Muzaffarnagar Ramleela महोत्सव ने शुक्रवार की रात अपनी 50वीं स्वर्ण जयंती के तहत एक अत्यंत मार्मिक मंचन प्रस्तुत किया। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति, पटेलनगर द्वारा आयोजित यह महोत्सव स्थानीय जनता और भक्तों के बीच खासा चर्चित रहा। मंच पर प्रस्तुत लीला ने राजा दशरथ के मोक्ष, राम और केवट के संवाद, तथा श्रवण कुमार प्रसंग को इतनी जीवंतता के साथ पेश किया कि दर्शक भावविभोर हो गए।


स्वर्ण जयंती के खास मौके पर दीप प्रज्जवलन और सम्मान समारोह

शाम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राजू अग्रवाल लोहे वाले, ओपी गुप्ता स्वर्णिम साड़ी, और भाजपा नेता विशाल गर्ग द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इसके साथ ही विशिष्ट अतिथियों में नगरपालिका के सभासद अमित पटपटिया, प्रशांत गौतम, प्रियांक गुप्ता, नवनीत गुप्ता, सीमा जैन, राखी पंवार, मनी पटपटिया, पूर्व सभासद विपुल भटनागर ने भी आरती की। महोत्सव के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक विकल्प जैन, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, मनोज पाटिल और उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह और पटका प्रदान कर सम्मानित किया।


राम का वनगमन और निषादराज से भेंट: दर्शकों को मिला आध्यात्मिक अनुभव

लीला की शुरुआत भगवान राम के वनगमन से हुई। इस दौरान निषादराज परिवार ने भगवान श्रीराम, मां जानकी और लक्ष्मण का आदरपूर्वक स्वागत किया। जब राम केवट से नाव मांगते हैं, तो केवट द्वारा उनके चरण धोने का दृश्य प्रस्तुत किया गया। मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन की अभिनय कला ने इस संवाद को अत्यंत जीवंत बना दिया। दर्शक राम और केवट के संवाद में भक्ति और सेवा की गहराई महसूस कर सके।


राजा दशरथ के मोक्ष का मार्मिक दृश्य

रामलीला के इस महोत्सव में राजा दशरथ के अंतिम क्षण का दृश्य दर्शकों के दिल को छू गया। दशरथ की पीड़ा और पुत्रवियोग ने माहौल को संवेदनशील बना दिया। रामलीला के निर्देशक पंकज शर्मा ने राजा दशरथ के रूप में अभिनय करते हुए यह दृश्य इतनी सजीवता से प्रस्तुत किया कि दर्शकों की आंखों में आंसू आ गए।


श्रवण कुमार का प्रसंग: नैतिक शिक्षा और संवेदनशीलता का संदेश

लीला के अंतिम हिस्से में श्रवण कुमार की कथा ने दर्शकों को गहरे भाव में डुबो दिया। राजा दशरथ द्वारा अनजाने में किए गए उनके वध की घटना ने सभी को संवेदनशील बना दिया। इस प्रसंग में कलाकारों की उत्कृष्ट अभिनय क्षमता ने इसे और भी प्रभावशाली बना दिया।


कौन-कौन थे मंच पर मौजूद: कलाकार और आयोजक

मुख्य रूप से रामलीला कमेटी के सदस्य जैसे अनिल ऐरन, विकल्प जैन, गोपाल चैधरी, सुरेंद्र मंगल, जितेंद्र कुच्छल, मनोज पाटिल, प्रमोद गुप्ता, दिनेश जैन ठेकेदार, अनिल लोहिया, पीयूष शर्मा, राकेश मित्तल, विनोद गुप्ता, पंकज शर्मा, नारायण ऐरन, विजय मित्तल, जितेन्द्र नामदेव, गोविंद शर्मा, ज्योति ऐरन, कन्दर्प ऐरन, अनिल गोयल, यश चैधरी, गौरव मित्तल, अमर चैधरी, प्रदीप बॉबी, हरिओम मास्टर, सोनू सिंह, राजेश वशिष्ठ, देवेन्द्र पतला, शिवांश ठाकुर, पंकज वशिष्ठ, स्पर्श गर्ग, यश गर्ग, कृष्णा नामदेव, विशाल शर्मा, उदय कौशिक, जय प्रकाश, लक्ष्य बंसल, अभिषेक कश्यप, जतिन गर्ग, विपुल मोहन, अज्जु जैन और अन्य कलाकार उपस्थित रहे।


Muzaffarnagar Ramleela: स्थानीय संस्कृति और भक्ति का जीवंत मंच

इस महोत्सव ने केवल धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश ही नहीं दिया, बल्कि स्थानीय संस्कृति, परंपरा और नाट्य कला को भी जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। दर्शक केवल कहानी देखने नहीं आए थे, बल्कि रामलीला के माध्यम से भक्ति और सेवा का अनुभव कर रहे थे। कलाकारों की सजीव अभिव्यक्ति और मंच सज्जा ने पूरे अनुभव को और भी यादगार बना दिया।


रामलीला महोत्सव का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

Muzaffarnagar Ramleela महोत्सव स्थानीय समाज में भाईचारा, भक्ति और नैतिक शिक्षा का संदेश फैलाने का कार्य करता है। स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित यह 50वीं लीला न केवल भव्यता में अद्वितीय रही, बल्कि दर्शकों में आध्यात्मिक जागरूकता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को भी बढ़ावा दिया।

Muzaffarnagar Ramleela का यह स्वर्ण जयंती महोत्सव दर्शकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव साबित हुआ। राजा दशरथ के मोक्ष और श्रवण कुमार प्रसंग ने भावनाओं को उभारते हुए दर्शकों के हृदय में गहरी छाप छोड़ी। यह महोत्सव न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर और नाट्य कला को संरक्षित करने का भी अनूठा अवसर प्रदान करता है।



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