मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) दिल्ली में हाल ही में हुए भीषण बम ब्लास्ट के बाद उत्तर भारत के कई राज्यों में जहाँ सुरक्षा एजेंसियाँ अलर्ट मोड में हैं, वहीं मुजफ्फरनगर में भी सुरक्षा को लेकर राजनीतिक एवं सामाजिक तापमान अचानक बढ़ गया है।
इसी के चलते शिवसेना नेता बिट्टू सिखेड़ा के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक शिवसैनिकों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए जिले के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में सुरक्षा तथा सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करने की मांग रखी।

इस दौरान शिवसैनिकों ने जिलाधिकारी परिसर में जोरदार नारेबाज़ी करते हुए आतंकवाद के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और कहा कि दिल्ली ब्लास्ट के बाद पूरे प्रदेश में गंभीरता से सुरक्षा के सभी आयामों की जाँच की जानी चाहिए।


🔶 सुरक्षा को लेकर बढ़ी बेचैनी: दिल्ली ब्लास्ट ने हिला दी व्यवस्थाएँ

देश की राजधानी दिल्ली में हुआ धमाका पूरे देश के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
मुजफ्फरनगर में भी यह मुद्दा तेज़ी से चर्चा में है क्योंकि जिले के भीतर कई प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेज, हॉस्टल, इंटर्नशिप सेंटर और बड़े अस्पताल संचालित हैं जहाँ हजारों छात्र और डॉक्टर पढ़ाई और प्रैक्टिस करते हैं।

शिवसेना की जिला इकाई का कहना है कि—
“दिल्ली की घटना बेहद गंभीर है। इससे साफ़ है कि देश की सुरक्षा पर खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के हर जिले में मौजूद मेडिकल संस्थानों की गहन जांच सबसे पहले की जानी चाहिए।”


🔶 बिट्टू सिखेड़ा बोले—मेडिकल कॉलेज महत्वपूर्ण स्थल, सुरक्षा में ढिलाई नहीं चलेगी

प्रदर्शन के दौरान शिवसेना जिलाध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा ने मीडिया को बताया कि—

“दिल्ली ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। ऐसे में मुजफ्फरनगर समेत अन्य जिलों में स्थित मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे और काम कर रहे सभी छात्रों व डॉक्टरों का सत्यापन अनिवार्य होना चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न राज्यों और सामाजिक वर्गों से आने वाले छात्र रहते हैं, और सुरक्षा एजेंसियों को समय-समय पर विस्तृत जांच करते रहना चाहिए ताकि किसी भी तरह की संभावित संदिग्ध गतिविधि को रोका जा सके।

सिखेड़ा ने स्पष्ट किया कि उनकी मांग किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि “सभी छात्रों, डॉक्टरों और कर्मचारियों का समान रूप से सत्यापन और सुरक्षा जांच” देश की सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी है।


🔶 शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा पेश किया गया ज्ञापन—क्या हैं मांगें?

ज्ञापन में मुख्यतः निम्न बातें दर्ज की गईं:

  • मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और हॉस्टलों की सुरक्षा व्यवस्था की तत्काल समीक्षा की जाए।

  • हर छात्र, डॉक्टर, कर्मचारी और शिक्षक का पुलिस सत्यापन अनिवार्य किया जाए।

  • जिन संस्थानों में सत्यापन प्रक्रिया वर्षों से लंबित है, वहाँ विशेष अभियान चलाया जाए।

  • यदि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाए, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

  • जिला प्रशासन को यह निर्देश दिया जाए कि कॉलेज प्रबंधन नियमित रूप से सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट जमा करें।

ज्ञापन सौंपने के दौरान शिवसेना नेता, पदाधिकारी और दर्जनों कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और उन्होंने प्रशासन का ध्यान सुरक्षा खामियों की ओर आकर्षित किया।


🔶 मेडिकल कॉलेजों पर क्यों बढ़ रहा है शक? सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों का हवाला

दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कई महत्वपूर्ण संस्थानों—जैसे कि मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी कैंपस, बड़े हॉस्टल, ट्रांजिट पॉइंट, और सार्वजनिक अस्पतालों—को संभावित संवेदनशील स्थानों की श्रेणी में रखा है।

