मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) जिले में स्थित पचैण्डा रोड पर श्री सालासर धाम में इस बार वार्षिकोत्सव का आयोजन एक बड़े धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। पांच दिवसीय इस समारोह का आयोजन 31 जनवरी 2025 से शुरू हुआ है और इस दौरान हर दिन विभिन्न धार्मिक गतिविधियों के साथ श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इस उत्सव का दूसरा दिन विशेष रूप से भव्य और शानदार था, जब श्री सालासर धाम से विशाल शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें विभिन्न धार्मिक झांकियां और परंपरागत ध्वनियों के बीच भक्तों की उमड़ी भीड़ ने इसे और भी खास बना दिया।

आयोजन में शामिल श्रद्धालुओं का जोश

श्री सालासर बालाजी महाराज के भक्तों ने इस शोभा यात्रा में हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से यात्रा की। मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर, और कोटद्वार जैसे शहरों से हजारों की संख्या में भक्त पचैण्डा रोड पर स्थित मंदिर में पहुंचे थे। खास बात यह थी कि इस यात्रा के दौरान भक्तों में अपार श्रद्धा और उल्लास देखने को मिला। पचैण्डा रोड से लेकर नई मंडी के विभिन्न बाजारों, गऊशाला रोड, किले रोड, और पटेलनगर से होते हुए यह यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरी। यात्रा का समापन मालवीय चौक और गांधी कॉलोनी के पास स्थित एएसजे ग्रैंड प्लाजा मॉल से होते हुए मंदिर के प्रांगण में हुआ।

शोभा यात्रा का भव्य रूप

शोभा यात्रा का हिस्सा बनी झांकियों में भगवान श्री गणेश की मनोकामना ध्वजा, राधाकृष्ण, ठाकुर जी बाल रूप में, अघोरी आरती और इलेक्ट्रिक हाथी प्रमुख आकर्षण थे। इन झांकियों के साथ भव्य शाही रथ भी आकर्षण का केंद्र बने थे, जिनमें श्री सालासर बालाजी महाराज स्वर्ण रथ पर सवार थे। रथ के साथ साथ नासिक से आयी ढोल पार्टी ने अपनी लयबद्ध धुनों से यात्रा को और भी जीवंत बना दिया।

यात्रा के दौरान ढोल-नगाड़े, रणसिंहा और राजस्थानी कलाकारों की परफॉर्मेंस ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। रथ की सवारी करते हुए बालाजी महाराज के भक्तों ने आस्था और श्रद्धा से यात्रा का हिस्सा बने। इस दौरान पूरी यात्रा को देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर जुटे थे, जिन्होंने सभी जगहों पर यात्रा का स्वागत किया।

यात्रा के मार्ग और प्रमुख स्थल

शोभा यात्रा पचैण्डा रोड स्थित श्री सालासर धाम से प्रारंभ होकर विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुए शहर भर में भ्रमण करती रही। यात्रा ने सबसे पहले पचैण्डा रोड की पटरी से गुजरते हुए विभिन्न बाजारों का रुख किया। इसके बाद, क़रीब दोपहर के समय यह यात्रा भोपा पुल होते हुए अंसारी रोड, मोती महल, सर्राफा बाजार, भगत सिंह रोड और टाउन हॉल रोड से गुजरी। यात्रा की सबसे खास बात यह थी कि यह रास्ते में गुजरते हुए हर गली और चौराहे पर भक्तों ने जमकर स्वागत किया और पूरी यात्रा के दौरान भक्तों की टोली संकीर्तन और भजन गाती रही। यह यात्रा सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक मिलनसारता का प्रतीक भी बनी, जो लोगों को एक साथ लाती है।

आयोजन में मची धूम

वार्षिकोत्सव के दौरान मंदिर समिति की ओर से कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। यात्रा की भव्यता और धार्मिक महत्व को देखते हुए मंदिर समिति के सदस्य भी इस आयोजन में पूरी सक्रियता से शामिल हुए। मंदिर समिति के अध्यक्ष नीरज बंसल, आशुतोष गर्ग, राजीव बंसल, पवन गोयल, डॉ. कमल गुप्ता, विपुल गर्ग, विकास गुप्ता, अजय गर्ग, हिमांशु गर्ग, राजीव वर्मा, प्रेमपाल सिंह, दिनेश कश्यप, विकास गोयल, ब्रजमोन वर्मा, नितिन तायल, रवि कुमार, कार्तिक गोयल जैसे प्रमुख लोग आयोजन में शामिल रहे और उन्होंने यात्रा के समापन के दौरान भक्तों का उत्साह और उमंग देखकर अपनी संतुष्टि जाहिर की। इन प्रमुख लोगों के अलावा यात्रा के आयोजकों की ओर से श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न प्रकार की सेवा व्यवस्थाएं भी की गई थी, जैसे कि जलपान की व्यवस्था, सुरक्षा का कड़ा इंतजाम, और यात्रा में हिस्सा लेने वाले भक्तों के लिए प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

श्री सालासर धाम का इतिहास भी बहुत प्राचीन है। यह मंदिर राजस्थान के सालासर बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है और यहां हर वर्ष विशेष धार्मिक उत्सव मनाए जाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि यहां आकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह मंदिर केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहां आकर लोग न केवल अपने दुखों का निवारण करते हैं, बल्कि इस स्थान को अपने जीवन में आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम भी मानते हैं।

भक्तों की दीर्घकालिक आस्था

श्री सालासर बालाजी की कृपा के कारण इस स्थान की महिमा बहुत दूर-दूर तक फैली हुई है। भक्तों का मानना है कि अगर किसी की कोई विशेष इच्छा हो, तो वह इस धाम में आकर अपनी मनोकामना पूरी कर सकता है। पचैण्डा रोड स्थित श्री सालासर धाम में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इन भक्तों का कहना है कि इस मंदिर में उनकी धार्मिक आस्था और विश्वास को बल मिलता है। शोभा यात्रा के दौरान दिखी श्रद्धा और आस्था यही दर्शाती है कि इस स्थान की महिमा समय के साथ और भी बढ़ रही है।



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