Muzaffarnagar सफाई कर्मचारियों का गुस्सा अब चरम पर पहुंच चुका है। एक ओर जहां सफाई नायकों को उनकी मेहनत के लिए उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा, वहीं दूसरी ओर प्रशासन और नगरपालिका के अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों के उत्पीड़न की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। इसी मुद्दे को लेकर सफाई कर्मचारी संघ ने नगर पालिका परिषद के बैनर तले टाउन हॉल परिसर में जोरदार धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पालिका के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए और उनके उत्पीड़न और अन्य समस्याओं के समाधान की मांग की।
इस धरने में सफाई कर्मचारियों का नेतृत्व संघ के नेताओं ने किया, जिसमें संघ के महामंत्री मिलन कुमार, सतीश कुमार, सुनील, अतुल, जितेन्द्र, अमृत सहित अन्य कई प्रमुख सदस्य शामिल थे। यह आंदोलन सफाई कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और उनके सम्मान की बहाली के लिए था। धरने के दौरान कर्मचारी संघ ने नगरपालिका के अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और प्रशासन से तत्काल एक्शन की मांग की।
उत्पीड़न के आरोप, सफाई नायक के स्थानांतरण की समस्या
सफाई कर्मचारी संघ ने नगरपालिका परिषद के पालिकाध्यक्ष और ईओ पालिका को एक ज्ञापन सौंपते हुए गंभीर आरोप लगाए। ज्ञापन में बताया गया कि नगरपालिका द्वारा चलाए जा रहे वार्ड निरीक्षण के दौरान सफाई नायक वीरेन्द्र का स्थानांतरण उनके मूल पद पर कर दिया गया। यह कदम कर्मचारियों के लिए असंतोषजनक और निराशाजनक था। संघ ने कहा कि वीरेन्द्र सफाई नायक के रूप में अपनी ड्यूटी पर पूरी निष्ठा से मौजूद थे और उन्हें बिना किसी स्पष्टीकरण के उनके मूल पद पर भेजना पूरी तरह से अनुचित था।
सफाई कर्मचारी संघ ने इस फैसले को अन्य सफाई नायकों और कर्मचारियों के लिए अपमानजनक बताया और कहा कि इससे उनकी इज्जत को गहरी ठेस पहुंची है। संघ ने चेतावनी दी कि अगर उनके द्वारा उठाए गए इस मुद्दे का तत्काल समाधान नहीं किया गया, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे।
कर्मचारियों की अन्य समस्याएं और संघ की मांगें
धरने के दौरान, संघ के नेताओं ने सफाई कर्मचारियों से जुड़ी अन्य समस्याओं पर भी बात की। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी पहले ही कई महीनों से बेहद कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित सुविधाएं और सुरक्षा नहीं मिल रही। कर्मचारियों की लंबित वेतन वृद्धि, काम करने के घंटों में सुधार, सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता और अन्य बुनियादी सुविधाओं के संबंध में शिकायतें लगातार आ रही हैं।
सफाई कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में शामिल था:
- सुरक्षित कार्य वातावरण: कर्मचारियों को काम करते समय सुरक्षा उपकरण, जैसे ग्लव्स, मास्क, और अन्य सामग्री उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा, कार्य स्थल पर उचित स्वच्छता सुनिश्चित की जाए ताकि कर्मचारियों को स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या न हो।
- समय पर वेतन भुगतान: कर्मचारियों के वेतन में देरी से उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता है। संघ ने मांग की है कि कर्मचारियों का वेतन समय पर और पूरी तरह से दिया जाए।
- समान कार्य के लिए समान वेतन: सफाई कर्मचारियों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन की नीति लागू की जाए, ताकि सभी कर्मचारियों को समान स्तर की मान्यता मिले।
- पदोन्नति और प्रशिक्षण: सफाई कर्मचारियों के लिए बेहतर पदोन्नति की नीति और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएं ताकि उनका कौशल और कार्यक्षमता बढ़ सके।
- अवकाश और छुट्टियों का सही प्रबंधन: कर्मचारियों को समय पर छुट्टियां और अवकाश मिलें, ताकि उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति बेहतर हो सके।
नगरपालिका परिषद पर बढ़ता दबाव
सफाई कर्मचारियों के इस आंदोलन के बाद नगरपालिका परिषद पर बढ़ता दबाव साफ देखा जा सकता है। हालांकि, पालिकाध्यक्ष और ईओ ने आंदोलनकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारी संघ ने अपने मुद्दों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की मांग की। पालिका द्वारा जल्द से जल्द सफाई कर्मचारियों के मुद्दों का समाधान न किए जाने पर संघ ने आगामी दिनों में आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।
इसके अलावा, कर्मचारियों ने नगरपालिका परिषद से यह भी आग्रह किया कि वे भविष्य में ऐसे किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले सफाई कर्मचारियों के संगठन से विचार-विमर्श करें ताकि किसी भी तरह का विवाद न हो।
कर्मचारी संघ की सख्त चेतावनी
सफाई कर्मचारी संघ ने साफ तौर पर कहा है कि वे अब अपने अधिकारों के लिए चुप नहीं बैठेंगे। उनका कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे, जिसमें पूरे जिले के सफाई कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।
संगठन के नेता मिलन कुमार ने कहा, “हम अपने सम्मान और अधिकारों के लिए लड़ेंगे। हम किसी भी तरह के उत्पीड़न और भेदभाव को सहन नहीं करेंगे। हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता।”
सफाई कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका
सफाई कर्मचारियों की भूमिका समाज में बेहद महत्वपूर्ण है। यह वे लोग हैं जो दिन-रात मेहनत करके हमारे शहरों और मोहल्लों को स्वच्छ बनाए रखते हैं। इसके बावजूद, उन्हें उनके काम के लिए उचित सम्मान और वेतन नहीं मिलता। ऐसे कर्मचारियों का उत्पीड़न न केवल उनके लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय है।
मुजफ्फरनगर में इस आंदोलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सफाई कर्मचारियों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की जरूरत है और अगर उनके अधिकारों की रक्षा नहीं की गई, तो उनका गुस्सा और बढ़ सकता है।
सफाई कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और उनके प्रति सम्मान की आवश्यकता समाज के हर वर्ग को समझनी चाहिए। उनके संघर्ष को समर्थन देना न केवल उनके लिए बल्कि हमारे समाज के स्वच्छता स्तर को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
मुजफ्फरनगर में सफाई कर्मचारियों का आंदोलन अब एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। यह मुद्दा केवल सफाई कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज में कामकाजी वर्ग के अधिकारों और सम्मान की बात करता है। अगर नगरपालिका परिषद और स्थानीय प्रशासन ने जल्द से जल्द समाधान नहीं निकाला, तो यह आंदोलन पूरे जिले में फैल सकता है और एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का कारण बन सकता है।