इसके कई कारण बताए जा रहे हैं:

  1. इन स्थलों पर विभिन्न राज्यों से लोग आते-जाते रहते हैं।

  2. छात्र एवं डॉक्टर अक्सर हॉस्टल या किराए के मकानों में रहते हैं, जहाँ निगरानी सीमित होती है।

  3. ओपीडी और इमरजेंसी जैसी जगहों पर रोज़ाना भारी भीड़ रहती है।

  4. कई मेडिकल उपकरण, रसायन और संवेदनशील सामग्री सुरक्षित रखी जाती है।

इसी कारण इन संस्थानों में सत्यापन और सुरक्षा को लेकर सरकार और प्रशासन दोनों के स्तर पर चिंता बढ़ रही है।


सूत्रों के अनुसार:

  • जिला खुफिया इकाई (LIU) ने अपनी गतिविधियाँ तेज़ कर दी हैं।

  • कई हॉस्टलों और किराए के मकानों पर पुलिस ने रूटीन चेकिंग शुरू कर दी है।

  • मेडिकल कॉलेजों के आस-पास लगे CCTV कैमरों, एंट्री गेट रजिस्टर और विज़िटर लॉगबुक की जाँच की जा रही है।

  • कुछ कॉलेजों से अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की मांग भी की गई है।

हालाँकि अभी तक किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है।


प्रदर्शन के दौरान शिवसेना नेताओं ने जिला प्रशासन को यह भी चेतावनी दी कि:

“यदि कॉलेजों में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ कागज़ी कार्रवाई हुई और वास्तविक कदम नहीं उठाए गए, तो शिवसेना बड़ा आंदोलन करेगी।”

कार्यकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार से अपील है कि वह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे और मेडिकल संस्थानों की सुरक्षा रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, ताकि आम जनता को भी भरोसा मिले कि जिले में सुरक्षा को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा रहा।


मुजफ्फरनगर में सुरक्षा का मुद्दा अचानक बड़ा राजनीतिक विषय बन गया है।
संभावना है कि आने वाले दिनों में:

  • विभिन्न छात्र संगठनों,

  • शिक्षक संघों,

  • व्यापारिक संगठनों और

  • सामाजिक संस्थाओं

द्वारा भी अपनी-अपनी मांगों के साथ आवाज़ उठाई जा सकती है।

विशेष रूप से मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों में भी सुरक्षा को लेकर चर्चा बढ़ गई है।


जिला प्रशासन ने फिलहाल ज्ञापन प्राप्त कर लिया है और अधिकारियों के अनुसार:

  • सभी बिंदुओं की समीक्षा की जा रही है,

  • सुरक्षा एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी जा चुकी है,

  • और मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन से विस्तृत जानकारी लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि किसी भी समुदाय, वर्ग या संस्था को बिना कारण निशाना नहीं बनाया जाएगा, मगर सुरक्षा से जुड़ी कोई भी जानकारी नजरअंदाज नहीं की जाएगी।


ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्य रूप से शामिल रहे:

  • शिवसेना जिला अध्यक्ष – बिट्टू सिखेड़ा

  • पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी

  • युवा शाखा कार्यकर्ता

  • और दो दर्जन से अधिक शिव सैनिक

इन सभी ने मिलकर ज्ञापन की प्रतियाँ जिलाधिकारी कार्यालय में जमा कीं और दिल्ली ब्लास्ट के बाद सुरक्षा के बढ़ते खतरे को रेखांकित किया।


मुजफ्फरनगर में शिवसेना द्वारा उठाया गया यह मुद्दा सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा माहौल दर्शाता है। दिल्ली ब्लास्ट के बाद पूरे उत्तर भारत में अलर्ट जारी है, और ऐसे में मेडिकल कॉलेजों जैसे संवेदनशील संस्थानों की जाँच की माँग प्रशासन के लिए गंभीर संकेत है। आने वाले दिनों में जिला प्रशासन इस दिशा में क्या कदम उठाता है, इस पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी रहेंगी।

 



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