कार्रवाई सभी संस्थाओं और ट्रस्टों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि स्टाम्प शुल्क और निबंधन शुल्क में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।