Muzaffarnagar में ‘अग्रभागवत कथा’ के शुभारंभ की तैयारियाँ चरम पर हैं। वैश्य समाज जनपद मुज़फ्फरनगर द्वारा 15 दिसंबर से 21 दिसंबर तक आयोजित होने वाले इस भव्य धार्मिक कार्यक्रम को लेकर शहर भर में उत्साह का माहौल है। अग्रसैन भवन, एटूजैड कॉलोनी के निकट होने वाले इस आयोजन में प्रतिदिन श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संवेदनाओं से भरपूर अनूठा वातावरण तैयार किया गया है।
इस सात दिवसीय Agrabhagwat Katha को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है और वैश्य समाज इसे अपने एकजुटता एवं सांस्कृतिक पहचान का प्रतिबिंब मान रहा है।
जयपुर से पधारेंगे महामण्डलेश्वर नर्मदा शंकरपुरी महाराज—श्रद्धालुओं को सुनाएँगे दिव्य कथा
इस भव्य Agrabhagwat Katha का मुख्य आशीर्वाद और आध्यात्मिक संदेश देंगे जयपुर से पधार रहे महामण्डलेश्वर नर्मदा शंकरपुरी महाराज।समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि नर्मदा शंकरपुरी महाराज अपनी विशिष्ट वाणी, आध्यात्मिक प्रवाह और गहन ज्ञान के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं।कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक सुनाई जाएगी, जिसमें अध्यात्म, नीति, जीवन-संदेश और भारतीय संस्कृति की महिमा का विस्तार से वर्णन होगा। शहर के धार्मिक आयोजनों में यह कथा विशेष स्थान रखने वाली है क्योंकि इसमें वैश्य समाज के साथ-साथ आम नागरिक भी पहुँचकर धर्म और सामाजिक मूल्यों का संदेश ग्रहण कर सकेंगे।
कलश यात्रा से होगा शुभारंभ—एटूजैड कॉलोनी के शिव मंदिर से उठेगा दिव्य कलश
आयोजन के पहले दिन 15 दिसंबर, सोमवार को सुबह 9:30 बजे एटूजैड कॉलोनी स्थित शिव मंदिर से भव्य कलश यात्रा प्रारंभ होगी।
यह कलश यात्रा उत्साह, रंग, सांस्कृतिक परंपराओं और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम होगी।
सैकड़ों की संख्या में महिलाएँ कलश लेकर यात्रा में शामिल होंगी और मंत्रोच्चारण की गूंज पूरे क्षेत्र में पवित्रता का संदेश फैलाएगी।
कलश यात्रा कथा स्थल तक पहुँचकर धार्मिक कार्यक्रम का शुभारंभ करेगी और पूरी कथा का आध्यात्मिक वातावरण उसी क्षण से आकार लेगा।
21 दिसंबर को कथा का समापन और भंडारा—श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
कथा का अंतिम दिन 21 दिसंबर रविवार को रखा गया है।
उस दिन कथा सुबह 12:30 बजे तक चलेगी, जिसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
भंडारे में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं ताकि किसी को भी किसी प्रकार की असुविधा न हो।
वैश्य समाज की ओर से बताया गया है कि हर दिन कथा स्थल पर साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था, पार्किंग और श्रद्धालुओं के बैठने की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
प्रेसवार्ता में प्रमुख पदाधिकारियों की मौजूदगी—आयोजन को लेकर व्यापक चर्चा
पत्रकारों से बातचीत के दौरान वैश्य समाज के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
प्रमोद मित्तल (अध्यक्ष) ने बताया कि यह आयोजन समाज को एक सूत्र में बाँधने का माध्यम है।
प्रेसवार्ता में मुख्य रूप से उपस्थित रहे—
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पूर्व विधायक अशोक कंसल
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संजीव गोयल
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अजय सिंघल
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सुखदेव मित्तल
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अजय गर्ग
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मित्रसेन अग्रवाल
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जनार्दन स्वरूप गर्ग
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दिनेश बंसल
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सपा नेता पवन बंसल
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राकेश कंसल
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योगेश सिंघल (भगत जी)
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वैभव मित्तल
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सुरेश गोयल
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अग्रसैन स्मारक समिति के अध्यक्ष सत्यप्रकाश मित्तल
इन सभी ने मिलकर बताया कि Agrabhagwat Katha न केवल धार्मिक कार्यक्रम है, बल्कि समाज में आपसी समन्वय और एकता का भी प्रतीक है।
कथा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी चर्चा—महिलाओं व युवाओं की सक्रिय भागीदारी
सूत्रों के अनुसार, कथा अवधि में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
समाज के युवाओं और महिलाओं को प्रमुख रूप से शामिल किया जा रहा है।
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बाल संस्कार केंद्र
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भजन संध्या
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सामाजिक जागरूकता संदेश
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सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
ये सब मिलकर इस Agrabhagwat Katha को केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक उत्सव का रूप दे देंगे।
महाराजा अग्रसैन भवन में तैयारियाँ पूरी—स्वयंसेवकों की बड़ी टीम तैनात
अग्रसैन भवन को कथा के अनुरूप सजाया जा रहा है।
प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि व्यवस्था, बैठक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए विशेष टीम बनाई गई है। स्वयंसेवक लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं ताकि हर श्रद्धालु को सकारात्मक और शांतिपूर्ण अनुभव मिले।सांस्कृतिक सहयोग और सामाजिक संवाद से सजे इस आयोजन को पूरे शहर में उत्साह से देखा जा रहा है।
धार्मिक आयोजनों में बढ़ती भागीदारी—मुज़फ्फरनगर में सांस्कृतिक पहचान को नई मजबूती
वर्तमान समय में धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़ती संख्या बताती है कि समाज अपनी सांस्कृतिक जड़ों से और अधिक मजबूती से जुड़ रहा है।यह Agrabhagwat Katha उस दिशा में एक प्रेरक और सकारात्मक प्रयास है।नर्मदा शंकरपुरी महाराज की उपस्थिति और वैश्य समाज की सक्रिय भूमिका इसे शहर का एक महत्वपूर्ण और यादगार आयोजन बना देगी।
मुज़फ्फरनगर में होने वाली इस Agrabhagwat Katha ने न केवल वैश्य समाज को एकजुट किया है, बल्कि पूरे शहर में धार्मिक और सामाजिक ऊर्जा का नया वातावरण पैदा किया है। 15 से 21 दिसंबर तक चलने वाले इस आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी भागीदारी की संभावना है, और यह कार्यक्रम आने वाले समय में शहर की सांस्कृतिक पहचान को नई दिशा देने वाला साबित होगा।
